कविता साहित्य कविता ; लेन देन – दीपक खेतरपाल February 1, 2012 / February 1, 2012 | Leave a Comment लगती थी साथ साथ सीमा गांव और शहर की पर दोनों थे अलग अलग हवा शहर की एक दिन कर सीमा पार पंहुच गई गांव में और छोड़ आई वहां आलस्य फरेब मक्कारी आंकाक्षाएं महत्वआंकाक्षाएं बदले में ले आई निश्छलता निष्कपटता निस्वार्थ व्यव्हार पर इस लेन देन के बाद गांव गांव न रहा और ठुकरा […] Read more » city poem village कविता लेन देन