गजल जिंदगी पाँव में घुँघरू बंधा देती है June 7, 2011 / December 11, 2011 | Leave a Comment जिंदगी पाँव में घुँघरू बंधा देती है जब चाहे जैसे चाहे नचा देती है। सुबह और होती है शाम कुछ और गम कभी ख़ुशी के नगमें गवा देती है। कहती नहीं कुछ सुनती नहीं कुछ कभी कोई भी सजा दिला देती है। चादर ओढ़ लेती है आशनाई की हंसता हुआ चेहरा बुझा देती है। चलते […] Read more » life घुँघरू जिंदगी
गजल न बादल होता न बरसात होती June 4, 2011 / December 12, 2011 | Leave a Comment न बादल होता न बरसात होती न बादल होता न बरसात होती दिन अगर न होता न रात होती। गम ही न होता अगर जिंदगी में बहार से भी न मुलाक़ात होती। नए लोगों की जो आमद न होती रंगों से कैसे फिर मुलाक़ात होती। लफ्ज़ ख़ूबसूरत लिखने न आते मुहब्बत में हमें फिर मात […] Read more »
गजल इतनी बेरूखी कभी अच्छी नहीं May 23, 2011 / December 12, 2011 | Leave a Comment इतनी बेरूखी कभी अच्छी नहीं ज्यादा दीवानगी भी अच्छी नहीं। फासला जरूरी चाहिए बीच में इतनी दिल्लगी भी अच्छी नहीं। मेहमान नवाजी अच्छी लगती है सदा बेत्क्लुफ्फी भी अच्छी नहीं। कहते हैं प्यार अँधा होता है मगर आँखों की बेलिहाज़ी भी अच्छी नहीं। हर बात का एक दस्तूर होता है प्यार में खुदगर्जी भी अच्छी […] Read more »
गजल प्यादे बहुत मिले मगर वज़ीर न मिला May 18, 2011 / December 13, 2011 | 3 Comments on प्यादे बहुत मिले मगर वज़ीर न मिला प्यादे बहुत मिले मगर वज़ीर न मिला सबकुछ लुटा दे ऐसा दानवीर न मिला। जिसे दरम चाहिए न चाहिए दीनार ऐसा कोई मौला या फकीर न मिला। अपनी फकीरी में ही मस्त रहता हो फिर ऐसा कोई संत कबीर न मिला। प्यार के किस्से सारे पुराने हो चले अब रांझा ढूंढता अपनी हीर न मिला। […] Read more » प्यादे बहुत मिले वज़ीर न मिला