लेख पीढ़ियों और संस्कृतियों के बीच सेतु होतीं हैं पुस्तकें ! April 22, 2025 / April 22, 2025 | Leave a Comment सुनील कुमार महला 23 अप्रैल को हर साल ‘विश्व पुस्तक और कापीराइट दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। पुस्तकें ज्ञान का अथाह भंडार होतीं हैं तथा ये किताबें ही होतीं हैं जो हमारे अतीत और भविष्य के बीच एक योजक कड़ी के रूप में काम करतीं हैं। जे.के. रोलिंग ने यह बात कही है कि-‘यदि आपको पढ़ना पसंद नहीं है तो आपको सही किताब नहीं मिली है।’ कहना ग़लत नहीं होगा कि किताबें और दरवाज़े एक ही चीज़ हैं। आप उन्हें खोलते हैं, और आप दूसरी दुनिया में चले जाते हैं। वास्तव में, किताबें पीढ़ियों और संस्कृतियों के बीच एक सेतु की भूमिका निभाती हैं। यह दिवस यूनेस्को द्वारा स्थापित किया गया था और इसका उद्देश्य साहित्य के विभिन्न रूपों का लुत्फ़ उठाना, पढ़ने की आदतों को बढ़ावा देना और कॉपीराइट के महत्व को उजागर करना है। उपलब्ध जानकारी के अनुसार सर्वप्रथम वर्ष 1995 में, यूनेस्को ने 23 अप्रैल को विश्व पुस्तक एवं कॉपीराइट दिवस के रूप में नामित किया था क्योंकि इस दिन महान् नाटककार विलियम शेक्सपियर, इंका गार्सिलसो-डे-ला-वेगा और मिगुएल डे सर्वेंट्स सहित कई महान लेखकों की मृत्यु हुई थी। इसके अतिरिक्त, उपलब्ध जानकारी के अनुसार यूनेस्को ने वर्ष 1995 में पेरिस में आयोजित अपने महाधिवेशन के कारण भी 23 अप्रैल को ही यह दिन तय किया था। इसमें लेखकों और उनकी अनुकरणीय पुस्तकों को श्रद्धांजलि दी गई तथा उनका स्मरण किया गया था। यह भी उल्लेखनीय है कि विश्व पुस्तक दिवस पहली बार 7 अक्टूबर, 1926 को मनाया गया था और विसेंट क्लेवेल एन्ड्रेस ने विश्व पुस्तक दिवस मनाने का विचार 1922 में प्रस्तुत किया। यहां पाठकों को यह भी जानकारी देना चाहूंगा कि स्पेन के एक क्षेत्र कैटेलोनिया में, 23 अप्रैल को ला दीदा डे सैंट जोर्डी (सेंट जॉर्ज डे) के रूप में जाना जाता है और इस दिन प्रेमी-प्रेमिकाओं के लिए पुस्तकों और गुलाबों का आदान-प्रदान करना पारंपरिक है। गौरतलब है कि विश्व पुस्तक एवं कॉपीराइट दिवस आधिकारिक तौर पर 1955 में मनाया गया था। हालाँकि, इस दिन की शुरुआत 1922 में विसेंट क्लेवेल एंड्रेस द्वारा एक महान स्पेनिश लेखक मिगुएल डे सर्वेंट्स के सम्मान में की गई थी। वास्तव में यह दिवस विभिन्न लेखकों, साहित्यकारों, विद्वानों, विदुषियों, पत्रकारों, प्रकाशकों, साहित्य में रूचि रखने वालों, शिक्षकों, शिक्षार्थियों तथा पुस्तकालयों की दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण दिवस है। आज सोशल नेटवर्किंग साइट्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) का युग है। इंटरनेट , इ-मेल, सूचना क्रांति का युग है और इस दौर में कापीराइट की आवश्यकता कहीं अधिक हो गई है क्योंकि यह कापीराइट ही है जो कि रचनाकारों की रचनाओं की सुरक्षा करता है। पाठकों को बताता चलूं कि कापीराइट कानून में क्रमशः किसी पेंटिंग, फ़ोटोग्राफ़, चित्रण,संगीत रचनाओं, ध्वनि रिकॉर्डिंग,कंप्यूटर प्रोग्राम, नाटक, फिल्म,किताबों, वास्तुशिल्प का कार्य, कविताओं, कहानियों समेत ब्लॉग पोस्ट या किसी भी प्रकार के साहित्य को शामिल किया जा सकता है। वास्तव में कॉपीराइट, रचनाकार की सुरक्षा करता है ताकि कोई भी व्यक्ति बिना अनुमति के उसकी नकल या इस्तेमाल न कर सके। सरल शब्दों में कहें तो कॉपीराइट, किसी रचना या आविष्कार के बारे में अनन्य रूप से