आर्थिकी राजनीति वर्तमान वैश्विक नेतृत्व में विश्व कल्याण के भाव का अभाव है July 31, 2025 / July 31, 2025 | Leave a Comment आज विश्व के कुछ देशों में सत्ता उस विचारधारा के दलों के पास आ गई है जो शक्ति के मद में चूर हैं एवं अपने लिए प्रशंसा प्राप्त करना चाहते हैं। उनके विचारों में विश्व कल्याण की भावना का पूर्णत: अभाव है। इन देशों के नेतृत्व की कार्यप्रणाली से कुछ देशों के बीच आपस में […] Read more » The current global leadership lacks a sense of world welfare
आर्थिकी राजनीति भारत एवं यूके के बीच मुक्त व्यापार समझौते से बढ़ेगा विदेशी व्यापार July 25, 2025 / July 25, 2025 | Leave a Comment दिनांक 24 जुलाई 2025 को भारत एवं यूनाइटेड किंगडम (यूके) के बीच द्विपक्षीय मुक्त व्यापार समझौता भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी एवं यूके के प्रधानमंत्री श्री कीर स्टारमर की उपस्थिति में सम्पन्न हो गया। यूके के यूरोपीयन यूनियन से अलग होने के बाद यूके का भारत के साथ यह द्विपक्षीय मुक्त व्यापार समझौता यूके […] Read more » भारत एवं यूके के बीच मुक्त व्यापार समझौते से बढ़ेगा विदेशी व्यापार
प्रवक्ता न्यूज़ भारत में तेज गति से आगे बढ़ता पर्यटन उद्योग July 25, 2025 / July 25, 2025 | Leave a Comment भारत में पर्यटन उद्योग को आगे बढ़ाने के लिए कई वर्षों से लगातार प्रयास किए जाते रहे हैं, परंतु इस क्षेत्र में वृद्धि दर कम ही रही है। क्योंकि, भारत में पर्यटन का दायरा केवल ताजमहल, कश्मीर एवं गोवा आदि स्थलों तक ही सीमित रहा है। परंतु, हाल ही के वर्षों में धार्मिक क्षेत्रों यथा, अयोध्या, वाराणसी, मथुरा, उज्जैन, हरिद्वार, उत्तराखंड में चार धाम (केदारधाम, बद्रीधाम, गंगोत्री एवं यमुनोत्री), माता वैष्णोदेवी एवं दक्षिण भारत स्थित विभिन्न मंदिरों सहित, बौद्ध धर्म, जैन धर्म एवं सिक्ख धर्म के कई पूजा स्थलों पर मूलभूत सुविधाओं का विस्तार कर इन्हें आपस में जोड़कर पर्यटन सर्किट विकसित किए गए हैं। इससे भारत में धार्मिक पर्यटन बहुत तेज गति से आगे बढ़ा है। विभिन्न देशों से भी अब पर्यटक इन नए विकसित किए गए धार्मिक स्थलों पर भारी मात्रा में पहुंच रहे हैं। योग एवं आयुर्वेद भी हाल ही के समय में विदेशों में काफी लोकप्रिय हो गया है अतः इसकी खोज के लिए विदेशों से कई पर्यटक भारत में धार्मिक पर्यटन करने के प्रति आकर्षित हो रहे हैं। इससे विदेशी पर्यटन भी देश में तेजी से वृद्धि दर्ज कर रहा है। हाल ही के समय में भारत के नागरिकों में “स्व” का भाव विकसित होने के चलते देश में धार्मिक पर्यटन बहुत तेज गति से बढ़ा है। अयोध्या धाम में प्रभु श्रीराम के भव्य मंदिर में श्रीराम लला के विग्रहों की प्राण प्रतिष्ठा के पश्चात प्रत्येक दिन औसतन 2 लाख से अधिक श्रद्धालु अयोध्या पहुंच रहे हैं। दिनांक 22 जनवरी 2024 को अयोध्या में सम्पन्न हुए प्रभु श्रीराम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह के बाद स्थानीय कारोबारी अपना उज्जवल भविष्य देख रहे हैं। अयोध्या धार्मिक पर्यटन का हब बनाने जा रहा है तथा अब अयोध्या दुनिया का सबसे बड़ा तीर्थ क्षेत्र बन जाएगा। जेफरीज के अनुसार अयोध्या में प्रति वर्ष 5 करोड़ से अधिक पर्यटक आ सकते हैं। यह तो केवल अयोध्या की कहानी है इसके साथ ही तिरुपति बालाजी, काशी विश्वनाथ मंदिर, उज्जैन में महाकाल लोक, जम्मू स्थित वैष्णो देवी मंदिर, उत्तराखंड में केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री एवं यमनोत्री जैसे कई मंदिरों में श्रद्धालुओं की अपार भीड़ उमड़ रही है। भारत में धार्मिक पर्यटन में आई जबरदस्त तेजी के बदौलत रोजगार के लाखों नए अवसर निर्मित हो रहे हैं, जो देश के आर्थिक विकास को गति देने में सहायक हो रहे हैं। विश्व के कई अन्य देश भी धार्मिक पर्यटन के माध्यम से अपनी अर्थव्यवस्थाएं सफलतापूर्वक मजबूत कर रहे हैं। सऊदी अरब धार्मिक पर्यटन से प्रति वर्ष 22,000 करोड़ अमेरिकी डॉलर अर्जित करता है। सऊदी अरब इस आय को आगे आने वाले समय में 35,000 करोड़ अमेरिकी डॉलर तक ले जाना चाहता है। मक्का में प्रतिवर्ष 2 करोड़ लोग पहुंचते हैं, जबकि मक्का में गैर मुस्लिम के पहुंचने पर पाबंदी है। इसी प्रकार, वेटिकन सिटी में प्रतिवर्ष 90 लाख लोग पहुंचते हैं। इस धार्मिक पर्यटन से अकेले वेटीकन सिटी को प्रतिवर्ष लगभग 32 करोड़ अमेरिकी डॉलर की आय होती है, और अकेले मक्का शहर को 12,000 करोड़ अमेरिकी डॉलर की आमदनी होती है। अयोध्या में तो किसी भी धर्म, मत, पंथ मानने वाले नागरिकों पर किसी भी प्रकार की पाबंदी नहीं होगी। अतः अयोध्या पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की संख्या 5 से 10 करोड़ तक प्रतिवर्ष जा सकती है। एक अनुमान के अनुसार, प्रत्येक पर्यटक लगभग 6 लोगों को प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से रोजगार उपलब्ध कराता है। इस संख्या के हिसाब से तो लाखों नए रोजगार के अवसर अयोध्या में उत्पन्न होने जा रहे हैं। अयोध्या के आसपास विकास का एक नया दौर शुरू होने जा रहा है। यह कहना भी अतिशयोक्ति नहीं होगा कि अब अयोध्या के रूप में वेटिकन एवं मक्का का जवाब भारत में खड़ा होने जा रहा है। धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से भारत सरकार ने भी धरातल पर बहुत कार्य सम्पन्न किया है। साथ ही, अब इसके अंतर्गत एक रामायण सर्किट रूट को भी विकसित किया जा रहा है। इस रूट पर विशेष रेलगाड़ियां भी चलाए जाने की योजना बनाई गई है। यह विशेष रेलगाड़ी 18 दिनों में 8000 किलो मीटर की यात्रा सम्पन्न करेगी, इस विशेष रेलगाड़ी के इस रेलमार्ग पर 18 स्टॉप होंगे। यह विशेष रेलमार्ग प्रभु श्रीराम से जुड़े ऐतिहासिक नगरों अयोध्या, चित्रकूट एवं छतीसगढ़ को जोड़ेगा। अयोध्या में नवनिर्मित प्रभु श्रीराम मंदिर वैश्विक पटल पर इस रूट को भी रखेगा। इसके पूर्व में केंद्र सरकार ने भी देश के 12 शहरों को “हृदय” योजना के अंतर्गत भारत के विरासत शहरों के तौर पर विकसित करने की घोषणा की है। ये शहर हैं, अमृतसर, द्वारका, गया, कामाख्या, कांचीपुरम, केदारनाथ, मथुरा, पुरी, वाराणसी, वेल्लांकनी, अमरावती एवं अजमेर। हृदय योजना के अंतर्गत इन शहरों का सौंद्रयीकरण किया जा रहा है ताकि इन शहरों की पुरानी विरासत को पुनर्विकसित कर पुनर्जीवित किया जा सके। इस हेतु देश में 15 धार्मिक सर्किट भी विकसित किये जा रहे हैं। “हृदय” योजना को लागू करने के बाद से केंद्र सरकार के पर्यटन मंत्रालय ने कई परियोजनाओं को स्वीकृति प्रदान कर दी है। इनमें से अधिकतर परियोजनाओं पर काम भी प्रारम्भ हो चुका है। इन सभी योजनाओं का चयन सम्बंधित राज्य सरकारों की राय के आधार पर किया गया है। केंद्र सरकार एवं राज्य सरकारों द्वारा पर्यटन की गति को तेज करने के उद्देश्य से किए जा रहे उक्तवर्णित उपायों के चलते अब भारतीय पर्यटन उद्योग तेज गति से आगे बढ़ता हुआ दिखाई दे रहा है। भारतीय पर्यटन उद्योग ने वर्ष 2024 में 2,247 करोड़ अमेरिकी डॉलर का आकार ले लिया है। वर्ष 2033 तक इसके 3,812 करोड़ अमेरिकी डॉलर के स्तर तक पहुंचने की सम्भावना है। एक अनुमान के अनुसार, वर्ष 2034 तक भारत के सकल घरेलू उत्पाद में पर्यटन उद्योग का योगदान बढ़कर 43.25 लाख करोड़ रुपए का हो जाने वाला है। भारत के हवाईअड्डों पर भारी भीड़ अब आम बात हो गई है एवं हेरिटेज स्थलों पर विदेशी पर्यटकों की भारी