कला-संस्कृति रामचरितमानस में श्रीराम दर्शन August 28, 2025 | Leave a Comment डॉ. नीरज भारद्वाज भगवान श्रीराम के दर्शनों के लिए यह मानव रूपी जीव लालायित रहा है। भगवान का धरा धाम पर आना भी एक पूर्ण योजना के आधार पर ही होता है। गोस्वामी तुलसीदास लिखते हैं कि, जब–जब होई धर्म कै हानी। बाढ़हिं असुर अधम अभिमानी।। तब तब धरि प्रभु विविध शरीरा, हरहि दयानिधि सज्जन पीरा।। भगवान श्रीमद्भगवतगीता के अध्याय चार के श्लोक […] Read more »
लेख देश का आधार : शिक्षा और स्वास्थ्य August 8, 2025 / August 8, 2025 | Leave a Comment डॉ. नीरज भारद्वाज किसी भी विकसित राष्ट्र के लिए शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं बहुत महत्वपूर्ण हैं। दोनों ही देश के विकास के मजबूत पहिए भी हैं। कहा जाता है कि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का वास होता है। इस दृष्टि से हर व्यक्ति का स्वस्थ रहना और शिक्षा प्राप्त करना मूलभूत आवश्यकता है। हमारे देश के अलग-अलग […] Read more » Foundation of the country: Education and health शिक्षा और स्वास्थ्य
लेख समाज दीवारों से घिरे लोग July 25, 2025 / July 25, 2025 | Leave a Comment डॉ. नीरज भारद्वाज सिनेमा, साहित्य और समाज सभी हमें अलग-अलग पक्षों पर अलग-अलग शिक्षा देते हैं। सिनेमा और साहित्य दोनों ही समाज का अंग हैं। इस दृष्टि से समझे तो समाज सबसे बड़ी शक्ति है, इसमें सभी कुछ दिखाई देता है। व्यक्ति समाज में जीवन यापन करता है और समाज के साथ ही रहता है। जो समाज […] Read more » people surrounded by walls दीवारों से घिरे लोग
चिंतन धर्म-अध्यात्म राम जन्म के हेतु अनेका June 24, 2025 / June 24, 2025 | Leave a Comment डॉ. नीरज भारद्वाज राम शब्द सुनते ही मन मस्तिष्क में रामचरितमानस का जाप शुरू हो जाता है। राम नाम एक मंत्र है, जिसने भी इसे जपा, भजा और गाया वह इस आवागमन के चक्कर से मुक्त हो गया। इस चराचर जगत में श्रीराम की ही महिमा है। भगवान श्रीराम के प्रकट होने से लेकर उनके […] Read more » राम जन्म भूमि
राजनीति विकसित भारत के संकल्प में सहयोगी क्रांतियाँ June 10, 2025 / June 10, 2025 | Leave a Comment डॉ. नीरज भारद्वाज विकसितभारत के संकल्प को पूरा करने में देश के हर क्षेत्र और व्यक्ति का बहुत महत्वपूर्ण योगदान है। विकसित भारत के संकल्प को साकार करने में और देश को आगे बढ़ाने में आजादी के बाद से ही समय-समय विभिन्न क्रांतियों ने एक बड़ी भूमिका निभाई है। क्रांति शब्द सुनकर माना यह जाता […] Read more » Revolutions that support the resolution of a developed India विकसित भारत विकसित भारत के संकल्प में सहयोगी क्रांतियाँ
राजनीति विकसित भारत : संकल्प का प्रथम कदम June 2, 2025 / June 2, 2025 | Leave a Comment डॉ. नीरज भारद्वाज इतिहास के कुछ पन्ने हमें यह भी बताते हैं कि जब हमारा देश स्वतंत्र हुआ तो पाश्चात्य देश यह कहते थे कि भारतवर्ष स्वतंत्रता को ज्यादा दिन तक संभाल नहीं पाएगा। इस देश का विकास होना संभव नहीं है। माना कि यह बात उस समय और परिस्थिति के आधार पर कुछ समीक्षकों और बुद्धिजीवियों […] Read more » Developed India : First step towards resolution विकसित भारत
