जानिए क्‍या है अनंत चतुदर्शी और जानिए भगवान गणेश के उपयोगी मन्त्रों को

 

amalaki-ekadasi-graphicगणपति बाप्पा मोरया मंगल मूर्ति मोरया। गणपति बाप्पा मोरया मंगल मूर्ति मोरया।

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जानिए क्‍या है अनंत चतुदर्शी?

भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को अनंत चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है और इस दिन अनंत के रूप में श्री हरि विष्‍णु की पूजा होती है तथा रक्षाबंधन की राखी के समान ही एक अनंत राखी होती है, जो रूई या रेशम के कुंकुम से रंगे धागे होते हैं और उनमें चौदह गांठे होती हैं। ये 14 गांठें, 14 लोक को निरूपित करते हैं और इस धागे को वे लोग अपने हाथ में बांधते हैं, जो इस दिन यानी अनंत चतुदर्शी का व्रत करते हैं। पुरुष इस अनंत धागे को अपने दाएं हाथ में बांधते हैं तथा स्त्रियां इसे अपने बाएं हाथ में धारण करती हैं।
अनंत चतुर्दशी का व्रत एक व्यक्तिगत पूजा है, जिसका कोई सामाजिक धार्मिक उत्सव नहीं होता, लेकिन अनन्‍त चतुर्दशी के दिन ही गणपति-विसर्जन का धार्मिक समारोह जरूर होता है जो कि लगातार 10 दिन के गणेश-उत्‍सव का समापन दिवस होता है और इस दिन भगवान गणपति की उस प्रतिमा को किसी बहते जल वाली नदी, तालाब या समुद्र में विसर्जित किया जाता है, जिसे गणेश चतुर्थी को स्‍थापित किया गया होता है और गणपति उत्‍सव के इस अन्तिम दिन को महाराष्‍ट्र में एक बहुत ही बडे उत्‍सव की तरह मनाया जाता है।
अनंत चतुर्दशी को भगवान विष्णु का दिन माना जाता है और ऐसी मान्‍यता भी है कि इस दिन व्रत करने वाला व्रती यदि विष्‍णु सहस्‍त्रनाम स्‍तोत्रम् का पाठ भी करे, तो उसकी वांछित मनोकामना की पूर्ति जरूर होती है और भगवान श्री हरि विष्‍णु उस प्रार्थना करने वाले व्रती पर प्रसन्‍न हाेकर उसे सुख, संपदा, धन-धान्य, यश-वैभव, लक्ष्मी, पुत्र आदि सभी प्रकार के सुख प्रदान करते हैं।अनंत चतुर्दशी व्रत रखने से मिलने वाला पुण्य, कभी समाप्त नहीं होता। यह काम्य व्रत है, जिसे सांसारिक इच्छाओं की पूर्ति के लिये रखा जाता है।
अनंत चतुर्दशी व्रत सामान्‍यत: नदी-तट पर किया जाना चाहिए और श्री हरि विष्‍णु की लोककथाएं सुननी चाहिए, लेकिन यदि ऐसा संभव न हो, तो उस स्थिति में घर पर स्थापित मंदिर के समक्ष भी श्री हरि विष्‍णु के सहस्‍त्रनामों का पाठ किया जा सकता है तथा श्री हरि विष्‍णु की लोक कथाऐं सुनी जा सकती हैं।
जानिए अनंत चतुर्दशी व्रत की महिमा—