भीड़ दिखाई देने लगी है। देश के नागरिक एवं अन्य देशों के पर्यटक भारत में पर्यटन के लिए घरों से बाहर निकलने लगे हैं। भारत में मध्यमवर्गीय परिवारों की संख्या में अतुलनीय वृद्धि दर्ज हुई है एवं आम भारतीयों की डिसपोजेबले आय में भी वृद्धि दर्ज हुई है। अतः भारतीय नागरिक, विदेशी स्थलों पर पर्यटन के लिए जाने के स्थान पर अब भारत में ही विभिन्न स्थलों पर पर्यटन करने लगे हैं। इस बीच देश के विभिन्न पर्यटन स्थलों पर आधारभूत सुविधाओं का विस्तार भी किया गया है। होटल उद्योग ने भारी मात्रा में होटलों का निर्माण कर पर्यटन स्थलों पर उपलब्ध कमरों की संख्या में अभूतपूर्व वृद्धि दर्ज की है। रेल एवं हवाई यात्रा को बहुत सुगम बनाया गया है तथा 4 लेन से लेकर 8 लेन की सड़कों का निर्माण किया गया है, जिससे पर्यटकों के लिए यातायात की सुविधाओं में बहुत सुधार हुआ है। इससे कुल मिलाकर अब भारतीय परिवार अपने घर से बाहर भी घर जैसा वातावरण एवं आराम महसूस करने लगे है। अतः अब भारतीय परिवार वर्ष में कम से कम एक बार तो पर्यटन के लिए अपने घर से बाहर निकलने लगे हैं। वर्ष 2023 में भारत में अंतरराष्ट्रीय हवाई उड़ानों में 124 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई है और 1.92 करोड़ विदेशी पर्यटक भारत आए हैं, जो अपने आप में एक रिकार्ड है। विदेशी पर्यटन से विदेशी मुद्रा की आय 15.6 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज करते हुए 1.71 लाख करोड़ रुपए के स्तर को पार कर गई है। गोवा, केरल, राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात, दिल्ली, पश्चिमी बंगाल एवं पंजाब में देशी पर्यटकों की संख्या में भारी वृद्धि दर्ज हुई है। अब तो उत्तर प्रदेश भी विदेशी पर्यटकों की पहली पसंद बनता जा रहा है। वर्ष 2022 में 31.7 करोड़ भारतीय पर्यटक उत्तर प्रदेश पहुंचे हैं। वर्ष 2023 में तमिलनाडु में 10 लाख से अधिक विदेशी पर्यटक पहुंचे हैं। वर्ष 2025 में प्रयागराज में आयोजित किए गए महाकुम्भ मेले के अवसर पर लगभग 66 करोड़ श्रद्धालु त्रिवेणी के पावन तट पर आस्था की डुबकी लगाने के लिए पहुंचे हैं, जो अपने आप में विश्व रिकार्ड है। भारत में यात्रा एवं पर्यटन उद्योग 8 करोड़ व्यक्तियों को प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से रोजगार प्रदान कर रहा है एवं देश के कुल रोजगार में पर्यटन उद्योग की 12 प्रतिशत की हिस्सेदारी है। भारत में प्राचीन समय से धार्मिक स्थलों की यात्रा, पर्यटन उद्योग में, एक विशेष स्थान रखती है। एक अनुमान के अनुसार, देश के पर्यटन में धार्मिक यात्राओं की हिस्सेदारी 60 से 70 प्रतिशत के बीच रहती है। देश के पर्यटन उद्योग में लगभग 19 प्रतिशत की वृद्धि दर अर्जित की जा रही है जबकि वैश्विक स्तर पर पर्यटन उद्योग केवल 5 प्रतिशत की वृद्धि दर दर्ज कर रहा है। देश में पर्यटन उद्योग में 87 प्रतिशत हिस्सा देशी पर्यटन का है जबकि शेष 13 प्रतिशत हिस्सा विदेशी पर्यटन का है। अतः भारत में रोजगार के नए अवसर निर्मित करने के उद्देश्य से केंद्र एवं उत्तर प्रदेश सरकार धार्मिक स्थलों को विकसित करने हेतु प्रयास कर रही हैं। पर्यटन उद्योग में कई प्रकार की आर्थिक गतिविधियों का समावेश रहता है। यथा, अतिथि सत्कार, परिवहन, यात्रा इंतजाम, होटल आदि। इस क्षेत्र में व्यापारियों, शिल्पकारों, दस्तकारों, संगीतकारों, कलाकारों, होटेल, वेटर, कूली, परिवहन एवं टूर आपरेटर आदि को भी रोजगार के अवसर प्राप्त होते हैं। केंद्र सरकार के साथ साथ हम नागरिकों का भी कुछ कर्तव्य है कि देश में पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से हम भी कुछ कार्य करें। जैसे प्रत्येक नागरिक, देश में ही, एक वर्ष में कम से कम दो देशी पर्यटन स्थलों का दौरा अवश्य करे। विदेशों से आ रहे पर्यटकों के आदर सत्कार में कोई कमी न रखें ताकि वे अपने देश में जाकर भारत के सत्कार का गुणगान करे। आज करोड़ों की संख्या में भारतीय, विदेशों में रह रहे हैं। यदि प्रत्येक भारतीय यह प्रण करे की प्रतिवर्ष कम से कम 5 विदेशी पर्यटकों को भारत भ्रमण हेतु प्रेरणा देगा तो एक अनुमान के अनुसार विदेशी पर्यटकों की संख्या को एक वर्ष के अंदर ही दुगना किया जा सकता है। Read more »
खेत-खलिहान पर्यावरण लेख स्वच्छता एवं नशामुक्ति के क्षेत्र में अतुलनीय कार्य करते सामाजिक संगठन July 24, 2025 / July 24, 2025 | Leave a Comment इस धरा पर जन्म लेने वाले प्रत्येक जीव के लिए प्रकृति ने पर्याप्त खाद्य पदार्थ दिए हैं परंतु अति लालच के चलते मानव ने प्रकृति का शोषण करना शुरू कर दिया है। इसमें कोई अब कोई संदेह नहीं रह गया है कि मानव ने अपनी जिंदगी को आसान बनाने के लिए पर्यावरण का अत्यधिक नुक्सान किया है और इसका परिणाम आज उसे ही भुगतना भी पड़ रहा है। कई देशों में तो भयंकर गर्मी में वहां के जंगलों में आग लगने की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं जिनसे जान और माल की भारी हानि हो रही है। हम पर्यावरण के सम्बंध में बढ़ चढ़ कर चर्चाएं तो करते हैं परंतु आज हमारे गावों में खेत, प्लाटों में परिवर्तित हो गए हैं। हमारे खेतों पर शोपिंग काम्प्लेक्स एवं माॅल खड़े हो गए हैं जिससे हरियाली लगातार कम होती जा रही है। बीते कुछ वर्षों में कंकरीट की इमारतों में अत्यधिक वृद्धि एवं भूमि प्रयोग में बदलाव के चलते भारत में भी तापमान लगातार बढ़ रहा है। देश के महानगर अर्बन हीट आइलैंड बन रहे हैं। अर्बन हीट आइलैंड वह क्षेत्र होता है जहां अगल-बगल के इलाकों से अधिक तापमान रहता है। कई स्थानों पर अत्यधिक गर्मी के पीछे अपर्याप्त हरियाली, अधिक आबादी, घने बसे घर और इंसानी गतिविधियां जैसे गाडियों और गैजेट से निकलने वाली हीट आदि कारण जिम्मेदार हो सकते हैं। कार्बन डाईआक्साइड और मेथेन जैसी ग्रीन हाउस गैसों एवं कूड़ा जलाने से भी गर्मी बढ़ती है। राजधानी दिल्ली का उदाहरण हमारे सामने है। जहां चारों दिशाओं में बने डंपिंग यार्डों में आग लगी ही रहती है और लोगों का सांस लेना भी अब दूभर हो रहा है। भारत ने वर्ष 2070 तक नेट जीरो यानी कार्बन उत्सर्जन रहित अर्थव्यवस्था का लक्ष्य तय किया हुआ है। यद्यपि पर्यावरण रक्षा में भारत के प्रयास बहुआयामी रहे हैं लेकिन यह प्रयास तब तक सफल नहीं हो सकते जब तक देशवासी प्राकृतिक संसाधनों का अनावश्यक अत्यधिक शोषण करना बंद नहीं करते। शहरों के बढ़ते तापमान की रोकथाम हेतु जरूरी है कि मौसम और वायु प्रवाह का ठीक तरह से नियोजन किया जाए। हरियाली का विस्तार, जल स्रोतों की सुरक्षा, वर्षा जल संचय, वाहनों एवं एयर कंडीशंस की संख्या की कमी से ही हम प्रचंड गर्मी को कम कर सकते हैं। पृथ्वी का तापमान घटेगा तभी मानव सुरक्षित रह पाएगा। उक्त संदर्भ में यह हम सभी भारतीयों के लिए हर्ष का विषय होना चाहिए कि हमारे देश में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जैसे संगठन मौजूद हैं जो सदैव ही सामाजिक, धार्मिक, आर्थिक एवं सेवा कार्य करने वाले संगठनों को साथ लेकर, देश पर आने वाली किसी भी विपत्ति में आगे आकर, सेवा कार्य करना प्रारम्भ कर देते हैं। भारत के पर्यावरण में सुधार लाने की दृष्टि से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने तो बाकायदा एक नई पर्यावरण गतिविधि को ही प्रारम्भ कर दिया है। जिसके अंतर्गत समाज में विभिन्न क्षेत्रों में कार्य करने वाले संगठनों को साथ लेकर संघ द्वारा