जब सावन का महीना आता क्या पिया का संदेशा लाता ? जब बादल आसमां में गरजते एक दूजे के लिये क्यों तरसते ? जब बिजली आसमां में चमकती माथे की बिंदिया क्यों दमकती ? जब घनघोर घटायें घिरती विरहणी क्यों दिन में डरती ? जब दिन में ही रात हो जाती पिया की याद क्यों सताती ? जब नन्नी नन्नी बुंदियाँ आती ये किस की प्यास बुझाती ? जब चूड़ियाँ आपस में खनकती मुझ से ये कौन सी बाते करती ? जब सावन का महिना आता तन में आग्न क्यों लगाता ? जब आ जाये सावन में सजन क्यों हो जाता है ये मन मगन ? ये प्रश्न उभर कर मन में आते इनका उत्तर कोई नही दे पाते