कविता देखा मैंने राजधानी में February 5, 2014 by मिलन सिन्हा | Leave a Comment -मिलन सिन्हा – देखा मैंने राजधानी में आलीशान इमारतों का काफिला और बगल में झुग्गी झोपड़ियों की बस्ती जैसे अमीरी-गरीबी रहते साथ-साथ दो अलग-अलग दुनिया में सुविधाएँ अनेक इमारतों में असुविधाएं अनेक झोपड़ियों में एक तरफ रातें रंगीन हैं तो दूसरी ओर सिर्फ कल्पनाएं रंगीन हैं, यथार्थ काला ऊपर मदिरा में डूबकर भी प्यासे हैं […] Read more » poem देखा मैंने राजधानी में