देश में प्लास्टिक का उपयोग बिल्कुल नहीं करने का अभियान प्रारम्भ किया गया है और देश में अधिक से अधिक पेड़ लगाने की मुहिम प्रारम्भ की गई है। साथ ही, विभिन्न शहरों को स्वच्छ एवं नशामुक्त बनाने हेतु भी विशेष अभियान प्रारम्भ किए हैं। उदाहरण के तौर पर ग्वालियर को स्वच्छ, नशामुक्त एवं प्लास्टिक मुक्त शहर बनाने का बीड़ा उठाया गया है। इसी संदर्भ में ग्वालियर महानगर में विविध संगठनों के दायित्ववान कार्यकर्ताओं का दो दिवसीय शिविर आयोजित किया गया था। इस शिविर के एक विशेष सत्र में इस बात पर विचार किया गया कि ग्वालियर महानगर को स्वच्छ एवं नशामुक्त बनाया जाना चाहिए। उक्त शिविर के समापन के पश्चात उक्त समस्याओं के हल हेतु विविध संगठनों के दायित्ववान कार्यकर्ताओं की तीन बैठकें आयोजित की गईं। इन बैठकों में विस्तार से विचार करने के उपरांत यह निर्णय लिया गया कि कुछ चिन्हित कार्यकर्ताओं को विभिन्न मठ, मंदिरों, स्कूलों, संस्थानों आदि में विषय प्रस्तुत करने हेतु भेजा जाए ताकि उक्त समस्याओं के हल में समाज की भागीदारी सुनिश्चित की जा सके। इस संदर्भ में चुने गए 60 कार्यकर्ताओं के लिए एक वक्ता कार्यशाला का आयोजन भी किया गया। इन चिन्हित कार्यकर्ताओं को विभिन संस्थानों में विषय प्रस्तुत करने हेतु भेजा गया था ताकि उक्त समस्याओं के हल करने हेतु समाज को भी साथ में लेकर कार्य को सम्पन्न किया जा सके। साथ ही, ग्वालियर को प्रदूषण मुक्त सुंदर नगर बनाए जाने के अभियान को स्थानीय जनता के बीच ले जाने हेतु, माननीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के जन्म दिवस के शुभ अवसर पर दिनांक 25 दिसम्बर 2024 को, ग्वालियर के चुने हुए 29 चौराहों पर मानव शृंखलाएं बनाई गई थी, लगभग 8,000 नागरिकों ने इस मानव शृंखला में भागीदारी की थी। इसी प्रकार, ग्वालियर को व्यसन मुक्त नगर बनाए जाने के अभियान को स्थानीय जनता के बीच ले जाने हेतु, स्वामी विवेकानंद जी के जन्म दिवस एवं अंतरराष्ट्रीय युवा दिवस के शुभ अवसर पर, दिनांक 12 जनवरी 2025 को एक विशाल मेराथन दौड़ का आयोजन किया गया था। इस कार्यक्रम के आयोजन में स्थानीय प्रशासन का भरपूर सहयोग प्राप्त हुआ एवं लगभग 6,000 नागरिकों ने इस मेराथन दौड़ में भाग लिया था। संघ के ग्वालियर विभाग द्वारा ग्वालियर महानगर में अधिक से अधिक पेड़ लगाए जाने की मुहिम प्रारम्भ की गई। जिसके अंतर्गत ग्वालियर के कई विद्यालयों में वहां के शिक्षकों एवं विद्यार्थियों को साथ लेकर स्वयंसेवकों द्वारा नगर में भारी मात्रा में पौधारोपण किया गया। ग्वालियर की पहाड़ियों पर भी इस मानसून के मौसम के दौरान हजारों की संख्या में नए पौधे रोपे गए हैं। गजराराजा स्कूल, केआरजी महाविद्यालय एवं गुप्तेश्वर मंदिर की पहाड़ियों को तो पूर्णत: हरा भरा बना दिया गया है। नगर के प्रबुद्ध नागरिकों द्वारा नगर के विद्यालयों, महाविद्यालयों, सामाजिक संगठनों, व्यावसायिक संगठनों, धार्मिक संगठनों, एवं नगर के विभिन्न चौराहों पर नागरिकों को शपथ दिलाई जा रही है कि “मैं ग्वालियर नगर को प्लास्टिक मुक्त बनाने हेतु, आज से प्लास्टिक का उपयोग बिल्कुल नहीं करूंगा”। अभी तक एक लाख से अधिक नागरिकों को यह शपथ दिलाई जा चुकी है। कई स्कूल, कई मंदिर एवं कई महाविद्यालय (लक्ष्मीबाई राष्ट्रीय शिक्षण संस्थान – एलएनआईपीई सहित) पोलिथिन मुक्त हो चुके हैं। इसी प्रकार, ट्रिपल आईटीएम प्रबंधन के प्रयास से संस्थान के आसपास दुकानदारों द्वारा मादक पदार्थों के बिक्री करना बंद कर दिया गया है। साथ ही, ग्वालियर महानगर में एक लाख से अधिक नागरिक, नशा नहीं करने का संकल्प ले चुके हैं। विभिन्न मठ, मंदिरों एवं गुरुद्वारों में भंडारों का आयोजन किया जाता है। इन भंडारों में अब प्रसादी को दोनों, पत्तलों में परोसा जाने लगा है एवं प्लास्टिक का उपयोग लगभग बंद कर दिया गया है। साथ ही, इन मंदिरों के आसपास प्रशासन एवं जनप्रतिनिधियों द्वारा डस्टबिन रखवाये गए हैं, ताकि कचरे को यहां वहां न फैला कर इन डस्टबीन में डाला जा सके। इससे, मठ, मंदिरों एवं गुरुद्वारों के आसपास के इलाके स्वच्छ रहने लगे हैं। ग्वालियर महानगर के जनप्रतिनिधि विभिन्न मैरिज गार्डन में जाकर इनके मालिकों से लगातार चर्चा कर रहे हैं कि इन मैरिज गार्डन में अमानक पॉलीथिन का उपयोग बिलकुल नहीं होना चाहिए। इसका असर यह हुआ है कि अब मैरिज गार्डन में होने वाले विभिन्न कार्यक्रमों में प्लास्टिक का उपयोग धीरे धीरे कम होता हुआ दिखाई दे रहा है। नागरिकों को कपड़े से बने थैले भी उपलब्ध कराए जा रहे हैं, ताकि बाजारों से सामान खरीदते समय इन कपड़े के थैलों का इस्तेमाल किया जा सके और प्लास्टिक के उपयोग को तिलांजलि दी जा सके। प्लास्टिक के उपयोग को खत्म करने के उद्देश्य से गणेशोत्सव के पावन पर्व पर नगर में विभिन्न गणेश पांडालों में बच्चों द्वारा नाटक भी खेले गए। साथ ही, संघ ने अपने स्वयंसेवकों को आग्रह किया है कि संघ द्वारा आयोजित किए जाने वाले किसी भी कार्यक्रम में प्लास्टिक का इस्तेमाल बिल्कुल नहीं किया जाना चाहिए। और, अब संघ के कार्यक्रमों में इस बात का ध्यान रखा जाने लगा है कि प्लास्टिक का उपयोग बिल्कुल नहीं किया जाय। ग्वालियर के नागरिकों, विविध संगठनों, सामाजिक संस्थानों एवं प्रशासन द्वारा लगातार किए गए प्रयासों के चलते ग्वालियर महानगर को स्वच्छ सर्वेक्षण 2024 के अंतर्गत राज्य स्तरीय मिनिस्ट्रीयल अवार्ड के लिए चुना गया है। यह पुरस्कार 17 जुलाई 2025 को दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू द्वारा प्रदान किया जाएगा। इसी प्रकार, सिविल अस्पताल, हजीरा, जिला ग्वालियर को स्थानीय नागरिकों को उच्च स्तर की गुणवत्ता पूर्ण संक्रमण रहित स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने हेतु राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, मध्य प्रदेश से प्रथम पुरस्कार प्राप्त हुआ है। जब पूरे देश में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जैसे संगठन आगे आकर समाज के अन्य संगठनों को साथ लेकर देश के पर्यावरण में सुधार लाने हेतु कार्य प्रारम्भ करेंगे तो भारत के पर्यावरण में निश्चित ही सुधार दृष्टिगोचर होने लगेगा। प्रहलाद सबनानी Read more » स्वच्छता एवं नशामुक्ति
आर्थिकी राजनीति ऑनलाइन भुगतान के मामले में भारत के यूपीआई ने अमेरिका के वीजा को पीछे छोड़ा July 21, 2025 / July 25, 2025 | Leave a Comment हाल ही के समय में भारत, विभिन्न क्षेत्रों में, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नित नए रिकार्ड बना रहा है। कुछ क्षेत्रों में तो अब भारत पूरे विश्व का नेतृत्व करता हुआ दिखाई दे रहा है। भारत ने बैंकिंग व्यवहारों के मामले में तो जैसे क्रांति ही ला दी है। अभी हाल ही में आर्थिक क्षेत्र में बैंकिंग व्यवहारों के मामले में भारत के यूनफाईड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) ने अमेरिका के 67 वर्ष पुराने वीजा एवं मास्टर कार्ड के पेमेंट सिस्टम को प्रतिदिन होने वाले आर्थिक व्यवहारों की संख्या के मामले में वैश्विक स्तर पर पीछे छोड़ दिया है। वैश्विक स्तर पर अब भारत विश्व का सबसे बड़ा रियल टाइम पेमेंट नेटवर्क बन गया है। भारत में वर्ष 2016 के पहिले ऑनलाइन पेमेंट का मतलब होता था केवल वीजा और मास्टर कार्ड। वीजा और मास्टर कार्ड को चलाने वाली अमेरिका की ये दोनों कंपनिया पूरी दुनिया में ऑनलाइन