पर्यावरण लेख शुरू होनी चाहिए पर्यावरणीय मुद्दों को मुख्यधारा में लाने की चुनावी प्रथाएं April 9, 2024 / April 9, 2024 | Leave a Comment राजनीतिक दलों को जलवायु परिवर्तन पर सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाने और ग्लोबल वार्मिंग को कम करने के लिए स्पष्ट रूप से कदम उठाने के लिए प्रतिबद्ध होना चाहिए। राजनीतिक दलों को उन कदमों के बारे में बताना चाहिए जो वे भारत पर ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव को कम करने के लिए उठाएंगे। यदि भारत वैश्विक व्यवस्था […] Read more » Electoral practices should be started to bring environmental issues into the mainstream.
आर्थिकी लेख स्वास्थ्य, शिक्षा और सामाजिक क्षेत्रों में व्यापक सुधार की जरूरत February 6, 2024 / February 6, 2024 | Leave a Comment 2024 का अंतरिम बजट प्रशासनिक रवायत है क्योंकि पूर्ण बजट तो जुलाई में आएगा‚ जिस पर नई सरकार का रिपोर्ट कार्ड़ स्पष्ट नजर आएगा। व्यवसायों को फलने-फूलने के लिए एक सक्षम वातावरण बनाने, पर्यावरण से संबंधित मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने और समाज के हाशिए पर रहने वाले वर्ग के उत्थान की आवश्यकता है। यह […] Read more »
लेख राम मंदिर: सियासी मंच या आस्था का उत्सव January 11, 2024 / January 11, 2024 | Leave a Comment राजनीति अपनी जगह है लेकिन राम मंदिर करोडों भारतीयों के लिए आस्था का विषय है। राजनीति कैसे साधारण विषयों को भी उलझाकर मुद्दे में तब्दील कर देती है, रामजन्मभूमि का विवाद इसका उदाहरण है। आज के भारत का मिजाज़, अयोध्या में स्पष्ट दिखता है। आज यहां प्रगति का उत्सव है, तो कुछ दिन बाद यहां […] Read more » Ram Mandir: Political platform or celebration of faith राम मंदिर
लेख नया साल, नई उम्मीदें, नए सपने, नए लक्ष्य। January 2, 2024 / January 2, 2024 | Leave a Comment नए साल पर अपनी आशाएँ रखना हमारे लिए बहुत अच्छी बात है, हमें यह भी समझने की ज़रूरत है कि आशाओं के साथ निराशाएँ भी आती हैं। जीवन द्वंद्व का खेल है और नया साल भी इसका अपवाद नहीं है। यदि हम ‘बीते वर्ष’ पर ईमानदारी से विचार करें, तो हमें एहसास होगा कि हालांकि […] Read more » नई उम्मीदें नए लक्ष्य। नए सपने नया साल
लेख सामाजिक अलगाव और आत्महत्या December 26, 2023 / December 26, 2023 | Leave a Comment आत्महत्या घरेलू हिंसा पर केंद्रित है। गरीबी, बेरोज़गारी, कर्ज़ और शैक्षणिक समस्याएँ भी आत्महत्या से जुड़ी हैं। भारत में किसानों की आत्महत्या की हालिया घटनाओं ने इस बढ़ती त्रासदी से निपटने के लिए सामाजिक और सरकारी चिंता बढ़ा दी है। जाहिर है, किसी समाज की आत्महत्या के बारे में धारणा और उसकी सांस्कृतिक परंपराएं आत्महत्या […] Read more » Social isolation and suicide सामाजिक अलगाव और आत्महत्या
राजनीति स्वार्थी सांसदों ने संसद को मज़ाक बनाकर रख दिया December 21, 2023 / December 21, 2023 | Leave a Comment संसद में शोर-शराबा, वेल में जाकर नारेबाज़ी करना, एक-दूसरे पर निजी कटाक्ष करना यहां तक कि कई बार हाथापाई पर उतारू हो जाना आज संसद की आम तस्वीर है। आखिर सियासी पार्टियों और सांसदों का बर्ताव इतना अराजक क्यों हो गया है? क्या आज पार्टियों के निहित स्वार्थों ने संसद को मज़ाक बनाकर रख दिया है। अब समय […] Read more » Selfish MPs turned Parliament into a joke
