शम्भू शरण सत्यार्थी
भारत ज्ञान और गुरुकुल परंपरा का देश रहा है। यहाँ शिक्षक का स्थान सर्वोच्च माना गया है। हमारे शास्त्रों में कहा गया है कि गुरु ब्रह्मा, गुरु विष्णु और गुरु महेश्वर हैं। अर्थात गुरु ही सृष्टि का निर्माण करने वाले, उसे सँभालने वाले और अज्ञान का नाश करने वाले होते हैं। यही कारण है कि हर वर्ष पाँच सितंबर को हम शिक्षक दिवस के रूप में मनाते हैं। यह दिन महान दार्शनिक, विद्वान और भारत के द्वितीय राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती का दिन है। जब उनके विद्यार्थियों ने उनकी जयंती को जन्मदिन के रूप में मनाने का आग्रह किया तो उन्होंने कहा कि यदि आप मेरे प्रति सम्मान व्यक्त करना चाहते हैं तो इसे शिक्षक दिवस के रूप में मनाइए। तभी से यह दिन शिक्षकों के सम्मान का प्रतीक बन गया।
शिक्षक समाज की आत्मा होते हैं। वे केवल पुस्तकीय ज्ञान ही नहीं देते, बल्कि जीवन जीने की कला और मूल्य भी सिखाते हैं। एक अच्छा शिक्षक अपने शिष्यों को केवल परीक्षा में उत्तीर्ण नहीं कराता, बल्कि उन्हें अच्छे नागरिक बनाने की जिम्मेदारी भी निभाता है। वह बच्चों के मन में जिज्ञासा जगाता है, उनमें आत्मविश्वास भरता है और उन्हें सच-झूठ की परख करना सिखाता है। यही कारण है कि शिक्षक को राष्ट्र निर्माता कहा जाता है। एक ईमानदार और समर्पित शिक्षक की गोद में ही कल का भारत आकार लेता है।
यदि हम शिक्षा की परंपरा की ओर देखें तो पाएँगे कि हमारे देश में गुरु-शिष्य संबंध अत्यंत पवित्र रहा है। प्राचीन समय में गुरुकुल में छात्र जीवन के सभी गुण सीखते थे। वहाँ केवल विद्या का संचार नहीं होता था, बल्कि अनुशासन, नैतिकता और समाज के प्रति कर्तव्य का बोध कराया जाता था। समय बदलने पर शिक्षा की पद्धति बदल गई, स्कूल और विश्वविद्यालय बने, लेकिन शिक्षक का महत्व कभी कम नहीं हुआ। आज भी जब कोई बच्चा पहली बार विद्यालय जाता है तो उसके जीवन की दिशा शिक्षक ही तय करते हैं।
वर्तमान समय में शिक्षक की भूमिका और भी चुनौतीपूर्ण हो गई है। आधुनिक तकनीक ने शिक्षा के स्वरूप को बदल दिया है। इंटरनेट, मोबाइल और डिजिटल प्लेटफॉर्म ने छात्रों को ज्ञान का अथाह भंडार तो दिया है, लेकिन उसके बीच सही दिशा दिखाना अभी भी शिक्षक की जिम्मेदारी है। ज्ञान तो मशीन से भी मिल सकता है, लेकिन सोचने-समझने की क्षमता, मानवीय संवेदनाएँ और संस्कार केवल शिक्षक ही दे सकते हैं। यही वजह है कि चाहे तकनीक कितनी भी विकसित हो जाए, शिक्षक का स्थान कोई नहीं ले सकता।
आज का समाज प्रतिस्पर्धा और बाजारवाद से प्रभावित है। शिक्षा को भी व्यापार की दृष्टि से देखा जाने लगा है। गाँवों में संसाधनों की कमी और शहरों में अत्यधिक दबाव दोनों ही स्थितियाँ शिक्षा के लिए चुनौती हैं। लेकिन सच्चे शिक्षक इन चुनौतियों के बीच भी अपने विद्यार्थियों के भविष्य को सँवारने में लगे रहते हैं। वे दिन-रात परिश्रम करके बच्चों को न केवल पढ़ाते हैं, बल्कि उनके सपनों को उड़ान देने का साहस भी देते हैं। यही उनकी महानता है।
शिक्षक दिवस हमें यह अवसर देता है कि हम अपने शिक्षकों के प्रति आभार व्यक्त कर सकें। यह केवल एक औपचारिक उत्सव नहीं है, बल्कि यह दिन हमें याद दिलाता है कि हम जिस भी मुकाम पर हैं, उसमें हमारे शिक्षकों की मेहनत और त्याग का बड़ा योगदान है। छात्र इस दिन अपने शिक्षकों को धन्यवाद देते हैं, समाज को यह संदेश जाता है कि शिक्षक का महत्व किसी भी पेशे से कम नहीं है, और सरकारों को भी यह सोचना चाहिए कि राष्ट्र निर्माण में शिक्षक की भूमिका को और सशक्त कैसे बनाया जाए।
हमारे जीवन में शिक्षक केवल विद्यालय या कॉलेज तक सीमित नहीं होते। माता-पिता, बड़े-बुजुर्ग, समाज और जीवन के अनुभव भी हमारे शिक्षक होते हैं। लेकिन विद्यालय के शिक्षक ही वे पहले मार्गदर्शक होते हैं जो हमें किताबों की दुनिया से वास्तविक जीवन की ओर ले जाते हैं। वे हमें यह सिखाते हैं कि कठिनाइयों से घबराना नहीं चाहिए, बल्कि उन्हें अवसर में बदलना चाहिए।
आज के युग में, जब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और रोबोटिक्स जैसी तकनीकें तेजी से आगे बढ़ रही हैं, तब भी शिक्षक की भूमिका अतुलनीय है। मशीनें जानकारी दे सकती हैं, परंतु प्रेरणा नहीं। किताबें ज्ञान दे सकती हैं, परंतु जीवन मूल्य नहीं। इंटरनेट दिशा दिखा सकता है, परंतु सही मार्ग चुनने की समझ शिक्षक ही दे सकते हैं। यही कारण है कि शिक्षक आज भी उतने ही आवश्यक हैं जितने प्राचीन काल में थे।
शिक्षक दिवस केवल एक पर्व नहीं, बल्कि यह हमें यह याद दिलाता है कि हमारे जीवन की सफलता में हमारे शिक्षकों का कितना बड़ा योगदान है। एक महान शिक्षक ही महान समाज और महान राष्ट्र का निर्माण करता है। डॉ. राधाकृष्णन का यह कथन आज भी उतना ही प्रासंगिक है – “सच्चे शिक्षक वही हैं जो हमें सोचने के लिए प्रेरित करें।” इसलिए हमें अपने शिक्षकों का सम्मान करना चाहिए, उनके बताए मार्ग पर चलना चाहिए और उनके सपनों का भारत बनाने की दिशा में कार्य करना चाहिए। यही शिक्षक दिवस का सच्चा संदेश है।
शम्भू शरण सत्यार्थी