पेमेंट का एकाधिकार रखती थीं। वीजा की शुरुआत, अमेरिका में वर्ष 1958 में हुई थी और धीमे धीमे यह कंपनी 200 से अधिक देशों में फैल गई और ऑनलाइन भुगतान के मामले में पूरे विश्व पर अपना एकाधिकार जमा लिया। वैश्विक स्तर पर इस कम्पनी को चुनौती देने के उद्देश्य से भारत ने वर्ष 2016 में अपना पेमेंट सिस्टम, यूपीआई के रूप में, विकसित किया और वर्ष 2025 आते आते भारत का यूपीआई सिस्टम आज पूरे विश्व में प्रथम स्थान पर आ गया है। यूपीआई पेमेंट सिस्टम के माध्यम से ओनलाइन बैकिंग व्यवहार चुटकी बजाते ही हो जाते है। आज सब्जी वाले, चाय वाले, सहायता प्राप्त करने वाले नागरिक एवं छोटी छोटी राशि के आर्थिक व्यवहार करने वाले नागरिकों के लिए यूपीआई सिस्टम ने ऑनलाइन बैंकिंग व्यवहार करने को बहुत आसान बना दिया है। आज भारत के यूपीआई सिस्टम के माध्यम से प्रतिदिन 65 करोड़ से अधिक व्यवहार (1800 करोड़ से अधिक व्यवहार प्रति माह) हो रहे हैं जबकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वीजा कार्ड से माध्यम से प्रतिदिन 63.9 करोड़ व्यवहार हो रहे हैं। इस प्रकार, भारत के यूपीआई ने दैनिक व्यवहारों के मामले में 67 वर्ष पुराने अमेरिका के वीजा को पीछे छोड़ दिया है। भारत में केंद्र सरकार की यह सबसे उल्लेखनीय उपलब्धियों में से एक है। भारत अब इस मामले में पूरी दुनिया का लीडर बन गया है। भारत ने यह उपलब्धि केवल 9 वर्षों में ही प्राप्त की है। विश्व बैंक एवं अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने भी भारत के यूपीआई सिस्टम की अत्यधिक प्रशंसा करते हुए कहा है कि यह नई तकनीकी का चमत्कार है एवं यह सिस्टम अत्यधिक प्रभावशाली है। भारत का यूपीआई सिस्टम भारत को वैश्विक बैंकिंग नक्शे पर एक बहुत बड़ी शक्ति बना सकता है। भारत में यूपीआई की सफलता की नींव दरअसल केंद्र सरकार द्वारा चलाई गई कई आर्थिक योजनाओं के माध्यम से पड़ी है। समस्त नागरिकों के आधार कार्ड बनाने के पश्चात जब आधार कार्ड को नागरिकों के बैंक खातों से जोड़ा गया और केंद्र सरकार द्वारा देश के गरीब वर्ग की सहायता के लिए चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत सहायता राशि को सीधे ही नागरिकों के बैंक खातों में जमा किया जाने लगा तब एक सुदृद्ध पेमेंट सिस्टम की आवश्यकता महसूस हुई और ऑनलाइन पेमेंट सिस्टम के रूप में यूपीआई का जन्म वर्ष 2016 में हुआ। यूपीआई को आधार कार्ड एवं प्रधानमंत्री जनधन योजना के अंतर्गत बैंकों में खोले गए खातों से जोड़ दिया गया। नागरिकों के मोबाइल क्रमांक और आधार कार्ड को बैंक खातों से जोड़कर यूपीआई सिस्टम के माध्यम से आर्थिक एवं लेन-देन व्यवहारों को आसान बना दिया गया। भारत में आज लगभग 80 प्रतिशत युवा एवं बुजुर्ग जनसंख्या का विभिन्न बैकों के खाता खोला जा चुका है। यूपीआई के माध्यम से केवल कुछ ही मिनटों में एक बैंक खाते से दूसरे बैंक खाते में राशि का अंतरण किया जा सकता है। ऑनलाइन पेमेंट सिस्टम के रूप में यूपीआई के आने के बाद तो अब भारत के नागरिक एटीएम कार्ड, डेबिट कार्ड एवं क्रेडिट कार्ड को भी भूलने लगे हैं। भारत से बाहर अन्य देशों में रहने वाले भारतीय मूल के नागरिक भी अपनी बचत को यूपीआई के माध्यम से अपने परिवार के सदस्यों के बैंक खातों में ऑनलाइन राशि का अंतरण चंद मिनटों में कर सकते हैं। पूर्व में, बैंकिंग चेनल के माध्यम से एक देश के बैंक खाते से दूसरे देश के बैंक खाते में राशि का अंतरण करने में 2 से 3 दिन का समय लग जाता था तथा विदेशी बैकों द्वारा इस प्रकार के अंतरण राशि पर खर्च भी वसूला जाता है। अब यूपीआई के माध्यम से कुछ ही मिनटों में राशि एक देश के बैंक खाते से दूसरे देश के बैंक खाते में अंतरित हो जाती है। इससे भारतीय रुपए का अंतरराष्ट्रीयकरण भी हो रहा है। विश्व के अन्य देशों में पढ़ाई के लिए गए छात्रों को अपने खर्च चलाने एवं विश्वविद्यालयों/महाविद्यालयों में फीस की राशि यूपीआई सिस्टम से जमा कराने में बहुत आसानी होगी। जिस भी देश में भारतीय मूल में नागरिकों की संख्या अधिक है उन देशों में भारत के यूपीआई सिस्टम को लागू करने के प्रयास किए जा रहे हैं। आज 13,500 करोड़ अमेरिकी डॉलर से अधिक की राशि इन देशों में निवास कर रहे भारतीय मूल के नागरिकों द्वारा प्रतिवर्ष भारत में भेजी जा रही हैं। वैश्विक स्तर पर भारत के यूपीआई सिस्टम की स्वीकार्यता बढ़ने से अमेरिकी डॉलर पर भारत की निर्भरता भी कम होगी, इससे भारतीय रुपए की मांग अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ेगी और डीडोलराईजेशन की प्रक्रिया तेज होगी। भारत ने यूपीआई के प्रतिदिन होने वाले व्यवहारों की संख्या के मामले में आज अमेरिका, चीन एवं पूरे यूरोप को पीछे छोड़ दिया है। वर्तमान में भारत के यूपीआई सिस्टम का विश्व के 7 देशों यथा यूनाइटेड अरब अमीरात, फ्रान्स, ओमान, मारीशस, श्रीलंका, भूटान एवं नेपाल में उपयोग हो रहा है। इन देशों में रहने वाले भारतीय मूल के नागरिक यूपीआई के माध्यम से सीधे ही भारत के साथ आर्थिक व्यवहार कर रहे हैं। दक्षिणपूर्वीय देशों यथा मलेशिया, थाइलैंड, फिलिपींस, वियतमान, सिंगापुर, कम्बोडिया, दक्षिण कोरिया, जापान, ताईवान एवं हांगकांग आदि भी भारत के यूपीआई सिस्टम के उपयोग को बढ़ावा देने के प्रयास कर रहे हैं। यूनाइटेड किंगडम, आस्ट्रेलिया एवं यूरोपीयन देशों ने भी भारत के यूपीआई सिस्टम को अपने देश में लागू करने की इच्छा जताई है। हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की साइप्रस एवं नामीबिया यात्रा के दौरान इन दोनों देशों ने भारत के यूपीआई सिस्टम को अपने देश में शुरू करने के लिए भारत से निवेदन किया है। पूरे विश्व में अब कई देशों का विश्वास भारत के यूपीआई सिस्टम पर बढ़ रहा है और यदि ये देश भारत के यूपीआई सिस्टम को अपने देश में लागू कर देते हैं तो इससे भारत में विदेशी निवेश की राशि में भी तेज गति से वृद्धि होने की सम्भावना बढ़ जाएगी। प्रहलाद सबनानी Read more » India's UPI surpasses US Visa India's UPI surpasses US Visa in online payments भारत के यूपीआई ने अमेरिका के वीजा को पीछे छोड़ा
राजनीति टैरिफ युद्ध अमेरिका पर ही भारी पड़ सकता है July 14, 2025 / July 14, 2025 | Leave a Comment The tariff war could backfire on the US अमेरिका में श्री डानल्ड ट्रम्प के दूसरी बार राष्ट्रपति बनने के साथ ही दुनिया के लगभग समस्त देशों के साथ ट्रम्प प्रशासन द्वारा टैरिफ युद्ध की घोषणा कर दी गई है। अमेरिका में विभिन्न देशों से होने वाले आयात पर भारी भरकम टैरिफ लगाकर एवं टैरिफ की दरों में बार बार परिवर्तन कर तथा इन टैरिफ की दरों को लागू करने की तिथि में परिवर्तन कर ट्रम्प प्रशासन टैरिफ युद्ध को किस दिशा में ले जाना चाह रहा है, इस सम्बंध में अब स्पष्टता का पूर्णत: अभाव दिखाई देने लगा है। अब तो विभिन्न देशों को ऐसा आभास होने लगा है कि अमेरिकी प्रशासन विभिन्न देशों पर टैरिफ की दरों के माध्यम से अपना दबाव बनाने का प्रयास कर रहा है ताकि ये देश अमेरिका के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौते को अमेरिकी शर्तों पर शीघ्रता के साथ सम्पन्न करें। श्री ट्रम्प द्वारा कई बार यह घोषणा की गई है कि भारत के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौता शीघ्र ही सम्पन्न किया जा रहा है। अमेरिका एवं भारत के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने