
ओंठों पर मुस्कान खिली है,
आंखों में है जादू।
मुझे देखकर खुश कितने हैं,
मेरे अम्मा बापू।
मुंडन अभी करा के आई,
लगती हूं मैं कैसी?
फूलों पर बैठी तितली हूं,
या हूं पारियों जैसी।
प्रभूदयाल श्रीवास्तव
ओंठों पर मुस्कान खिली है,
आंखों में है जादू।
मुझे देखकर खुश कितने हैं,
मेरे अम्मा बापू।
मुंडन अभी करा के आई,
लगती हूं मैं कैसी?
फूलों पर बैठी तितली हूं,
या हूं पारियों जैसी।
प्रभूदयाल श्रीवास्तव