राजनीति जल जीवन मिशन April 4, 2025 / April 4, 2025 | Leave a Comment डॉ. नीरज भारद्वाज जल बचाने का हम सभी को अपने जीवन में मिशन बनाना होगा वरना आने वाली पीढ़ी के लिए बहुत बड़ा संकट हम खड़ा करने जा रहे हैं। जल है तो कल है, इस बात को भी हमें समझना-जानना होगा। भारतवर्ष गांव का देश है, गांवों में भारत की आत्मा का वास है, […] Read more » जल जीवन मिशन
कला-संस्कृति गीता : जीवन का ज्ञान April 1, 2025 / April 1, 2025 | Leave a Comment डॉ. नीरज भारद्वाज गीता ज्ञान, भक्ति, कर्म, साधना योग आदि सभी का भंडार है। गीता को जिसने समझ लिया उसका यह जीवन अर्थात इहलोक और परलोक दोनों ही संवर जायेगें। गीता गहन चिंतन-मनन और जीवन में उतारे का विषय है। इसमें रचा बसा एक-एक शब्द रूपी मोती जीवन को बदल देता है। भारतीय ज्ञान परंपरा […] Read more » Geeta : Knowledge of Life गीता
धर्म-अध्यात्म जीवन को पहचानो March 25, 2025 / March 25, 2025 | Leave a Comment डॉ. नीरज भारद्वाज ऋग्वेद में लिखा है- मनुर्भव जनया देव्यं जनम् अर्थात मनुष्य को अपने आप को सच्चा मनुष्य बनाना चाहिए और दिव्य गुणों वाली संतानों को जन्म देना चाहिए। दूसरे शब्दों में कहें तो सुयोग्य मनुष्यों के निर्माण में लगातार प्रयास करना चाहिए। व्यक्ति किसी पद पर पहुंचे या ना पहुंचे पर उसे सच्चा व्यक्ति और […] Read more » जीवन को पहचानो
लेख भाषा विवाद नहीं, संवाद है। March 10, 2025 / March 11, 2025 | Leave a Comment डॉ. नीरज भारद्वाज 21वीं सदी के सभी माध्यमों ने देश-दुनिया की दूरियों को कम कर दिया है और विश्वग्राम (ग्लोबल विलेज) की परिकल्पना को सार्थक सिद्ध कर दिया है। इस अत्याधुनिक दौर में चलत-फि़रते, सोते-जागते, यहाँ-वहाँ, देश-दुनिया का व्यक्ति आपस में जुड़ा हुआ है। वह देश-दुनिया की घटनाओं को जानने, समझने, सुनने और देखने में सक्षम भी दिखाई दे रहा […] Read more » भाषा संवाद है
लेख चाल का जाल February 17, 2025 / February 17, 2025 | Leave a Comment डॉ. नीरज भारद्वाज व्यक्ति जब किसी समाज का सदस्य बनता है तो वह उस समाज में रहने के लिए, उसके सदस्यों से सम्बन्ध बनाए रखने के लिए उस समाज के तौर-तरीके, आचार-व्यवहार और भाषा को सीखता है, इससे वह अन्य सदस्यों के साथ भली-भाँति उठ बैठ सकता है और उसके व्यवहार में कोई बात अनुचित न लगे ऐसा […] Read more »
लेख सेवा का फल सेवा January 14, 2025 / January 14, 2025 | Leave a Comment डॉ. नीरज भारद्वाज सेवा समर्पण का भाव है। समाज और सामाजिक दायित्वबोध दोनों ही शब्द महत्वपूर्ण है। समाज हमें जीने का तरीका और हमें उससे बंधे रहने का तरीका सिखा देता है। दूसरी ओर सामाजिक दायित्वबोध हमें कितने ही रिश्ते, नाते और कड़ियों से जोड़े रखता है। समाज के हित में ही व्यक्ति का हित छिपा […] Read more » fruit of service service सेवा का फल सेवा