के उद्देश्य से भारतीय प्रतिनिधि मंडल अमेरिका में गया था तथा निर्धारित समय सीमा से अधिक समय तक वहां रहा एवं ऐसा कहा जा रहा है कि द्विपक्षीय समझौते के अंतिम रूप को अमेरिकी राष्ट्रपति के समक्ष प्रस्तुत किया जा चुका है परंतु अभी तक अमेरिका द्वारा अमेरिका एवं भारत के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते की घोषणा नहीं की जा रही है। हालांकि, इस बीच अमेरिका द्वारा कई देशों के विरुद्ध टैरिफ की दरों को बढ़ा दिया गया है। विशेष रूप से जापान एवं दक्षिणी कोरिया से अमेरिका को आयात होने वाली वस्तुओं पर 1 अगस्त 2025 से 25 प्रतिशत की दर से टैरिफ लगाया जाएगा। इसी प्रकार, 12 अन्य देशों से अमेरिका में होने वाले आयात पर भी टैरिफ की बढ़ी हुई नई दरें लागू किये जाने का प्रस्ताव किया गया है। इस सम्बंध में अमेरिकी राष्ट्रपति ने इन 14 देशों के राष्ट्राध्यक्षों को पत्र भी लिखा है। इस सूची में भारत का नाम शामिल नहीं है। पूर्व में अमेरिका द्वारा चीन से आयात होने वाले उत्पादों पर भारी भरकम टैरिफ की घोषणा की गई थी। चीन ने भी अमेरिका से होने वाली आयातित वस्तुओं पर लगभग उसी दर पर टैरिफ लागू करने की घोषणा कर दी थी। साथ ही, चीन ने विभिन्न देशों को दुर्लभ खनिज पदार्थों (रेयर अर्थ मिनरल) के निर्यात पर रोक लगा दी थी। अमेरिका में चीन के इस निर्णय का बहुत गहरा प्रभाव पड़ा था। जिसके दबाव में अमेरिका ने चीन के साथ व्यापार समझौता करते हुए चीन से आयात होने वाली विभिन्न वस्तुओं पर टैरिफ की दरों को तुरंत कम कर दिया। अमेरिका द्वारा इसी प्रकार का एक द्विपक्षीय व्यापार समझौता ब्रिटेन के साथ भी सम्पन्न किया जा चुका है। पूर्व में, ट्रम्प प्रशासन ने 90 दिवस की अवधि में 90 देशों के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौते करने की बात कही थी तथा 90 दिवस की समयावधि 9 जुलाई को समाप्त होने के पश्चात भी केवल दो देशों ब्रिटेन एवं चीन के साथ ही द्विपक्षीय व्यापार समझौता सम्पन्न हो सका है। भारत के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौते को अंतिम रूप दिया जा चुका है परंतु इसकी अभी तक घोषणा नहीं की गई है। द्विपक्षीय समझौते के लिए शेष देशों पर दबाव बनाने की दृष्टि से ही इन देशों से अमेरिका को होने वाले आयात पर टैरिफ की दरों को एक बार पुनः बढ़ाये जाने का प्रस्ताव है और इन बढ़ी हुई दरों को 1 अगस्त 2025 से लागू करने की योजना बनाई गई है। वैश्विक स्तर पर अमेरिका द्वारा छेड़े गए इस टैरिफ युद्ध से निपटने के लिए भारत एक विशेष रणनीति के अंतर्गत कार्य करता हुआ दिखाई दे रहा है। भारत ने वैश्विक मंच पर न तो अमेरिका के टैरिफ की दरों में वृद्धि सम्बंधी निर्णयों की आलोचना की है और न ही भारत में अमेरिका से आयातित वस्तुओं पर टैरिफ बढ़ाने की धमकी दी है। बल्कि, भारत ने तो अमेरिका से आयात होने वाली कुछ विशेष वस्तुओं पर टैरिफ को कम कर दिया है। दरअसल, भारत इस समय विकास के उस चक्र में पहुंच गया है जहां पर भारत को अपना पूरा ध्यान आर्थिक क्षेत्र को आगे बढ़ाने पर केंद्रित करने की आवश्यकता है। भारत को यदि वर्ष 2047 तक विकसित राष्ट्रों की श्रेणी में शामिल करना है तो आगे आने वाले लगभग 20 वर्षों तक लगातार लगभग 8 प्रतिशत की आर्थिक विकास दर को बनाए रखना अति आवश्यक है। इसलिए भारत एक विशेष रणनीति के अंतर्गत अपने आर्थिक विकास पर अपना ध्यान केंद्रित करता हुआ दिखाई दे रहा है। भारत के रूस के साथ भी अच्छे सम्बंध हैं तो अमेरिका से भी अपने सम्बन्धों को सामान्य बनाए रखने के लिए प्रयत्नशील है। भारत के इजराईल के साथ भी अच्छे सम्बंध हैं तो ईरान के साथ भी भारत के व्यापारिक सम्बंध हैं। रूस एवं यूक्रेन युद्ध के बीच भी भारत ने दोनों देशों के साथ अपना संतुलित व्यवहार बनाए रखा है। इसी कड़ी में, चीन के साथ भी आवश्यकता अनुसार बातचीत का दौर जारी रखा जा रहा है, बावजूद इसके कि कई बार अंतरराष्ट्रीय मंचों पर चीन अप्रत्यक्ष रूप से भारत के विरुद्ध कार्य करता हुआ दिखाई देता है। अभी हाल ही में चीन ने भारत को दुर्लभ खनिज पदार्थों (रेयर अर्थ मिनरल) की आपूर्ति पूर्णत: रोक दी है। साथ ही, मानसून का मौसम भारत में प्रारम्भ हो चुका है एवं भारत में कृषि क्षेत्र में गतिविधियां अपने चरम स्तर पर पहुंच गई हैं, ऐसे अत्यंत महत्वपूर्ण समय पर चीन द्वारा भारत को उर्वरकों की आपूर्ति पर परेशनियां खड़ी की जा रही हैं। चीन द्वारा समय समय पर भारत के लिए खड़ी की जा रही विभिन्न समस्याओं के हल हेतु भारत ने विश्व के पूर्वी देशों एवं विश्व के दक्षिणी भाग में स्थित देशों की ओर रूख किया है। अभी हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने घाना, नामीबिया, अर्जेंटीना, ब्राजील, त्रिनिदाद एवं टोबैगो जैसे देशों की यात्रा इस उद्देश्य से सम्पन्न की है ताकि दुर्लभ खनिज पदार्थों की आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके। इन देशों में दुर्लभ खनिज पदार्थ पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। भारत में 140 करोड़ नागरिकों का विशाल बाजार उपलब्ध है, जिसे अमेरिका एवं चीन सहित विश्व का कोई भी देश नजर अन्दाज नहीं कर सकता है। यदि अमेरिका एवं चीन भारत के साथ अपने सम्बन्धों को किसी भी कारण से बिगाड़ने का प्रयास करते हैं तो लम्बी अवधि में इसका नुक्सान इन्हीं देशों को अधिक होने जा रहा है है क्योंकि ऐसी स्थिति में वे भारत के विशाल बाजार से वंचित हो जाने वाले हैं। भारत तो वैसे भी पिछले लम्बे समय से आत्मनिर्भर होने का लगातार प्रयास कर रहा है एवं कई क्षेत्रों में भारत आज आत्मनिर्भर बन भी गया है। अतः भारत की निर्भरता अन्य देशों पर अब कम ही होती जा रही है। भारत आज फार्मा, ऑटो, कृषि, इंजीनीयरिंग, टेक्नॉलोजी, स्पेस तकनीकी, सूचना प्रौद्योगिकी, आदि क्षेत्रों में बहुत आगे निकल चुका है। आज भारत विकास के उस पड़ाव पर पहुंच चुका है, जिसकी अनदेखी विश्व का कोई भी देश नहीं कर सकता है। भारत को हाल ही में अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह में कच्चे तेल के अपार भंडार होने का भी पता लगा है। एक अनुमान के अनुसार, यह भंडार इतने विशाल हैं कि आगामी 70 वर्षों तक भारत को कच्चे तेल की आपूर्ति होती रहेगी। इसी प्रकार, भारत में कर्नाटक स्थित कोलार स्वर्ण खदानों में भी एक बार पुनः खुदाई का कार्य प्रारम्भ किया जा रहा है। आरम्भिक अनुमान के अनुसार, प्रतिवर्ष लगभग 750 किलोग्राम स्वर्ण की आपूर्ति भारत को इन खदानों से हो सकती है। पूरे विश्व में आज केवल भारत ही युवा देश की श्रेणी में गिना जा रहा है क्योंकि भारत की 65 प्रतिशत से अधिक आबादी 35 वर्ष से कम आयुवर्ग में हैं तथा लगभग 40 प्रतिशत आबादी 15 से 35 वर्ष के आयुवर्ग में शामिल हैं। अतः एक तरह से भारत आज विश्व के लिए श्रम का आपूर्ति केंद्र बन गया है। लम्बे समय से रूस एवं यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के बाद जब इन देशों में आधारभूत सुविधाओं को पुनर्विकसित करने का कार्य प्रारम्भ होगा तो इन्हें भारतीय श्रमिकों एवं इंजीनियरों की आवश्यकता पड़ने जा रही है, एक अनुमान के अनुसार अकेले रूस द्वारा में लगभग 10 लाख भारतीयों की मांग की जा सकती है। इसी प्रकार, इजराईल एवं हम्मास तथा ईरान के बीच युद्ध की समाप्ति के पश्चात इन देशों में भी बुनियादी ढांचे को पुनः मजबूत करने का कार्य जब प्रारम्भ होगा तो इन देशों को भी भारतीय नागरिकों की आवश्यकता पड़ेगी। इजराईल, जापान सिंगापुर एवं ताईवान आदि देशों द्वारा तो पूर्व में भी भारतीय इंजिनीयरों की मांग की जाती रही है। अमेरिका, ब्रिटेन एवं अन्य यूरोपीय देशों में तो डॉक्टर एवं इंजीनियरों की भारी मांग पूर्व से ही बनी हुई है। अतः आज भारत पूरे विश्व में डॉक्टर, इंजीनियर तथा श्रमिक उपलब्ध कराने के मामले बहुत आगे है। अतः भारत की इस ताकत की अनदेखी आज कोई भी देश नहीं कर सकता है। प्रहलाद सबनानी Read more » The tariff war could backfire on the US
