कुछ व्यंग्य पर बिल्कुल सच

0
1011


बाप के कपड़े उतर गए,
बेटी को कपड़े पहनाने में।
बेटी के कपड़े उतर गए,
फॉलोअर्स को बढ़ाने में।।

बाप बेचारा थक गया,
रोटी दाल कमाने में।
बेटा अभी थका नही,
मस्ती मौज मनाने में।।

बाप गर्मी में जलता है,
मां चूल्हे में जलती है।
तब कही मुश्किल से
घर की रोटी चलती है।।

बाप तन ना ढक पाया,
बेचारा मर गया सर्दी में।
बच्चे ए सी में बैठे हैं,
मां बाप मर गए गर्मी में।।

ज्यों ज्यों फैशन बढ़ता गया,
तन का कपड़ा घटता गया।
ज्यों ज्यों महंगाई बढ़ती गई,
होटलों में भीड़ बढ़ती गई।।

ज्यों ज्यों चुनाव आते गए,
नेता लोग घरों में आते गए।
नए नए झूठे वादे करते गए,
पर पिछले वादे भूलते गए।।

ज्यों ज्यों पेट्रोल के दाम बढ़ते गए,
त्यो त्यो गाड़ियों में वृद्धि होती गई।
चलाने वाले कभी भी कम ना हुए,
शोर मचाने वाली की वृद्धि होती गई।।

आर के रस्तोगी

Previous articleकेंद्र सरकार की आपात ऋण गारंटी योजना व्यवसाईयों एवं एमएसएमई क्षेत्र के लिए सिद्ध हुई हैं एक वरदान
Next articleराजनीति नहीं, देशहित का दूरगामी अमृत बजट
आर के रस्तोगी
जन्म हिंडन नदी के किनारे बसे ग्राम सुराना जो कि गाज़ियाबाद जिले में है एक वैश्य परिवार में हुआ | इनकी शुरू की शिक्षा तीसरी कक्षा तक गोंव में हुई | बाद में डैकेती पड़ने के कारण इनका सारा परिवार मेरठ में आ गया वही पर इनकी शिक्षा पूरी हुई |प्रारम्भ से ही श्री रस्तोगी जी पढने लिखने में काफी होशियार ओर होनहार छात्र रहे और काव्य रचना करते रहे |आप डबल पोस्ट ग्रेजुएट (अर्थशास्त्र व कामर्स) में है तथा सी ए आई आई बी भी है जो बैंकिंग क्षेत्र में सबसे उच्चतम डिग्री है | हिंदी में विशेष रूचि रखते है ओर पिछले तीस वर्षो से लिख रहे है | ये व्यंगात्मक शैली में देश की परीस्थितियो पर कभी भी लिखने से नहीं चूकते | ये लन्दन भी रहे और वहाँ पर भी बैंको से सम्बंधित लेख लिखते रहे थे| आप भारतीय स्टेट बैंक से मुख्य प्रबन्धक पद से रिटायर हुए है | बैंक में भी हाउस मैगजीन के सम्पादक रहे और बैंक की बुक ऑफ़ इंस्ट्रक्शन का हिंदी में अनुवाद किया जो एक कठिन कार्य था| संपर्क : 9971006425

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

* Copy This Password *

* Type Or Paste Password Here *

17,516 Spam Comments Blocked so far by Spam Free Wordpress