कविता मजदूर की जिंदगी October 17, 2012 / October 17, 2012 by राघवेन्द्र कुमार 'राघव' | Leave a Comment राघवेन्द्र कुमार ‘राघव’ धरती का सीना फाड़ अन्न हम सब उपजाते हैं | मेहनतकश मजदूर मगर हम भूखे ही मर जाते हैं | धन की चमक के आगे हम कहीं ठहर न पाते हैं | बाग खेत खलिहान हमारे हमसे छीने जाते हैं | सारी धरती हम सबकी है हम फिर भी सताए जाते हैं […] Read more » मजदूर की जिंदगी