आर्थिकी लेख समाज सार्थक पहल मध्यमवर्गीय परिवार नहीं फंसे ऋण के जाल में July 1, 2025 / July 1, 2025 | Leave a Comment हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक ने रेपो दर में 50 आधार बिंदुओं की कमी की है। इसके साथ ही, निजी क्षेत्र के बैंकों, सरकारी क्षेत्र के बैंकों एवं क्रेडिट कार्ड कम्पनियों सहित अन्य वित्तीय संस्थानों ने भी अपने ग्राहकों को प्रदान की जा रही ऋणराशि पर लागू ब्याज दरों में कमी की घोषणा करना प्रारम्भ कर दिया है ताकि भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा रेपो दर में की गई कमी का लाभ शीघ्र ही भारत में ऋणदाताओं तक पहुंच सके एवं इससे अंततः देश की अर्थव्यवस्था को बल मिल सके। भारत में चूंकि अब मुद्रा स्फीति की दर नियंत्रण में आ गई है, अतः आगे आने वाले समय में भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा रेपो दर में और अधिक कमी की जा सकती है। इस प्रकार, बहुत सम्भव है ऋणराशि पर लागू ब्याज दरों में कमी के बाद कई नागरिक जिन्होंने पूर्व में कभी बैंकों से ऋण नहीं लिया है, वे भी ऋण लेने का प्रयास करें। बैंक से ऋण लेने से पूर्व इस बात का ध्यान रखना आवश्यक है कि इस ऋण को चुकता करने की क्षमता भी ऋणदाता में होनी चाहिए अर्थात ऋणदाता की पर्याप्त मासिक आय होनी चाहिए ताकि बैकों द्वारा प्रदत्त ऋण की किश्त एवं ब्याज का भुगतान पूर्व निर्धारित समय सीमा के अंदर किया जा सके। इस संदर्भ में विशेष रूप से युवा ऋणदाताओं द्वारा क्रेडिट कार्ड के उपयोग पश्चात संबंधित राशि का भुगतान समय सीमा के अंदर अवश्य करना चाहिए क्योंकि अन्यथा क्रेडिट कार्ड एजेंसी द्वारा चूक की गई राशि पर भारी मात्रा में ब्याज वसूला जाता है, जिससे युवा ऋणदाता ऋण के जाल में फंस जाते हैं। बैकों से लिए गए ऋण की मासिक किश्त एवं इस ऋणराशि पर ब्याज का भुगतान यदि निर्धारित समय सीमा के अंदर नहीं किया जाता है तो चूककर्ता ऋणदाता से बैकों द्वारा दंडात्मक ब्याज की वसूली की जाती है। इसी प्रकार, कई नागरिक जो क्रेडिट कार्ड का उपयोग करते हैं एवं इस क्रेडिट कार्ड के विरुद्ध उपयोग की गई राशि का भुगतान यदि वे निर्धारित समय सीमा के अंदर नहीं कर पाते हैं तो इस राशि पर चूक किए गए क्रेडिट कार्ड धारकों से भारी भरकम ब्याज की दर से दंड वसूला जाता है। कभी कभी तो दंड की यह दर 18 प्रतिशत से 24 प्रतिशत के बीच रहती है। क्रेडिट कार्ड का उपयोग करने वाले नागरिक कई बार इस उच्च ब्याज दर पर वसूली जाने वाली दंड की राशि से अनभिज्ञ रहते हैं। अतः बैंकों से ली जाने वाली ऋणराशि एवं क्रेडिट कार्ड के विरुद्ध उपयोग की जाने वाली राशि का समय पर भुगतान करने के प्रति ऋणदाताओं को सजग रहने की आवश्यकता है। कुल मिलाकर यह ऋणदाताओं के हित में है कि वे बैंक से लिए जाने वाले ऋण की राशि तथा ब्याज की राशि एवं क्रेडिट कार्ड के विरुद्ध उपयोग की जाने वाली राशि का पूर्व निर्धारित एवं उचित समय सीमा के अंदर भुगतान करें क्योंकि अन्यथा की स्थिति में उस चूककर्ता नागरिक की क्रेडिट रेटिंग पर विपरीत प्रभाव पड़ता है एवं आगे आने वाले समय में उसे किसी भी वित्तीय संस्थान से ऋण प्राप्त करने में कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है एवं बहुत सम्भव है कि भविष्य में उसे किसी भी वित्तीय संस्थान से ऋण प्राप्त ही न हो सके। ऋणदाता यदि किसी प्रामाणिक कारणवश अपनी किश्त एवं ब्याज का बैंकों अथवा क्रेडिट कार्ड कम्पनी को समय पर भुगतान नहीं कर पाता है और उसका ऋण खाता यदि गैर निष्पादनकारी आस्ति में परिवर्तित हो जाता है तो इस संदर्भ में चूककर्ता ऋणदाता द्वारा बैकों को समझौता प्रस्ताव दिए जाने का प्रावधान भी है। इस समझौता प्रस्ताव के माध्यम से चूककर्ता ऋणदाता द्वारा सम्बंधित बैंक अथवा क्रेडिट कार्ड कम्पनी को मासिक किश्त एवं ब्याज की राशि को पुनर्निर्धारित किए जाने के सम्बंध में निवेदन किया जा सकता है। परंतु, यदि ऋणदाता ऋण की पूरी राशि, ब्याज सहित, अदा करने में सक्षम नहीं है तो चूक की गई राशि में से कुछ राशि की छूट प्राप्त करने एवं शेष राशि को एकमुश्त अथवा किश्तों में अदा करने के सम्बंध में भी समझौता प्रस्ताव दे सकता है। ऋण की राशि अथवा ब्याज की राशि के सम्बंध के प्राप्त की गई छूट की राशि का रिकार्ड बनता है एवं समझौता प्रस्ताव के अंतर्गत प्राप्त छूट के चलते भविष्य में उस ऋणदाता को बैकों से ऋण प्राप्त करने में कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है, इस बात का ध्यान चूककर्ता ऋणदाता को रखना चाहिए। अतः जहां तक सम्भव को ऋणदाता द्वारा समझौता प्रस्ताव से भी बचा जाना चाहिए एवं अपनी ऋण की निर्धारित किश्तों एवं ब्याज का निर्धारित समय सीमा के अंतर्गत भुगतान करना ही सबसे अच्छा रास्ता अथवा विकल्प है। भारत में तेज गति से हो रही आर्थिक प्रगति के चलते मध्यमवर्गीय नागरिकों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है, जिनके द्वारा चार पहिया वाहनों, स्कूटर, फ्रिज, टीवी, वॉशिंग मशीन एवं मकान आदि आस्तियों को खरीदने हेतु बैकों अथवा अन्य वित्तीय संस्थानों से ऋण लिया जा रहा है। कई बार मध्यमवर्गीय परिवार एक दूसरे की देखा देखी आपस में होड़ करते हुए भी कई उत्पादों को खरीदने का प्रयास करते हुए दिखाई देते हैं, चाहे उस उत्पाद विशेष की आवश्यकता हो अथवा नहीं। उदाहरण के लिए एक पड़ौसी ने यदि अपने चार पहिया वाहन का एकदम नया मॉडल खरीदा है तो जिस पड़ौसी के पास पूर्व में ही चार पहिया वाहन उपलब्ध है वह पुराने मॉडल के वाहन को बेचकर पड़ौसी द्वारा खरीदे गए नए मॉडल के चार पहिया वाहन को खरीदने का प्रयास करता है और बैंक के ऋण के जाल में फंस जाता है। यह नव धनाडय वर्ग यदि बैक से लिए गए ऋण की किश्त एवं ब्याज की राशि का निर्धारित समय सीमा के अंदर भुगतान नहीं कर पाता है तो उस नागरिक विशेष के वित्तीय रिकार्ड पर धब्बा लग सकता है जिससे उसके लिए उसके शेष जीवन में बैकों एवं अन्य वित्तीय संस्थानों से पुनः ऋण लेने में कठिनाई आ सकती है। अतः बैकों से ऋण प्राप्त करने वाले नागरिकों को ऋण की किश्त का समय पर भुगतना करना स्वयं उनके हित में हैं, ताकि भारत में तेज हो रही आर्थिक प्रगति का लाभ आगे आने वाले समय में भी समस्त नागरिक ले सकें। भारत में तो यह कहा भी जाता है कि जिसके पास जितनी चादर हो, उतने ही पैर पसारने चाहिए। अर्थात, नागरिकों को बैंकों से ऋण लेते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि ऋण की किश्त एवं ब्याज की राशि का भुगतान करने लायक उनकी अतिरिक्त आय होनी चाहिए, ताकि ऋण की किश्तों एवं ब्याज की राशि का भुगतान निर्धारित समय सीमा के अंदर किया जा सके एवं उनका ऋण खाता गैर निष्पादनकारी आस्ति में परिवर्तित नहीं हो। प्रहलाद सबनानी Read more » Middle class families are not trapped in the debt trap नहीं फंसे ऋण के जाल में
