नाना आये

grandfather
नाना आये, नाना आये,
आज हमारे नाना आये|
बोला तो था पिज्जा बर्गर,
नाना चना चबेना लाये|

ये मनमानी थी नानाकी,
नाना की थी ये मनमानी|
बात हमारी क्यों ना मानी,
करना अपने मन की ठानी|
हमने मांगे थे रसगुल्ले,
नाना भुना चिखोना लाये|

नाना को मैंनेँ बोला था,
बोला था मैंनें नाना को
आज हमारा मन होता है,
खाने का फल्ली दाना को|
रिक्शे वाले से लड़ बैठे,
बैठे खड़े बिदोना लाये|

हर दिन नानी से लड़ते हैं,
लड़ते हैं  नानी से हर दिन|
उचक उचक कत्थक के जैसी,
ताक धिना धिन ताक धिना धिन|
साक्षात हाथी ले आये,
कहते बड़ा खिलोना लाये|

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प्रभुदयाल श्रीवास्तव
लेखन विगत दो दशकों से अधिक समय से कहानी,कवितायें व्यंग्य ,लघु कथाएं लेख, बुंदेली लोकगीत,बुंदेली लघु कथाए,बुंदेली गज़लों का लेखन प्रकाशन लोकमत समाचार नागपुर में तीन वर्षों तक व्यंग्य स्तंभ तीर तुक्का, रंग बेरंग में प्रकाशन,दैनिक भास्कर ,नवभारत,अमृत संदेश, जबलपुर एक्सप्रेस,पंजाब केसरी,एवं देश के लगभग सभी हिंदी समाचार पत्रों में व्यंग्योँ का प्रकाशन, कविताएं बालगीतों क्षणिकांओं का भी प्रकाशन हुआ|पत्रिकाओं हम सब साथ साथ दिल्ली,शुभ तारिका अंबाला,न्यामती फरीदाबाद ,कादंबिनी दिल्ली बाईसा उज्जैन मसी कागद इत्यादि में कई रचनाएं प्रकाशित|

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