-पांडवों को अनंत चतुर्दशी व्रत से मिला खोया राज्य

-श्री कृष्ण ने पांडवों को इस व्रत के बारे में बताया था

-पांडवों ने द्रौपदी सहित रखा था अनंत चतुर्दशी व्रत

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कैसे खुश करें अपनी राशि अनुसार भगवन गणेश को,गणेश चतुर्दशी के दिन..??
राशि‍यों के अनुसार कि‍तने लडडुओं का भोग कि‍स चीज में लगाकर करें और कि‍स मंत्र का जाप करें जि‍ससे गणेश जी प्रसन्‍न हो जायें और सभी के बि‍गडे हुये काम भी बनने लगेा बात मेष राशि की करें इसके जातक9 लडडू शहद में लपेट कर चढ़ातें हैं और ऊॅ गणेशाय नम: का जाप करते हैं तो उनके बि‍गड़े काम बनने लगेंगेा इसी प्रकार वृष राशि के जातक यदि 6लडडू का भोग गणेशजी को लगाकर ऊॅ वि‍घ्‍नाशाये नम: का मंत्र पढ़ते हैं तो उनके भी बि‍गड़े काम बनने शुरू हो जायेंगेा मि‍थुन राशि के जातक गणेश जी को 5 लडडू पान के पत्‍ते पर रखकर चढा़ते हुये ऊॅ लम्‍बोदराय नम:मंत्र का जाप करते हैं तो गणेशजी उनकी सारी परेशानि‍यों को हर लेंगे कर्क राशि के लोग गणेश जी को खुश करने के लिए 4लडडू दूध में लगाकर चढ़ाते हैं और ऊॅ पार्वती नम: मंत्र का जाप करते हैं तां उनके भी दुख दूर होने लगेंगेा सिह राशि के लोग 10लडडू शहद में मि‍लाकर चढ़ाते हैं और ऊॅ एकदंताये नम: मंत्र का जाप करते हैं तो उनके भी अच्‍छे दि‍न शुरू हो जायेंगेा कन्‍या राशि के लोग 5 लडडू दूर्वा घास मि‍लाकर गणेश जी को अर्पित करते हैं और ऊॅ वटवै नम:मंत्र जपते हैं तो उनकी भी सारी परेशानी गणेशजी दूर कर देंगेा तुला राशि के लोग 6 लडडू मलाई लगाकर गणेशजी को भोग लगाते हैं और ऊॅ सूपकर्णाय नम: मंत्र का जाप करते हैं तो उनकी भी सारी परेशानी दूर हो जायेगी ।इसी प्रकार वृश्‍चि‍क राशि के लोग 9लडडू शहद में मि‍लाकर ऊॅ गणेशाय नम:मंत्र का जाप,धनु राशि के लोग21लडडू शक्‍कर डालकर एंव ऊॅ सिद्धिवि‍नायक नम: मंत्र का जाप,मकर राशि के जातक 8लडडू ऊॅ वि‍नाकाय नम:का जाप,कुंभ राशि के लोग 8लडडू को सौंफ में मि‍लाकर चढ़ाते हैं और ऊॅ वक्रतुंडाय नम:मंत्र का जाप और मीन राशि के लोग 21 लडडू केसर मि‍लाकर चढ़ाते हैं और ऊॅ पार्वतीपुत्राय नम: मंत्र का जाप करते हैं तो उनके बिगड़ हुये काम बनने लगेंगे।

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रखें 14 बातों का ध्यान, पायें श्रीहरि से 14 वरदान

-अंकुरित दूब से नागेंद्र शैय्या तैयार करें।

-श्रीविष्णु स्वरुप नारियल की पूजा करें।

-नारियल का अलंकार करें।

-कलश स्थापना करें।

-एक डोर में 14 गांठ लगाकर प्राण प्रतिष्ठा करें।

-नीचे से ऊपर की दिशा में, अक्षत समर्पित करें।

-अनंत चतुर्दशी की डोर को, महिलायें बाईं और पुरूष दाईं कलाई में बांधें।

-अनंत चतुर्दशी व्रत की कथा पढ़ें।

-अगर आप 14 साल के व्रत का संकल्प लें रहे हैं तो विष्णु जी को 14 फूल,14 फल,14 नैवेद्य ज़रुर चढ़ाएं।

-कच्चे धागे या मौली में, 14 गांठें लगाने से संतान सुख मिलता है।

-अनंत डोर में भगवान विष्णु की शक्ति संचार होता है।

-अनंत डोर बांधने से,शरीर के आस-पास सुरक्षा घेरा बनता है।

-ये डोर बांधने से, शरीर में क्रिया शक्ति का संचार होता है।

-शेषनाग की पूजा से पृथ्वी, जल और अग्नि तत्व को जगाया जाता है।
विष्णु सहस्त्रनाम के पाठ का फल