टेक्नोलॉजी लेख हमारे रिश्तों के दुश्मन बनते मोबाइल फोन December 4, 2023 / December 4, 2023 | Leave a Comment मोबाइल बन रहे रिश्तों में दरार की वजह? मोबाइल फोन के अनुचित उपयोग के कारण आपसी रिश्तों को हो रहा नुकसान। सोचिए आज क्यों मोबाइल बन रहे रिश्तों में दरार की वजह? कोई माने या न माने, वास्तविकता में मोबाइल के हद से ज्यादा उपयोग से सामाजिक रिश्तों में हम सब की दिक्कतें बढ़ी हैं। […] Read more » मोबाइल फोन के अनुचित उपयोग रिश्तों के दुश्मन बनते मोबाइल फोन
राजनीति लेख क्यों नहीं अभिभावकों को सरकारी स्कूलों पर भरोसा? November 27, 2023 / November 27, 2023 | Leave a Comment हालिया अध्ययन ने पुष्टि की है कि शिक्षा की खराब गुणवत्ता के कारण माता-पिता को सरकारी स्कूलों पर भरोसा नहीं है और वे अपने बच्चों को निजी स्कूलों में दाखिला दिलाना पसंद करते हैं, भले ही इसके लिए उन्हें ट्यूशन और अन्य फीस पर काफी अधिक खर्च करना पड़े। आज देश भर के सरकारी स्कूल गरीबों […] Read more »
लेख समाज पुरुष संवेदनशीलता के बिना महिला सशक्तिकरण अधूरा November 16, 2023 / November 16, 2023 | Leave a Comment यह कहना कि केवल महिलाएं ही इस मानसिकता की शिकार हैं, आधा सच होगा। हाल के दिनों में, पुरुषों पर पितृसत्ता के प्रभाव के संबंध में अधिक जागरूकता उत्पन्न हुई है, विशेष रूप से अनुचित मांग को देखते हुए जिसे उन्हें पूरा करना होता है। प्राचीन काल से, हमारी अधिकांश कहानियाँ एक मजबूत और गुणी […] Read more » पुरुष संवेदनशीलता महिला सशक्तिकरण
आलोचना कला-संस्कृति पर्व - त्यौहार वर्त-त्यौहार दिवाली का बदला स्वरूप November 14, 2023 / November 14, 2023 | Leave a Comment दिवाली के शुभ अवसर पर हमारे देश में रोशनी, मिठाईयां, सुख-समृद्धि और सौभाग्य की बात करने की परंपरा है लेकिन विडंबना ये है कि आज के दौर में दिवाली के मायने पूरी तरह बदल गये हैं। दिवाली का बदला स्वरूप अब खुशियों के बजाय प्रदूषण और जाम की चिंता लेकर आता है। दिवाली की सांस्कृतिक परंपराएँ लुप्त […] Read more » Revenge form of Diwali
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म पर्व - त्यौहार वर्त-त्यौहार कन्या-पूजन नहीं बेटियों के प्रति दृष्टिकोण बदलने की जरूरत October 26, 2023 / October 26, 2023 | Leave a Comment नवरात्रि का पर्व नारी के सम्मान का प्रतीक है। नौ दिनों तक नवदुर्गा के नौ स्वरूपों की उपासना होती है। कहते हैं कि जिस घर में माता की पूजा होता है, वह सुख-समृद्धि बनी रहती है। देवी पूजा महज माता की प्रतिमा की पूजा मात्र नहीं है, बल्कि यह पर्व मां, बहन, बेटी और समाज […] Read more » not girl-worship. There is a need to change the attitude towards daughters कन्या-पूजन
लेख विविधा समाज संबंधों के बीच पिसते खून के रिश्ते October 10, 2023 / October 10, 2023 | Leave a Comment आज हम में से बहुतों के लिए खून के रिश्तों का कोई महत्त्व नहीं। ऐसे लोग संबंधों को महत्त्व देने लगे हैं। और आश्चर्य की बात ये कि ऐसा उन लोगों के बीच भी होने लगा है जिनका रिश्ता पावनता के साथ आपस में जोड़ा गया है। वैसे तो हमारे सामाजिक संबंधों और सगे रिश्तों […] Read more » Blood relations between relations संबंधों के बीच पिसते खून के रिश्ते