प्रकाशित करने, बेचने, वितरित करने या फिर से बनाने का एक तरह से एक विशेष कानूनी अधिकार है। आज कापी पेस्ट का जमाना है और बहुत से लोग इधर-उधर से किसी साहित्यिक मैटर(सामग्री)को उठाकर हू-ब-हू अपने नाम से इस्तेमाल कर लेते हैं जो कि कापीराइट का सीधा उल्लंघन है। आमतौर पर कापीराइट एक तरफ से ‘बौद्धिक संपदा कानून’ है। हम कह सकते हैं कि ‘कॉपीराइट , साहित्यिक, संगीतमय, नाटकीय या कलात्मक कार्य को पुनरुत्पादित करने, वितरित करने और प्रदर्शन करने का अनन्य, कानूनी रूप से सुरक्षित अधिकार है।’ यह बहुत ही दुखद है कि आज कोई भी व्यक्ति किसी के काम को(साहित्यिक, कलात्मक आदि) को बिना मूल लेखक/कलाकार की अनुमति के उसके(लेखक विशेष) काम को पुनः तोड़-मरोड़कर प्रस्तुत करता है, अथवा इसे प्रकाशित करता है, तथा इसे सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित करता है, या इसे फिल्माता है, अथवा इसे किसी अन्य रूप में प्रसारित या इसका रूपांतरण आदि करता है, तो इसे किसी भी हाल और परिस्थितियों में जायज़ नहीं ठहराया जा सकता है,यह बहुत ही ग़लत है। आज विभिन्न साहित्यिक कृतियों जैसे कि पुस्तकों, लेखों, कविताओं, उपन्यासों और कंप्यूटर अनुप्रयोग आदि, नाट्य कृतियों जैसे कि नाटक, पटकथाओं और प्रदर्शन के लिए स्क्रिप्ट आदि,संगीतमय कृतियों जैसे कि विभिन्न रचनाओं, धुनों और संगीत आदि, विभिन्न कलात्मक कृतियों जैसे कि पेंटिंग, रेखाचित्रों, फोटोग्राफ, मूर्तियों और वास्तुशिल्पीय कृतियों आदि,सिनेमैटोग्राफ फिल्मों जैसे कि दृश्य कथाओं सहित चलचित्रों, वृत्तचित्रों और वीडियो सामग्री आदि तथा ध्वनि रिकॉर्डिंग जैसे कि किसी गाने, भाषण या किसी भी रिकॉर्ड की गई ध्वनि की ध्वनि रिकॉर्डिंग आदि को बिना मूल लेखक/कलाकार की अनुमति के किसी अन्य व्यक्ति द्वारा प्रस्तुत कर दिया जाता है जबकि वह उसका स्वयं का लिखा/बनाया गया नहीं होता है तो यह कापीराइट का सीधा उल्लंघन है। एक उपलब्ध जानकारी के अनुसार भारत में, कॉपीराइट अधिनियम 1957 निर्माता को 60 वर्षों के लिए सुरक्षा प्रदान करता है। यहां पाठकों को बताता चलूं कि इस अधिनियम का मकसद, लेखकों, प्रकाशकों, और उपभोक्ताओं के बीच संतुलन बनाए रखना है तथा इस अधिनियम में अब तक कई संशोधन भी हो चुके हैं, जिसमें सबसे हालिया संशोधन वर्ष 2012 में हुआ था। विकीपीडिया पर उपलब्ध एक जानकारी के अनुसार ‘2016 के कॉपीराइट मुकदमे में, दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा कि कॉपीराइट ‘कोई अपरिहार्य, दैवीय या प्राकृतिक अधिकार नहीं है जो लेखकों को उनकी रचनाओं का पूर्ण स्वामित्व प्रदान करता है, बल्कि इसे जनता के बौद्धिक संवर्धन के लिए कला में गतिविधि और प्रगति को प्रोत्साहित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। कॉपीराइट का उद्देश्य ज्ञान की फसल को बढ़ाना है, न कि उसे बाधित करना। इसका उद्देश्य जनता को लाभ पहुँचाने के लिए लेखकों और आविष्कारकों की रचनात्मक गतिविधि को प्रेरित करना है।’ बहरहाल,कॉपीराइट(प्रतिलिप्यधिकार) अधिनियम 1957 ‘विचारों के बजाय विचारों की अभिव्यक्ति को सुरक्षा प्रदान करता है।’ कॉपीराइट (संशोधन) नियम 2021 को कॉपीराइट के अन्य प्रासंगिक कानूनों के अनुरूप लाने के लिये कार्यान्वित किया गया था। वर्ष 2025 में विश्व पुस्तक और कॉपीराइट दिवस की थीम ‘रीड योर वे'(अपने तरीके से पढ़ें) रखी गई है। ‘विश्व पुस्तक और कापीराइट दिवस’ पर हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि हम अपने जीवन में अधिकारी किताबें पढ़ें, पुस्तकों का दान करें। पढ़ने से ज्ञान में बढ़ोत्तरी होती है,हम सक्रिय बनते हैं। हमारी शब्दावली का विकास पढ़ने से ही होता है। पढ़ने से हमारा अवसाद और तनाव कम होता है। हमें यह याद रखना चाहिए कि ‘किताबें दुनिया चलातीं हैं।’ सच तो यह है कि किताबों के पन्नों के बीच ज्ञान की बड़ी शक्ति छुपी होती है और ज्ञान ही असली शक्ति है। वास्तव में, ‘किताबें एक अनोखा पोर्टेबल जादू हैं।’कहना गलत नहीं होगा कि लेखन और पठन हमारे अलगाव की भावना को कम करते हैं। वे हमारे जीवन की भावना को गहरा और व्यापक बनाते हैं। संक्षेप में कहें तो वे आत्मा को पोषण देते हैं।सिसेरो ने कहा है-‘पुस्तकों के बिना एक कमरा आत्मा के बिना शरीर की तरह है।’ सुनील कुमार महला Read more » पीढ़ियों और संस्कृतियों के बीच सेतु होतीं हैं पुस्तकें पुस्तकें
लेख मनुष्य और प्रकृति का रिश्ता है शाश्वत ! April 21, 2025 / April 21, 2025 | Leave a Comment हाल ही में जम्मू-कश्मीर में बादल फट जाने से बहुत तबाही मची।सच तो यह है कि प्रकृति समय-समय पर मानव को अपना प्रकोप दिखा रही है और कहीं न कहीं मानव को आगाह कर रही है कि अभी भी यदि हमने अपने पर्यावरण और प्रकृति पर ध्यान नहीं दिया तो आने वाले समय में हमें […] Read more » The relationship between man and nature is eternal मनुष्य और प्रकृति
खेत-खलिहान पर्यावरण खूब बरसेगा मानसून, जल-नियोजन जरूरी ! April 21, 2025 / April 21, 2025 | Leave a Comment हाल ही में आईएमडी (भारतीय मौसम विभाग) ने यह जानकारी दी है कि इस बार देश में जमकर बारिश होगी। आईएमडी का अनुमान है कि इस बार मानसून में औसत से 105% अधिक बारिश होगी।मौसम विभाग की ओर से ये भविष्यवाणी ऐसे समय में आई है जब देश के कई हिस्से भीषण गर्मी से जूझ […] Read more » Monsoon will rain heavily water harvesting is necessary
लेख मनुष्य के दुश्मन नहीं, हितकारी हैं समस्त पशु-पक्षी ! April 14, 2025 / April 16, 2025 | Leave a Comment सुनील कुमार महला सोशल नेटवर्किंग साइट्स के फायदे भी बहुत हैं। हाल ही में फेसबुक पर राजस्थान के एक स्थानीय यू-ट्यूब रील्स कलाकार(कामेडियन) की एक फेसबुक पोस्ट देखी। पोस्ट ने इस लेखक को बहुत अधिक प्रभावित किया। दरअसल, यह पोस्ट भीषण गर्मी में रेगिस्तान में पशुओं को पानी पिलाने के संदर्भ में थी। राजस्थान में […] Read more » हितकारी हैं समस्त पशु- पक्षी
राजनीति तहव्वुर राणा का प्रत्यर्पण: भारत की एक बड़ी सफलता April 11, 2025 / April 11, 2025 | Leave a Comment सुनील कुमार महला आतंकवाद भारत ही नहीं बल्कि संपूर्ण विश्व के लिए आज भी एक नासूर है और हाल ही में इस नासूर पर लगाम लगाने के क्रम में मुंबई धमाकों 2008 के साजिशकर्ता तहव्वुर राणा को अमेरिका से भारत लाया गया है। कहना ग़लत नहीं होगा कि यह भारत की आतंकवाद के खिलाफ एक […] Read more » Extradition of Tahawwur Rana तहव्वुर राणा का प्रत्यर्पण
खान-पान नकली/मिलावटी दूध का खेल: अर्थव्यवस्था और स्वास्थ्य को चंपत ! April 10, 2025 / April 10, 2025 | Leave a Comment दूध सदियों सदियों से हमारी सनातन भारतीय संस्कृति और खान-पान का बहुत ही अहम् हिस्सा रहा है। वास्तव में दूध शुद्धता और पोषण का प्रतीक रहा है। इसीलिए हमारी सनातन संस्कृति में दूध को ‘अमृत’ की संज्ञा दी गई है।एक उपलब्ध जानकारी के अनुसार दूध उत्पादन के मामले में भारत दुनिया का नंबर-1 देश है […] Read more »