आर्थिकी राजनीति भारत की आर्थिक प्रगति में अब तो ईश्वर भी सहयोग कर रहा है June 30, 2025 / June 30, 2025 | Leave a Comment कुछ दिनों पूर्व भारत में दो विशेष घटनाएं हुईं, परंतु देश के मीडिया में उनका पर्याप्त वर्णन होता हुआ दिखाई नहीं दिया है। प्रथम, भारत के अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह के क्षेत्र में कच्चे तेल के अपार भंडार होने का पता लगा है, कहा जा रहा है कि कच्चे तेल का यह भंडार इतनी भारी मात्रा में है कि भारत, कच्चे तेल सम्बंधी, न केवल अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति कर पाएगा बल्कि कच्चे तेल का निर्यात करने की स्थिति में भी आ जाएगा। यदि भारत को कच्चे तेल की उपलब्धि पर्याप्त मात्रा में हो जाती है तो इसका प्रसंस्करण कर, डीजल एवं पेट्रोल के रूप में, पूरी दुनिया की खपत को पूरा करने की क्षमता को भी भारत विकसित कर सकता है। भारत में विश्व की सबसे बड़ी रिफाइनरी गुजरात के जामनगर में पूर्व में ही स्थापित है। अतः कच्चे तेल के साथ साथ डीजल एवं पेट्रोल का भी भारत सबसे बड़ा निर्यातक देश बन सकता है। जैसा कि दावा किया जा रहा है, यदि यह दावा सच्चाई के धरातल पर खरा उतरता है तो आगे आने वाले समय में भारत का विश्व में पुनः “सोने की चिड़िया” बनना लगभग तय है। भारत आज पूरे विश्व में कच्चे तेल का चीन एवं अमेरिका के बाद सबसे बड़ा आयातक देश है और विदेशी व्यापार के अंतर्गत भी कच्चे तेल के आयात पर ही सबसे अधिक विदेशी मुद्रा खर्च हो रही है। कच्चे तेल का उत्पादन यदि भारत में ही होने लगता है तो न केवल इसके आयात पर होने वाले भारी मात्रा में विदेशी मुद्रा के खर्च को बचाया जा सकेगा बल्कि पेट्रोल एवं डीजल के निर्यात से विदेशी मुद्रा का भारी मात्रा में अर्जन भी किया जा सकेगा। जिसके कारण, भारत में विदेशी मुद्रा के भंडार में अतुलनीय बचत एवं संचय होता हुआ दिखाई देगा और इस प्रकार भारत विश्व में विदेशी मुद्रा का सबसे बड़ा संचयक देश बन सकता है। वर्तमान में भारत कच्चे तेल की अपनी कुल आवश्यकता का 85 प्रतिशत से अधिक हिस्सा लगभग 42 देशों से प्रतिवर्ष आयात करता है। भारत कच्चे तेल की अपनी कुल खरीद का 46 प्रतिशत हिस्सा पश्चिम एशिया के देशों से आयात करता है। वर्तमान में भारत द्वारा कच्चे तेल एवं गैस के आयात पर 10,000 करोड़ अमेरिकी डॉलर से अधिक की राशि खर्च प्रतिवर्ष किया जा रहा है। भारत सरकार के पेट्रोलीयम मंत्री श्री हरदीपसिंह जी पुरी ने जानकारी प्रदान की है कि अंडमान एवं निकोबार के समुद्री क्षेत्र में कच्चे तेल एवं गैस का बहुत बड़ा भंडार मिला है। एक अनुमान के अनुसार यह भंडार 12 अरब बैरल (2 लाख करोड़ लीटर) का हो सकता है जो हाल ही में गुयाना में मिले कच्चे तेल के भंडार जितना ही बड़ा है। गुयाना में 11.6 अरब बैरल कच्चे तेल एवं गैस के भंडार पाए गए है। इस भंडार के बाद गुयाना कच्चे तेल के उत्पादन के मामले में विश्व में शीर्ष स्थान पर पहुंच सकता है जबकि अभी ग़ुयाना का विश्व में 17वां स्थान है। वर्ष 1947 में प्राप्त हुई राजनैतिक स्वतंत्रता के बाद के लगभग 70 वर्षों तक भारत की समुद्री सीमा की क्षमता का उपयोग करने का गम्भीर प्रयास किया ही नहीं गया था। हाल ही में भारत सरकार द्वारा इस संदर्भ में किए गए प्रयास सफल होते हुए दिखाई दे रहे हैं। अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह के समुद्री क्षेत्र में कच्चे तेल एवं गैस के भारी मात्रा में जो भंडार मिले हैं उनका अन्वेषण का कार्य समाप्त हो चुका है एवं अब ड्रिलिंग का कार्य प्रारम्भ किया जा रहा है। ड्रिलिंग का कार्य समाप्त होने के बाद कच्चे तेल एवं गैस के भंडारण का सही आंकलन पूर्ण कर लिया जाएगा। अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह में आधारभूत संरचना का विकास भी बहुत तेज गति से किया जा रहा है। इंडोनेशिया के सुमात्रा क्षेत्र के समुद्रीय इलाकों से भी भारी मात्रा में कच्चा तेल निकाला जा रहा है तथा भारत का अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह भी इंडोनेशिया से कुछ ही दूरी पर स्थित है। इसके कारण यह आंकलन किया जा रहा है कि अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह के समुद्रीय क्षेत्र में भी कच्चे तेल एवं गैस के अपार भंडार मौजूद हो सकते है। हर्ष का विषय यह भी है कि इस क्षेत्र में कच्चे तेल एवं गैस के साथ साथ अन्य दुर्लभ भौतिक खनिज पदार्थों (रेयर अर्थ मिनरल/मेटल) के भारी मात्रा में मिलने की सम्भावना भी व्यक्त की जा रही है। भारी मात्रा में मिलने जा रहे कच्चे तेल के चलते भारत अपनी परिष्करण क्षमता को बढ़ाने पर विचार कर रहा है। चूंकि चीन ने कुछ दुर्लभ भौतिक खनिज पदार्थों का भारत को निर्यात करना बंद कर दिया है अतः भारत के अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह में इन पदार्थों का मिलना भारत के लिए बहुत बड़ी खुशखबर है। पूर्व में भी भारत में कच्चे तेल एवं गैस के भंडार का पता चला था, जैसे बॉम्बे हाई, काकीनाड़ा, बलिया एवं समस्तिपुर, आदि। इन समस्त स्थानों पर कच्चे तेल को निकालने के संबंच में आवश्यक कार्य प्रारम्भ हो चुका है। दरअसल, इस कार्य में पूंजीगत खर्च बहुत अधिक मात्रा में होता है। जापान, रूस एवं अमेरिका से तकनीकी सहायता प्राप्त करने के लिए इन देशों की बड़ी कम्पनियों के साथ करार करने के प्रयास भी भारत सरकार द्वारा किए जा रहे हैं। भारत का समुद्रीय क्षेत्र 5 लाख किलोमीटर का है। इसी प्रकार, पश्चिम बंगाल के समुद्रीय इलाके में भी खोज जारी है एवं इस क्षेत्र में भी कच्चे तेल एवं गैस के भंडार मिलने की सम्भावना व्यक्त की जा रही है। अंडमान एवं निकोबार क्षेत्र में कच्चे तेल का उत्पादन प्रारम्भ होने के पश्चात आगामी लगभग 70 वर्षों तक भारत को कच्चे तेल के आयात की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। द्वितीय शुभ समाचार यह प्राप्त हुआ है कि भारत के कर्नाटक राज्य में कोलार क्षेत्र में स्थित अपनी सोने की खदानों में भारत एक बार पुनः खनन की प्रक्रिया को प्रारम्भ करने के सम्बंध में विचार कर रहा है। कोलार गोल्ड फील्ड (KGF) को वर्ष 2001 में खनन की दृष्टि से बंद कर दिया गया था। परंतु, अब 25 वर्ष पश्चात स्वर्ण की इन खदानों में खनन की प्रक्रिया को पुनः प्रारम्भ किए जाने के प्रयास किए जा रहे है। इस संदर्भ में कर्नाटक सरकार ने भी अपनी मंजूरी प्रदान कर दी है। आज पूरे विश्व में सोने की कीमतें आसमान छूते हुए दिखाई दे रही है और विभिन्न देशों के केंद्रीय बैंक अपने सोने के भंडार में वृद्धि करते हुए दिखाई दे रहे हैं क्योंकि अमेरिकी डॉलर पर इन देशों का विश्वास कुछ कम होता जा रहा है। बहुत सम्भव है कि आगे आने वाले समय में अमेरिकी डॉलर के बाद एक बार पुनः स्वर्ण मुद्राएं ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर होने वाले व्यापार के भुगतान का माध्यम बनें। ऐसे समय में भारत के कोलार क्षेत्र में स्थित स्वर्ण की खदानों में एक बार पुनः खनन की प्रक्रिया को प्रारम्भ करना एक अति महत्वपूर्ण निर्णय कहा जा सकता है। कोलार स्थित स्वर्ण की इन खदानों में 750 किलोग्राम स्वर्ण की प्राप्ति की सम्भावना व्यक्त की जा रही है। प्राचीन काल में कोलार गोल्ड फील्ड को गोल्डन सिटी आफ इंडिया कहा जाता था। प्राचीन काल में