-विष्णु सहस्त्रनाम के पाठ से, सारी मनोकामना पूरी होती है।

-विष्णु सहस्रनाम में, श्रीविष्णु का एक नाम अनंत भी है। जिसके जाप का अनंत फल है।

-पूरा विष्णु सहस्त्रनाम न पढ़ सकें तो, क्रीं अच्युता अनंत गोविंद का पाठ करें।

-सतयुग में कौंडिल्य मुनि की पत्नी ने, विष्णु सहस्त्रनाम के पाठ से, धन संपत्ति पाई थी।

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आपकी हर कामना पूर्ण करेंगें भगवान श्री गणेश के सिद्ध मंत्र—
प्रथम पूज्य भगवान लम्बोदर चतुर्वर्ण हैं। सर्वत्र पूजनीय श्री गणेश सिंदूर वर्ण के हैं। इनका स्वरूप भक्तों को सभी प्रकार के शुभ व मंगल फल प्रदान करने वाला है। मनोवांछित फल प्राप्त करने हेतु भगवान श्री गणेश की प्रतिमा के सामने अथवा किसी मंदिर में अथवा किसी पुण्य क्षेत्र अथवा भगवान श्री गणेश के चित्र या प्रतिमा के सम्मुख बैठकर अनुष्ठान कर सकते हैं। अनुष्ठानकर्ता पवित्र स्थान में शुद्ध आसन पर बैठकर विभिन्न उपचारों से श्री गणेश का पूजन करें।
श्रद्धा एवं विश्वास के साथ मनोवांछित फल प्रदान करने वाले स्तोत्र का कम से कम 21 बार पाठ करें। यदि अधिक बार कर सकें तो श्रेष्ठ। प्रातः एवं सायंकाल दोनों समय करें, फल शीघ्र प्राप्त होता है।

कामना पूर्ण हो जाने तक पाठ नियमित करते रहना चाहिए। कुछ एक अवसरों पर मनोवांछित फल की प्राप्ति या तो देरी से हो पाती है अथवा यदाकदा फल प्राप्त ही नहीं होते हैं।नीलवर्ण उच्छिष्ट गणपति का रूप तांत्रिक क्रिया से संबंधित है। शांति और पुष्टि के लिए श्वेत वर्ण गणपति की आराधना करना चाहिए। शत्रु के नाश व विघ्नों को रोकने के लिए हरिद्रा गणपति की आराधना की जाती है।
—-किसी भी कार्य के प्रारंभ में गणेश जी को इस मंत्र से प्रसन्न करना चाहिए:
श्री गणेश मंत्र ऊँ वक्रतुण्ड़ महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरू मे देव, सर्व कार्येषु सर्वदा।।

गणपति जी का बीज मंत्र ‘गं’ है।
इनसे युक्त मंत्र- ‘ॐ गं गणपतये नमः’ का जप करने से सभी कामनाओं की पूर्ति होती है।
—षडाक्षर मंत्र का जप आर्थिक प्रगति व समृद्धिप्रदायक है।
।ॐ वक्रतुंडाय हुम्।
— उच्छिष्ट गणपति का मंत्र–

।।ॐ हस्ति पिशाचिनी लिखे स्वाहा।।
—-जानिए गणेश गायत्री मंत्र –
एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।

महाकर्णाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।

गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।
—आलस्य, निराशा, कलह, विघ्न दूर करने के लिए विघ्नराज रूप की आराधना का यह मंत्र जपें –
ॐ गं क्षिप्रप्रसादनाय नम:
—-रोजगार की प्राप्ति व आर्थिक वृद्धि के लिए लक्ष्मी विनायक मंत्र का जप करें-
ॐ श्रीं सौम्याय सौभाग्याय गं गणपतये वर वरद सर्वजनं मे वशमानाय स्वाहा।
—भगवान श्री गणेश का मनोकामना मंत्र—
गणपतिर्विघ्नराजो लम्बतुण्डो गजाननः।

