(विश्व पशु दिवस विशेष आलेख 4 अक्टूबर)
हर साल विश्व पशु दिवस (वर्ल्ड एनिमल डे) 4 अक्टूबर को मनाया जाता है।वास्तव में, यह दिन पशुओं के अधिकारों, उनके कल्याण(वेलफेयर) और संरक्षण के लिए समर्पित है। कम ही लोग जानते होंगे कि 4 अक्टूबर को संत फ्रांसिस ऑफ असीसी का स्मृति दिवस भी होता है, जिन्हें पशुओं और प्रकृति का संरक्षक संत माना जाता है। यही वजह है कि इस तिथि को चुना गया। पाठकों को बताता चलूं कि विश्व पशु दिवस का पहला आयोजन जर्मनी में 1925 में हाइनरिख ज़िमरमान नामक लेखक और पत्रकार ने किया था। भारत एक कृषि प्रधान देश है और हमारे देश में तो कृषि के साथ साथ पशुपालन को बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है, क्यों कि पशु हमारे अभिन्न साथी हैं, जो हमें भोजन, दूध और श्रम प्रदान करते हैं।पशु हमारी खेती-बाड़ी, परिवहन और आजीविका का मुख्य आधार हैं।प्रकृति का संतुलन बनाए रखने में पशुओं की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि पशु प्रेम, निष्ठा, वफादारी और संरक्षण का अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत करते हैं। कहना ग़लत नहीं होगा कि पशुओं के बिना मानव जीवन अधूरा और असंतुलित हो जाता है। वास्तव में,यह दिन सिर्फ और सिर्फ पालतू जानवरों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि सभी वन्यजीव, समुद्री जीव, पक्षी और कीट-पतंगों तक के संरक्षण का संदेश देता है। गौरतलब है कि शुरू में यह यूरोप में मनाया गया था, लेकिन 1931 में फ्लोरेंस (इटली) में अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति सम्मेलन के दौरान इसे आधिकारिक तौर पर वैश्विक दिवस घोषित किया गया। कहना ग़लत नहीं होगा कि इस दिन को मनाने से कई देशों में पशु अधिकार कानून और पशु क्रूरता निवारण अधिनियम बनाने में प्रेरणा मिली है।हमारे देश में इसे पशु प्रेम और संरक्षण के साथ-साथ गो-सेवा, वन्यजीव सुरक्षा और पशु चिकित्सक जागरूकता से भी जोड़ा जाता है।इसका आधिकारिक लोगो एक नीला-हरा गोला है ,जिसमें विभिन्न पशु आकृतियां हैं और नारा है: ‘विश्व भर में पशुओं के कल्याण मानकों में सुधार लाने के लिए उनकी स्थिति को ऊपर उठाना।’ यानी कि ‘टू रेज द स्टेट्स ऑफ एनिमल्स टू इंप्रूव वेलफेयर स्टैंडर्ड्स अराउंड द ग्लोब।’आज सोशल नेटवर्किंग साइट्स का जमाना है और अच्छी बात यह है कि आज के इस आधुनिक दौर में वर्ल्ड एनिमल डे और एनिमल राइट्स जैसे हैशटैग के जरिए दुनिया भर के लोग पशुओं के प्रति प्रेम और संरक्षण का संदेश फैलाते हैं।इस दिवस को मनाने के पीछे असली मकसद सिर्फ एक दिन विशेष पशुओं को याद करना नहीं है, बल्कि पूरे साल उनके अधिकारों, भोजन, स्वास्थ्य और आवास की रक्षा सुनिश्चित करना है, लेकिन यह बहुत दुखद है कि आज मांस, चमड़ा और दूध के लिए पशुओं का अत्यधिक शोषण किया जाता है।आज विभिन्न प्रयोगशालाओं में दवाइयों व सौंदर्य प्रसाधनों की जांच हेतु उन पर क्रूर प्रयोग किए जाते हैं। आज के समय में भी जब मनोरंजन के अनेक साधन उपलब्ध हैं,तब भी सर्कस, सांड लड़ाई, हाथी सवारी आदि के नाम पर उन्हें पीटा और बेड़ियों में जकड़ा जाता है।