चिंतन दुराग्रही और नासमझ होते हैं एकतरफा सोचने वाले June 2, 2012 / June 2, 2012 | Leave a Comment डॉ. दीपक आचार्य यह दुनिया एक अजायबघर है जहाँ किसम-किसम के पशु-पक्षियों और मनुष्यों का ऎसा जमघट है जो कभी कम नहीं होने वाला। आदिकाल से साथ-साथ रहते हुए इन सभी की आदतों में कहीं न कहीं नकल और दोहराव के साथ अनुगमन और परिमार्जित आदतों को हृदयंगम कर लिए जाने की स्थितियाँ भी सामने […] Read more »
चिंतन जहाँ काँटे वहाँ कलह-कुटिलता जहाँ हरियाली वहाँ प्रेम-सुगंध May 31, 2012 / May 31, 2012 | Leave a Comment डॉ. दीपक आचार्य परिवेश का व्यक्ति और समुदाय पर खूब फर्क पड़ता है। परिवेश की हवाएँ और स्थितियाँ हर किसी को प्रभावित करती रहती हैं। आस-पास के हालातों से हर कोई किसी न किसी रूप में प्रभावित होता ही है चाहे वह मानव हो या पशु या फिर पेड़-पौधे। जिन क्षेत्रों में घर या प्रतिष्ठान […] Read more » कलह-कुटिलता हरियाली वहाँ प्रेम-सुगंध
चिंतन कर्त्तव्य कर्म हो सर्वोपरि यही सँवारता है व्यक्तित्व May 31, 2012 / May 31, 2012 | Leave a Comment डॉ. दीपक आचार्य हर आदमी के लिए विधाता ने मनुष्यता का आवरण देकर अपने कर्त्तव्य कर्म को पूर्ण करने के लिए धरा पर भेजा हुआ है। यह कर्म उसके स्वयं के लिए, घर-परिवार के लिए और समाज के लिए निहित हैं और इन्हीं की पूर्णता से उसके समग्र व्यक्तित्व का विकास होता है। इस कर्त्तव्य […] Read more » कर्त्तव्य कर्म हो सर्वोपरि सँवारता है व्यक्तित्व
चिंतन धार्मिकता का ढोंग है सबसे बड़ा अधर्म May 25, 2012 / May 25, 2012 | Leave a Comment डॉ. दीपक आचार्य धार्मिक होना अच्छी बात है लेकिन धार्मिकता का ढोंग पाल कर जमाने को भ्रमित करते रहना अपने आप में सबसे बड़ा अधर्म है। धर्म वही कहलाता है जिसे धारण करने पर वह धारणकर्त्ता की रक्षा करता है। इसका सीधा सा अर्थ यह है कि जो धर्म के अनुरूप आचरण करता है उसकी […] Read more » dont be superstitious धार्मिकता का ढोंग सबसे बड़ा अधर्म
चिंतन बेवजह शत्रुता का मतलब है पूर्वजन्म का प्रतिशोध May 23, 2012 / May 23, 2012 | Leave a Comment डॉ. दीपक आचार्य दुनिया में ऐसा कोई व्यक्ति नहीं होगा जिसके कोई मित्र या शत्रु न हों। व्यक्ति के जन्म के साथ ही राग-द्वेष के बीज अंकुरित होना शुरू हो जाते हैं जो कालान्तर में उम्र के बढ़ने के साथ ही अपना असर दिखाना शुरू कर देते हैं और उम्र ढलने तक पीछा नहीं छोड़ते। […] Read more » पूर्वजन्म का प्रतिशोध बेवजह शत्रुता
चिंतन अब गायब हो जाती है खुशी मेहमानों के आने पर May 22, 2012 / May 22, 2012 | 1 Comment on अब गायब हो जाती है खुशी मेहमानों के आने पर डॉ. दीपक आचार्य एक जमाना था जब मेहमानों के आगमन की सूचना भर से मन मयूर नाच उठता था और बड़े ही उत्साह व उल्लास से आवभगत की तैयारियाँ होती थीं। मेहमानों के आने पर घर-परिवार में किसी आनंद-उत्सव का माहौल पसर जाया करता था। जीवन के कई रंगों और उत्सवों में मेहमानवाजी भी किसी […] Read more »