द्वैमातुरश्च हेरम्ब एकदन्तो गणाधिपः॥

विनायकश्चारुकर्णः पशुपालो भवात्मजः।

द्वादशैतानि नामानि प्रातरुत्थाय यः पठेत्‌॥

विश्वं तस्य भवेद्वश्यं न च विघ्नं भवेत्‌ क्वचित्‌।
—विवाह में आने वाले दोषों को दूर करने वालों को त्रैलोक्य मोहन गणेश मंत्र का जप करने से शीघ्र विवाह व अनुकूल जीवनसाथी की प्राप्ति होती है-
ॐ वक्रतुण्डैक दंष्ट्राय क्लीं ह्रीं श्रीं गं गणपते वर वरद सर्वजनं मे वशमानाय स्वाहा।
—लक्ष्मी प्राप्ति के लिए गणेश मंत्र
ॐ नमो विघ्नराजाय, सर्वसौख्य प्रदायिने

दुष्टारिष्ट विनाशाय पराय परमात्मने

लंबोदरं महावीर्यं, नागयज्ञोपज्ञोभितम

अर्धचंद्र धरं देहं विघ्नव्यूह विनाशनम्

ॐ ह्रां, ह्रीं ह्रुं, ह्रें ह्रौं हेरंबाय नमो नम:

सर्व सिद्धिं प्रदोसि त्वं सिद्धि बुद्धि प्रदो भवं

चिंतितार्थं प्रदस्तवं हीं, सततं मोदक प्रियं

सिंदूरारुण वस्त्रैश्च पूजितो वरदायक:

इदं गणपति स्तोत्रं य पठेद् भक्तिमान नर:

तस्य देहं च गेहं च स्वयं लक्ष्मीं निर्मुंजति।
—–संतान प्राप्ति हेतु मंत्र
ॐ नमोस्तु गणनाथाय, सिद्धिबुद्धि युताय च

सर्व प्रदाय देहाय पुत्र वृद्धि प्रदाय च

गुरुदराय गरबे गोपुत्रे गुह्यासिताय ते

गोप्याय गोपिता शेष, भुवनाय चिदात्मने

विश्व मूलाय भव्याय, विश्व सृष्टि कराय ते

नमो नमस्ते सत्याय, सत्यपूर्णाय शुंडिने

एकदं‍ताय शुद्धाय सुमुखाय नमो नम:

प्रपन्न जन पालाय, प्रणतार्ति विनाशिने

शरणंभव देवेश संततिं सुदृढ़ां कुरु

भविष्यंति च ये पुत्रा मत्कुले गणनायक:

ते सर्वे तव पूजार्थं नि‍रता: स्युर्वरोमत:

प‍ुत्र प्रदं इदंस्तोत्रं सर्वसिद्धिप्रदायकम।
—–मंगल विधान और विघ्नों के नाश के लिए गणेश जी के इस मंत्र का जाप करें।
गणपतिर्विघ्नराजो लम्बतुण्डो गजाननः।

द्वैमातुरश्च हेरम्ब एकदन्तो गणाधिपः॥

विनायकश्चारुकर्णः पशुपालो भवात्मजः।

द्वादशैतानि नामानि प्रातरुत्थाय यः पठेत्‌॥

विश्वं तस्य भवेद्वश्यं न च विघ्नं भवेत्‌ क्वचित्‌।
—विघ्नहर्ता भगवान गणेश की पूजा करते समय इस मंत्र के द्वारा उनका आवाहन करना चाहिए-
गणानां त्वा गणपतिं हवामहे प्रियाणां त्वा प्रियपतिं हवामहे |

निधीनां त्वा निधिपतिं हवामहे वसो मम आहमजानि गर्भधमा त्वमजासि गर्भधम् ||
—–गणपति पूजन के समय इस मंत्र से भगवान गणेश जी का ध्यान करना चाहिए-
खर्व स्थूलतनुं गजेन्द्रवदनं लम्बोदरं सुन्दरं प्रस्यन्दन्मदगन्धलुब्धमधुपव्यालोलगण्डस्थलम |

दंताघातविदारितारिरूधिरैः सिन्दूरशोभाकरं वन्दे शलसुतासुतं गणपतिं सिद्धिप्रदं कामदम् ||

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