राजनीति आपसी संवाद, जनता की जागरूकता से खत्म होगा नक्सलवाद April 7, 2025 / April 7, 2025 | Leave a Comment हाल ही में 5 अप्रैल 2025 को दंतेवाड़ा में बस्तर पंडुम महोत्सव में समापन समारोह के दौरान हमारे देश के केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने यह बात कही है कि अगली चैत्र नवरात्रि तक बस्तर से लाल आतंक समाप्त हो जाएगा।इस दौरान उन्होंने बस्तर की खुशहाली की कामना की। पाठकों को बताता चलूं […] Read more » खत्म होगा नक्सलवाद
आर्थिकी राजनीति अमेरिकी टैरिफ: भारत को नुकसान या फायदा ? April 5, 2025 / April 7, 2025 | Leave a Comment हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने टैरिफ की घोषणा की है। गौरतलब है कि ट्रंप के 60 देशों पर पारस्पिरक टैरिफ लगाया है। इनमें भारत भी शामिल है। अमेरिका ने भारत पर 27 प्रतिशत टैरिफ लगाने का फैसला किया है। यहां यदि हम टैरिफ की बात करें तो यह वस्तुओं के आयात पर […] Read more » अमेरिकी टैरिफ
राजनीति चिंताजनक है वनों पर अतिक्रमण April 4, 2025 / April 4, 2025 | Leave a Comment वन क्षेत्र संकट में हैं। इन पर अतिक्रमण हो रहा है, यह केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की रिपोर्ट कहती है। पाठकों को बताता चलूं कि केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, देश के 25 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 13,056 वर्ग किमी वन क्षेत्र पर अतिक्रमण हुआ है, जो दिल्ली के कुल क्षेत्रफल से […] Read more » Encroachment on forests is a matter of concern वनों पर अतिक्रमण
राजनीति जल और ऊर्जा: मितव्ययिता के साथ विवेकपूर्ण उपयोग जरूरी April 3, 2025 / April 3, 2025 | Leave a Comment वर्तमान में अप्रैल का महीना चल रहा है और अभी से ठीक-ठाक गर्मी पड़ने लगी है।अभी से ही उत्तर भारत गर्मी का सामना करने लगा है। पाठकों को जानकारी देना चाहूंगा कि हाल ही में इस संदर्भ में भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने अलर्ट जारी किया है।आईएमडी का यह अनुमान है कि इस बार […] Read more » : judicious use along with frugality is essential Water and energy
खान-पान खेत-खलिहान राजनीति भू-जल प्रबंधन,कुशल सिंचाई प्रबंधन व वर्षा जल संचयन आवश्यक है April 1, 2025 / April 1, 2025 | Leave a Comment जल मनुष्य ही नहीं इस धरती के समस्त प्राणियों व वनस्पतियों की मूलभूत आवश्यकता है। जल बिना जीवन संभव नहीं है। वास्तव में,पंचतत्व जीवन के लिए आधार माने गए हैं। उसमें से एक तत्व जल भी है। एक शोध के मुताबिक आज जिस रफ्तार से जंगल खत्म हो रहे हैं उससे तीन गुना अधिक रफ्तार से […] Read more » efficient irrigation management and rain water harvesting are essential Ground water management कुशल सिंचाई प्रबंधन व वर्षा जल संचयन
कला-संस्कृति प्राकृतिक और वैज्ञानिक तथ्यों को समाहित करता है नवसंवत्सर March 30, 2025 / March 31, 2025 | Leave a Comment (30 मार्च नवसंवत्सर विशेष आलेख) हिंदू नववर्ष-2025 यानी कि नये विक्रम संवत् का शुभारंभ 30 मार्च दिन रविवार से हो रहा है।इस दिन विक्रम संवत 2082 का पहला दिन होगा। उल्लेखनीय है कि हिंदू नववर्ष अंग्रेजी कैलेंडर से 57 वर्ष आगे चलता है। इस समय अंग्रेजी कैलेंडर का वर्ष 2025 है, जबकि हिंदू नववर्ष 2082 […] Read more » नवसंवत्सर हिंदू नववर्ष-2025