गजल दिल का घाव नासूर बना November 27, 2014 / November 27, 2014 | Leave a Comment उफ़ अपने दिल की बात बतायें कैसे दिल पर हुए आघात जतायें कैसे| दिल का घाव नासूर बना अब मरहम लगायें कैसे कोई अपना बना बेगाना दिल को अब यह समझायें कैसे| कुछ गलतफहमी ऐसी बढ़ी बढ़ते-बढ़ते बढती गयी रिश्तें पर रज जमने सी लगी दिल पर पड़ी रज को हटायें कैसे| उनसे बात हुई […] Read more » दिल का घाव नासूर बना