व्यंग्य साहित्य नेता बीमार, दुखी संसार August 9, 2016 by विजय कुमार | Leave a Comment शर्मा जी कल मेरे घर आये, तो उनके चेहरे से दुख ऐसे टपक रहा था, जैसे बरसात में गरीब की झोंपड़ी। मैंने कुछ पूछा, तो मुंह से आवाज की बजाय आंखों से आंसू निकलने लगे। उनके आंसू भी क्या थे, मानो सभी किनारे तोड़कर बहने वाली तूफानी नदी। यदि मैं कविहृदय होता, तो इस विषय […] Read more » दुखी संसार नेता बीमार