व्यंग्य साहित्य मांगे दान, करै भोज…!! December 9, 2015 by तारकेश कुमार ओझा | 1 Comment on मांगे दान, करै भोज…!! तारकेश कुमार ओझा पता नहीं अमीरों में गरीब बनने या दिखने की सनक सवार होती है या नहीं, लेकिन गरीबों पर यह धुन आजीवन बनी रहती है। बचपन में आना – पाई वाली किताबें हासिल करने में भी भले ही हमारे पसीन छूट जाते थे, लेकिन बुजुर्गों को दिवंगत आत्माओं की संतुष्टि पर दिल – […] Read more » करै भोज...!! मांगे दान