चिंतन अनायास जो विचार आए लिख लें May 22, 2012 / May 22, 2012 | Leave a Comment डॉ. दीपक आचार्य अनायास जो विचार आए लिख लें दुबारा कभी पास नहीं फटकते ये दिव्य तरंगों का बहुत ही व्यापक संसार हमारे इर्द-गिर्द दिन-रात परिभ्रमण करता रहता है। इन तरंगों का सीधा संबंध उन सभी विषयों से होता है जो इतिहास में घट चुके हैं, घट रहे हैं और आने वाले समय में घटने […] Read more » write the thoughts विचार
चिंतन शुद्ध आचरण के बिना अर्थहीन हैं May 18, 2012 / May 18, 2012 | Leave a Comment डॉ. दीपक आचार्य शुद्ध आचरण के बिना अर्थहीन हैं सकारात्मकता अपनाने के उपदेश उपदेशों की हर जगह भरमार है। अपने यहाँ से लेकर सभी जगह जनसंख्या का सर्वाधिक प्रतिशत उन्हीं लोगों का है जो अच्छे उपदेश देने में माहिर हैं। भले ही उनकी कथनी और करनी में कहीं कोई मेल नहीं हो, पर उपदेश देने […] Read more » try to b optimistic शुद्ध आचरण के बिना अर्थहीन सकारात्मकता अपनाने के उपदेश
चिंतन चुनाव विश्लेषण खुद को ऊँचा उठाने इतना भी नीचे न गिरे May 15, 2012 / May 15, 2012 | Leave a Comment डॉ. दीपक आचार्य हर दिशा में लोगों की भीड़ बेतहाशा भाग रही है। सभी को अपने नम्बर बढ़ाने की पड़ी है। जो नम्बरी हैं उन्हें भी, और जो गैर नम्बरी हैं उन्हें भी। प्रतिभाओं और हुनर से बेखबर या कि शून्य लोगों की सबसे बड़ी समस्या ही यह है कि वे अपना वजूद कायम करने […] Read more » dont try to be so great खुद को ऊँचा उठाने इतना भी नीचे न गिरे
चिंतन बद् दुआएँ न लें,ये ही करती हैं बरबाद May 13, 2012 / May 13, 2012 | 1 Comment on बद् दुआएँ न लें,ये ही करती हैं बरबाद डॉ. दीपक आचार्य दुआओं का जितना असर होता है उससे कहीं ज्यादा असर होता है बद् दुआओं का। क्योंकि दुआएँ देते वक्त प्रसन्नता का भाव होता है और बद्दुआएं देते वक्त आक्रोष का। सामान्यतः किसी भी व्यक्ति के लिए चरम प्रसन्नता के क्षण जीवन में बहुत थोड़े आते हैं लेकिन चरम क्रोध और आक्रोष के […] Read more » बद् दुआएँ न लें
चिंतन पशुता का लक्षण है जुगाली May 12, 2012 | Leave a Comment अशुद्ध मुख से आती है दरिद्रता डॉ. दीपक आचार्य मनुष्य का शरीर धारण कर लेने से ही जीवन सफल नहीं हो जाता बल्कि मनुष्यता की पूर्णता और जीवन लक्ष्य पाने के लिए जिन सिद्धान्तों, आचार-विचारों और व्यवहारों की जरूरत होती है उनका पूरी तरह परिपालन करने से ही मनुष्य योनि की प्राप्ति धन्य हो सकती […] Read more » अशुद्ध मुख से आती है दरिद्रता पशुता का लक्षण है जुगाली
चिंतन तय सीमा में करें काम-काज May 12, 2012 / May 12, 2012 | 1 Comment on तय सीमा में करें काम-काज डॉ. दीपक आचार्य संसार के प्रत्येक कर्म की एक निर्धारित समय सीमा होती है जो कार्य विशेष के अनुरूप कम-ज्यादा रहती है। हर काम समय पर होना चाहिए, इसके साथ ही यह जरूरी है कि इसके संपादन के लिए दी गई तयशुदा समय सीमा में ही पूर्ण होना चाहिए। प्रत्येक मनुष्य के लिए हर काम […] Read more » सीमा में करें काम-काज