कला-संस्कृति साहित्य में राष्ट्रीय धारा ही मुख्यधारा का वैकल्पिक औजार April 11, 2014 | Leave a Comment जाति, नस्ल, धर्म व संप्रदाय की पूर्ण आहूति ही राष्ट्रीय धारा का शंखनाद -आशीष आशू- साहित्य में कई धाराओं या विचारों का समावेश होता है. एक पाठक के लिए साहित्य, समाज में व्याप्त अच्छे व बुरे गतिविधियों या चलन को जानने व समझने का माध्यम होता है. पाठक किसी भी लेखक व रचनाकार की दृष्टि […] Read more » national existence in literature साहित्य में राष्ट्रीय धारा ही मुख्यधारा का वैकल्पिक औजार
राजनीति बिहार का दलित जाये तो जाये कहां ? February 3, 2014 / February 3, 2014 | Leave a Comment -आशीष आशू- एक ओर जननायक के इंतजार में बिहार के बहुजन 15 अगस्त 2007 और 15 अगस्त 2013 के बीच क्या संबंध है. निश्चित तौर पर यह भारत देश की आजादी की तिथि है, लेकिन बात जब बिहार राज्य की हो तो, यह मामला दलित, अतिपिछड़ों व पिछड़ों की हकमारी के दिन के तौर […] Read more » Bihar dalit Nitish Kumar problems with Bihar dalits बिहार का दलित जाये तो जाये कहां ?