बच्चों का पन्ना

सब ओलंपिक जीत लिये हैं

मम्मी किसको डाले दाने,

चिड़ियों के अब नहीं ठिकाने|

 

पितृ पक्ष में पापा कहते,

कौये जाने कहां रमाने|

 

तरस गईं हैं कब से दादी,

नील कंठ के दर्शन पाने|

 

मुर्गे अब तैयार नहीं हैं,

सुबह सुबह से बांग लगाने|

 

नहीं दिख रहे अब कठ फोड़े,

कहां चले गये हैं न जाने|

 

था गरीब का भोजन कोदों,

दुर्लभ हैं अब उसके दाने|

 

पापा कितने पैदल चलते,

मां से पूछा है दादा ने|

 

रोटी पर अधिकार जमाया,

चीज़ औ रवर्गर पिज्जा ने|

 

सब ओलंपिक जीत लिये हैं,

बेशर्मी और लाज हया ने|