आलोचना आ केहू खराब नइखे, सबे ठीक बा… May 8, 2012 / May 8, 2012 by संजय स्वदेश | 1 Comment on आ केहू खराब नइखे, सबे ठीक बा… संजय स्वदेश जब भी किसी राज्य की सरकार बदलती है, समाज की आबो-हवा करवट लेती है। भले ही इस करवट से कांटे चुभे या मखमली गद्दे सा अहसास हो, परिर्वतन स्वाभाविक है। बिहार में नीतीश से पहले राजद का शासन था। जब लालू प्रसाद का शायन काल आया था तब भी कमोबेश वैसे ही सकारात्मक […] Read more » police and humanity police and society