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डॉ. मीणा, आप पूर्वाग्रह के शिकार हैं : आर. सिंह

डॉ. पुरुषोत्तम मीणा ‘निरंकुश’ के लेख पर आर. सिंह की टिप्‍पणी

डॉक्टर निरंकुश जब आप यह लिखते हैं क़ि-

“अन्ना हजारे, बाबा रामदेव और श्रीश्री रविशंकर जैसे लोग भी नीति और अनीति को भूलकर इसी स्थिति का लाभ उठाकर तथा एकजुट होकर अपनी पूरी ताकत झोंक देने का रिस्क ले चुके हैं”

तो साफ़ जाहिर होता है क़ि आप पूर्वाग्रह के शिकार हैं. आपका यह पूर्वाग्रह और स्पष्ट हो जाता है जब आप आगे यह लिखते हैं कि

” हर हाल में इस देश में मुस्लिम, दमित, दलित, पिछड़ा, आदिवासी और महिला उत्थान के विराधी होने और साथ ही साथ हिन्दुत्वादी राष्ट्र की स्थापना करने की बातें करने का समय-समय पर नाटक करने वाले लोगों को भारत की सत्ता में दिलाने के हर संभव प्रयास कर रहे हैं|”

इन सब आक्षेपों के उत्तर में आपसे केवल एक या दो प्रश्न करूंगा.

१. अन्ना हजारे का भ्रष्टाचार के विरुद्ध आन्दोलन क्या केवल सवर्ण हिन्दुओं के लिए है? मेरा विचार तो यह है क़ि इस आन्दोलन की सफलता से सबसे ज्यादा लाभान्वित वे होंगे जो समाज के आर्थिक उत्थान के सबसे नीचे वाले सोपान पर हैं या सीढ़ी पर चढ़ने की चेष्टा कर रहे हैं. चूंकि अन्ना ने सभी राजनैतिक दलों को अपने आन्दोलन से सामान दूरी पर रखा है अत; उन पर यह भी आक्षेप नहीं लगाया जा सकता क़ि वे किसी दल विशेष या समुदाय विशेष के आदेश या अनुरोध पर कार्य कर रहे हैं. मेरा अपना विचार तो यह है क़ि जो भी इस आन्दोलन के विरुद्ध आवाज उठा रहा है, वह या तो किसी बड़ी गलत फहमी का शिकार है या भ्रष्टाचार से लाभान्वित हो रहा है. आप चूंकि यह दावा करते हैं क़ि आप स्वयं भ्रष्टाचार के विरुद्ध अभियान चला रहे हैं तो आपको शक का लाभ देते हुए मैं यही कह सकता हूँ क़ि आप बहुत बड़ी गलतफहमी के शिकार हैं.

२.दूसरा प्रश्न बाबा रामदेव और श्री श्री रविशंकर से सम्बन्ध में है. चूंकि ये दोनों सज्जन प्रत्यक्ष रूप से हिन्दू धर्म के उत्थान और उसके आध्यात्मिक पक्ष के साथ जुड़े हुए हैं, उन पर एक दल विशेष के साथ होने का आक्षेप लगाया जा सकता है, पर जब वे विदेशों से काला धन वापस लाने या भ्रष्टा चार के विरुद्ध अभियान का हिस्सा बनते है तो उनपर केवल इसीलिए अकारण आक्षेप लगाना ठीक नहीं है क़ि उनका सम्बन्ध हिन्दू धर्म की कुरीतियों के दूर करने या हिन्दू दर्शन और आध्यात्म से है. भ्रष्टाचार से सब पीड़ित हैं,अतः अगर कोई उसके विरुद्ध अभियान में शामिल होता है या उस अभियान का नेतृत्त्व करता है तो उसके गुण दोष की समीक्षा उस अभियान के सन्दर्भ में करना चाहिए न क़ि उसके अन्य कार्यों से जोड़ कर. ऐसे भी बाबा रामदेव और श्री श्री रवि शंकर भी अपने ढंग से समाज सुधार के कार्यों में ही लगे हुए हैं.अतः उनका इससे जुड़ना कोई संयोग नहीं कहा जा सकता.

अंत में मैं तो यही कह सकता हूँ क़ि चूंकि बहुत से लोग कांग्रेस के धर्म निरपेक्षता वाले मुखौटे से प्रभावित हैं अतः इस आन्दोलन को सीधा सीधा कांग्रेस के विरुद्ध जाते हुए देख कर चिंतित हैं, तो ऐसे लोग यह क्यों भूल जाते हैं क़ि जब से इस आन्दोलन ने जोर पकड़ा है कांग्रेस अपने नेताओं के बकवासों से भ्रष्टाचार की पर्यायवाची हो गयी है. हो सकता है क़ि कांग्रेस संसद के शीतकालीन अधिवेशन में एक मजबूत लोकपाल बिल पेश करे. उससे पाशा पलट भी सकता है. चूंकि कोई भी राजनैतिक दल भ्रष्टाचार से अलग नहीं है, अतः एक मजबूत लोकपाल बिल पेश होने से सबका मुखौटा उतरने की उम्मीद है.