कविता कविता/ मैं भावनाओं में बह गया था April 2, 2011 / December 14, 2011 | 6 Comments on कविता/ मैं भावनाओं में बह गया था मैं भावनाओं में बह गया था मुझे नहीं मालूम ऊंच -नीच मेरे पास पढाई की डिग्री नहीं है मैं अनपढ़ हूँ मुझे क्या पता यहाँ डिग्री की जरुरत होती है मैं अनपढ़ हूँ डिग्री धारी होता तो गरीबों का पेट काटता , खून चूसता देश को गर्त में ले जाता बड़े -बड़े घोटाले और मजलूमों […] Read more »
कविता वो भोली गांवली March 26, 2011 / December 14, 2011 | 2 Comments on वो भोली गांवली जलती हुई दीप बुझने को ब्याकुल है लालिमा कुछ मद्धम सी पड़ गई है आँखों में अँधेरा सा छाने लगा है उनकी मीठी हंसी गुनगुनाने की आवाज बंद कमरे में कुछ प्रश्न लिए लांघना चाहती है कुछ बोलना चाहती है संम्भावना ! एक नव स्वपन की मन में संजोये अंधेरे को चीरते हुए , मन […] Read more »