गजल गजल:इंसानियत-श्यामल सुमन May 27, 2012 / May 26, 2012 by श्यामल सुमन | Leave a Comment इंसानियत ही मज़हब सबको बताते हैं देते हैं दग़ा आकर इनायत जताते हैं उसने जो पूछा हमसे क्या हाल चाल है लाखों हैं बोझ ग़म के पर मुसकुराते हैं मजबूरियों से मेरी उनकी निकल पड़ी लेकर के कुछ न कुछ फिर रस्ता दिखाते हैं खाकर के सूखी रोटी लहू बूँद भर बना […] Read more » gazal by shyamal suman गजल:इंसानियत गजल:इंसानियत-श्यामल सुमन गजल:श्यामल सुमन