त्रिवेणी स्नान आस्था के साथ साथ वैज्ञानिक महत्व भी रखता है यही सनातन है

– दिव्य अग्रवाल

अधात्यमिक दृष्टि के साथ साथ वैज्ञानिक दृष्टिगत जब कुम्भ स्नान किया जाता है तो एक मानव  शरीर को  में बहुत सारे हार्मोन्स ऐसे होते हैं जो संतुलित हो जाते हैं । ऑक्सीटोसिन,डोपामिन,सेरोटोनिन,एंडोर्फिन्स,कोर्टिसोल,मेलाटोनिन जैसे हार्मोन्स जिनमे त्रिवेणी स्नान के पश्चात सकारात्मक बदलाव होता है जो वैज्ञानिक शोध में प्रमाणित भी है। अब बात करते हैं श्रद्धा और विश्वास की तो सनातन में प्रकृति के प्रति सदैव ही आस्था रही है, गंगा स्नानं , त्रिवेणी स्नान , यज्ञ हवन , वृक्ष पूजा आदि को मोक्ष प्राप्ति के मार्ग से जोड़कर देखा जाता है । आप देखिए जब साधारण पानी को  एक पात्र में भरकर हम स्नान करते हैं तो उस पानी को नाली आदि में बहने देते हैं उस पानी को एकत्रित कर उससे पुनः स्नान नहीं करते लेकिन यह महाकुम्भ है जिसके पवित्र जल में एक साथ हजारो व्यक्ति एक ही स्थान पर एक ही जल से स्नान करते हैं, मिनरल वाटर पीने वाले लोग भी जिस जल में स्नान करते हैं उसी का आचमन भी करते हैं , यह वैज्ञानिक चमत्कार ही तो है यदि इस पवित्र जल को घर में भी रखा जाए तो जल बिलकुल स्वच्छ और निर्मल रहता है । 
स्वर्ग जाने हेतु समर्पण और जन्नत जाने हेतु विनाश इसीलिए सनातन सर्वमान्य है –

कुम्भ एक विशाल परम्परा जिसमे कोई भेद नहीं कोई भेदभाव नहीं , समूचा सनातनी समाज मां गंगा को अपनी मां मानकर उनको स्पर्श कर अभिभूत और आनंदित हो जाता है । श्रद्धा का यह भाव तो मोक्ष अर्थात परम आनंद प्रदान करता है हाँ यह बात अलग है की कुछ मजहबी पुस्तकों में दुसरो की हत्या करके ही जन्नत जाने का मार्ग बताया गया है तभी जिहादी समाज मानवता को रौंदने पर आतुर रहता है । जिन संसाधनों से यही पृथ्वी स्वर्ग का अनुभव कराती है सनातन में वह सब पूजनीय हैं लेकिन जिहादी समाज उन्ही संसाधनों के विनाश में जन्नत का मार्ग ढूंढता है।

यह त्रिवेणी महाकुंभ का प्रताप ही तो है की कोई सनातनी व्यक्ति किसी भी साधना या पूजा पद्धति में विश्वास रखता हो पर महाकुंभ में स्नान करने अवश्य पहुंच रहा है । 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here