फ़ेस बुक पेज़ से लेख शख्सियत उसूलों पर अडिग महातार्किक : पेरियार ई.वी.रामासामी September 19, 2020 / September 20, 2020 | Leave a Comment दक्षिण में हिन्दी विरोध, ब्राह्मणवाद विरोध, वेद विरोध, गीता विरोध, रामायण विरोध, धर्म विरोध आदि को नेतृत्व प्रदान करने वाले पेरियार ईरोड वेंकटप्पा रामासामी नायकर (17.9.1879- 24.12.1973) को यूनेस्को ने 27 जून 1970 को ‘नए युग का संत’, ‘दक्षिण-पूर्व एशिया का सुकरात’ और ‘समाज –सुधार आन्दोलन का जनक’ कहकर सम्मानित किया। मात्र चौथी कक्षा तक […] Read more » Periyar EV Ramasamy Stringent principles on principles: Periyar EV Ramasamy पेरियार ईरोड वेंकटप्पा रामासामी नायकर
लेख हिंदी दिवस नई शिक्षा नीति के चक्रव्यूह में हिन्दी September 12, 2020 / September 12, 2020 | Leave a Comment प्रो. अमरनाथचकित हूँ यह देखकर कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति- 2020 में संघ की राजभाषा या राष्ट्रभाषा का कहीं कोई जिक्र तक नहीं है. पिछली सरकारों द्वारा हिन्दी की लगातार की जा रही उपेक्षा के बावजूद 2011 की जनगणना रिपोर्ट के अनुसार आज भी देश की 53 करोड़ आबादी हिन्दी भाषी है. दूसरी ओर अंग्रेजी बोलने […] Read more » Hindi in the cycle of new education policy Hindi in the trap of new education policy NEP चक्रव्यूह में हिन्दी नई शिक्षा नीति
राजनीति लेख हिन्दी के योद्धा राजर्षि पुरुषोत्तमदास टण्डन के जन्मदिवस् पर August 2, 2020 / August 2, 2020 | Leave a Comment प्रो. अमरनाथ भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन के अग्रणी पंक्ति के नेता राजर्षि पुरुषोत्तमदास टण्डन (1.8.1882- 1.7.1962) का राजनीति में प्रवेश हिन्दी प्रेम के कारण ही हुआ. 17 फ़रवरी 1951 को मुजफ्फरनगर ‘सुहृद संघ’ के 17 वें वार्षिकोत्सव के अवसर पर टण्डन जी ने कहा था- “हिन्दी के पक्ष को सबल करने के उद्देश्य से ही मैंने कांग्रेस जैसी संस्था में प्रवेश किया, क्योंकि मेरे हृदय […] Read more » राजर्षि पुरुषोत्तमदास टण्डन
राजनीति प्रेमचंद का भाषा चिन्तन : सुझावों की नोटिस नहीं ली गई. August 1, 2020 / August 1, 2020 | 2 Comments on प्रेमचंद का भाषा चिन्तन : सुझावों की नोटिस नहीं ली गई. प्रो. अमरनाथ लेखक कलकत्ता विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर और हिन्दी विभागाध्यक्ष हैं आज भी प्रेमचंद (31.7.1880-8.10.1936) सबसे ज्यादा पढ़े जाने वाले हिन्दी के लेखकों में हैं. बड़े-बड़े विद्वानों के निजी पुस्तकालयों से लेकर रेलवे स्टेशनों के बुक स्टाल तक प्रेमचंद की किताबें मिल जाती है. प्रेमचंद की इस लोकप्रियता का एक कारण उनकी सहज सरल […] Read more » प्रेमचंद का भाषा चिन्तन