यह बहुत ही दुखद है कि आज अवैध शिकार और तस्करी से अनेक प्रजातियाँ विलुप्ति के कगार पर पहुंच चुकीं हैं। कितनी बड़ी बात है कि आज पशुओं को संकीर्ण पिंजरों या बाड़ों में कैद कर उनको अपने स्वाभाविक जीवन से वंचित रखा जाता है। और तो और भूख-प्यास से तड़पते हुए उन्हें सड़कों पर खुला, आवारा, लावारिस छोड़ दिया जाता है। गौवंश की हालत तो बहुत बुरी है। खेती-बाड़ी और बोझा ढोने में कई बार पशुओं से अमानवीय परिश्रम कराया जाता है। हाल ही में पशु क्रूरता की एक खबर राजस्थान के सीकर जिले से आई। सीकर ही नहीं देश के विभिन्न हिस्सों से पशु क्रूरता, अत्याचार की खबरें आए दिन मीडिया की सुर्खियों में बनीं रहतीं हैं,यह बहुत ही अफसोसजनक है। बहरहाल,मीडिया में उपलब्ध जानकारी के अनुसार हाल ही में सीकर के नेछवा इलाके में एक विवाह समारोह के दौरान एक नंदी(बैल) चला आया था और इससे नाराज होकर कुछ लोगों ने उसे बोलेरो से कुचलकर मार डाला। जानकारी के अनुसार इस घटना को वहां मौजूद लोगों ने मोबाइल फोन पर रिकॉर्ड कर लिया और इसका वीडियो उन्होंने सोशल मीडिया पर डाल दिया, जो वायरल होते ही हंगामा हो गया और इलाके के लोगों ने देर रात थाने पर आक्रोश जताते हुए दोषी लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। इसके अगले दिन, यानी कि 2 अक्टूबर 2025 को पुलिस ने दो लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया। बहरहाल, कहना चाहूंगा कि मानव को पशुओं के साथ दया, करुणा और प्रेम का व्यवहार करना चाहिए।उनके अधिकारों और जीवन की रक्षा करना हमारा कर्तव्य है।पशुओं को परिवार और प्रकृति का हिस्सा मानकर सम्मान देना चाहिए, क्यों कि पशु मानव की भांति अभिव्यक्ति कर अपनी समस्या, दुःख, अत्याचार को नहीं बता सकते हैं। एक प्रकार से वे मूक प्राणी होते हैं, मानव जितने बुद्धिमान प्राणी नहीं। बहरहाल, विश्व पशु दिवस की हर वर्ष एक थीम या विषय रखा जाता है। वर्ष 2024 के विश्व पशु दिवस की थीम-‘ द वर्ल्ड इज देयर होम ठू'(दुनिया उनका भी घर है) रखी गई थी और इस बार यानी कि वर्ष 2025 में इस दिवस की आधिकारिक थीम-‘ सेव एनिमल्स,सेव द प्लेनेट'(पशु बचाओ,ग्रह बचाओ) रखी गई है। वास्तव में इस थीम का सीधा सा मतलब यह है कि हमें सिर्फ और सिर्फ पशुओं को बचाना ही नहीं है, बल्कि उनकी रक्षा का संबंध सीधे हमारे पृथ्वी और पर्यावरण की रक्षा से भी जुड़ा हुआ है।इस बार की यह थीम पशुओं के आवासों और उनके पारिस्थितिकी तंत्र(इको सिस्टम)के महत्वपूर्ण हिस्से होने पर जोर देती है।यह थीम जानवरों के साथ समान व्यवहार करने और उनके सुरक्षित और संरक्षित वातावरण में रहने के अधिकार को रेखांकित करती है। सच तो यह है कि पशु, मानव के सच्चे और निस्वार्थ साथी होते हैं। वे बिना स्वार्थ के प्रेम, सहयोग और सुरक्षा देते हैं। वे मानव के सबसे वफादार और निस्वार्थ मित्र हैं, जिनके बिना जीवन अधूरा है। तो आइए ! हम इस पशु दिवस पर पशुओं के संरक्षण,उनकी रक्षा के लिए कदम उठाएं।
सुनील कुमार महला