में भारत को “सोने की चिड़िया” कहा जाता था। एक अनुमान के अनुसार, भारतीय महिलाओं के पास 25,000 से 26,000 टन स्वर्ण का भंडार है। यह भी कहा जा रहा है कि भारत की महिलाओं के पास स्वर्ण का जितना भंडार है लगभग उतना ही भंडार पूरे विश्व में अन्य देशों के पास है। अर्थात, पूरे विश्व में उपलब्ध स्वर्ण का आधा भाग भारतीय महिलाओं के पास आज भी उपलब्ध है। ब्रिटिश सरकार द्वारा भारत में स्थापित अपनी सत्ता के खंडकाल के दौरान लगभग 900 टन स्वर्ण, कोलार की खदानों से निकालकर, ब्रिटेन लेकर जाया गया था। भारत की केंद्रीय बैंक, भारतीय रिजर्व बैंक, के पास आज 880 टन स्वर्ण के भंडार हैं, जो कि भारत के 69,700 करोड़ अमेरिकी डॉलर के विदेशी मुद्रा भंडार का 12 प्रतिशत हिस्सा है। हाल ही के समय में विदेशी निवेशकों का भारत पर विश्वास बढ़ा है अतः भारत का स्वर्णिम काल पुनः प्रारम्भ हो रहा है। विश्व के विभिन्न देशों के केंद्रीय बैंकों के पास आज 36,000 टन स्वर्ण का भंडार हैं, जबकि इनमे से कई देशों के केंद्रीय बैंक अभी भी स्वर्ण की खरीदी करते जा रहे हैं। स्वर्ण भंडार की दृष्टि से भारत का आज विश्व में 8वां स्थान है। चीन एवं रूस स्वर्ण के सबसे बड़े उत्पादक देश हैं फिर भी ये दोनों देश स्वर्ण का आयात भी जारी रखे हुए हैं। लगातार, पिछले 3 वर्षों से विभिन्न देशों के केंद्रीय बैंक लगभग 1,000 टन स्वर्ण की खरीद प्रतिवर्ष कर रहे हैं। स्वर्ण की खरीदी का यह कार्य रुकने वाला नहीं है आगे भी ऐसे ही चलता रहेगा। अतः भारत सरकार द्वारा भी कोलार गोल्ड फील्ड में स्वर्ण के खनन का कार्य प्रारम्भ किया जा रहा है। स्वर्ण के भंडार बढ़ने के साथ भारत, रुपए का अंतरराष्ट्रीयकरण कर सकता है। साथ ही, स्वर्ण के भंडार बढ़ने के साथ ही अंतरराष्ट्रीय बाजार में रुपए की कीमत भी बढ़ती जाएगी। कुल मिलाकर, अब यह कहा जा सकता है कि ईश्वरीय कृपा से एवं उक्त कारणों के चलते भारत को विश्व में एक बार पुनः “सोने की चिड़िया” बनाया जा सकता है। प्रहलाद सबनानी Read more » India's Andaman and Nicobar Islands have huge reserves of crude oil भारत की आर्थिक प्रगति
आर्थिकी राजनीति भारत आध्यात्म एवं युवाओं के बल पर प्रतिव्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद में अतुलनीय वृद्धि कर सकता है June 23, 2025 / June 23, 2025 | Leave a Comment जापान की अर्थव्यवस्था को पीछे छोड़ते हुए भारत आज विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है और संभवत आगामी लगभग दो वर्षों के अंदर जर्मनी की अर्थव्यवस्था से आगे निकलकर विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की अपनी अपनी विशेषताएं हैं, जिसके आधार पर यह अर्थव्यवस्थाएं विश्व में उच्च स्थान पर पहुंची हैं एवं इस स्थान पर बनी हुई हैं। प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद के मामले में आज भी कई विकसित देश भारत से आगे हैं। इन समस्त देशों के बीच चूंकि भारत की आबादी सबसे अधिक अर्थात 140 करोड़ नागरिकों से अधिक है, इसलिए भारत में प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद बहुत कम है। अमेरिका के सकल घरेलू उत्पाद का आकार 30.51 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर है और प्रति ब्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद 89,110 अमेरिकी डॉलर हैं। इसी प्रकार, चीन के सकल घरेलू उत्पाद का आकार 19.23 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर है और प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद 13,690 अमेरिकी डॉलर है और जर्मनी के सकल घरेलू उत्पाद का आकार 4.74 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर है और प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद 55,910 अमेरिकी डॉलर है। यह तीनों देश सकल घरेलू उत्पाद के आकार के मामले में आज भारत से आगे हैं। भारत के सकल घरेलू उत्पाद का आकार 4.19 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर है तथा प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद केवल 2,880 अमेरिकी डॉलर है। भारत के पीछे आने वाले देशों में हालांकि सकल घरेलू उत्पाद का आकार कम जरूर है परंतु प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद के मामले में यह देश भारत से बहुत आगे हैं। जैसे जापान के सकल घरेलू उत्पाद का आकार 4.18 लाख करोड़ है और प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद 33,960 अमेरिकी डॉलर है। ब्रिटेन के सकल घरेलू उत्पाद का आकार 3.84 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर और प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद 54,950 अमेरिकी डॉलर है। फ्रान्स के सकल घरेलू उत्पाद का आकार 3.21 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर है और प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद 46,390 अमेरिकी डॉलर है। इटली के सकल घरेलू उत्पाद का आकार 2.42 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर है और प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद 41,090 अमेरिकी डॉलर है। कनाडा के सकल घरेलू उत्पाद का आकार 2.23 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर है और प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद 53,560 अमेरिकी डॉलर है। ब्राजील के सकल घरेलू उत्पाद का आकार 2.13 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर और प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद 9,960 अमेरिकी डॉलर है। सकल घरेलू उत्पाद के आकार के मामले में विश्व की सबसे बड़ी 10 अर्थव्यवस्थाओं में भारत शामिल होकर चौथे स्थान पहुंच जरूर गया है परंतु प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद के मामले में भारत इन सभी अर्थव्यवस्थाओं से अभी भी बहुत पीछे है। इस सबके पीछे सबसे बड़े कारणों में शामिल है भारत द्वारा वर्ष 1947 में राजनैतिक स्वतंत्रता प्राप्ति पश्चात, आर्थिक विकास की दौड़ में बहुत अधिक देर के बाद शामिल होना। भारत में आर्थिक सुधार कार्यक्रमों की शुरुआत वर्ष 1991 में प्रारम्भ जरूर हुई परंतु इसमें इस क्षेत्र में तेजी से कार्य वर्ष 2014 के बाद ही प्रारम्भ हो सका है। इसके बाद, पिछले 11 वर्षों में परिणाम हमारे सामने हैं और भारत विश्व की 11वीं अर्थव्यवस्था से छलांग लगते हुए आज 4थी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। दूसरे, इन देशों की तुलना में भारत की जनसंख्या का बहुत अधिक होना, जिसके चलते सकल घरेलू उत्पाद का आकार तो लगातार बढ़ रहा है परंतु प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद अभी भी अत्यधिक दबाव में है। अमेरिका में तो आर्थिक क्षेत्र में सुधार कार्यक्रम 1940 में ही प्रारम्भ हो गए थे एवं चीन में वर्ष 1960 से प्रारम्भ हुए। अतः भारत इस मामले में विश्व के विकसित देशों से बहुत अधिक पिछड़ गया है। परंतु, अब भारत में गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले नागरिकों की संख्या में तेजी से कमी हो रही है तथा साथ ही अतिधनाडय एवं मध्यमवर्गीय परिवारों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ रही है, जिससे अब उम्मीद की जानी चाहिए कि आगे आने वाली समय में भारत में भी प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद में तेज गति से वृद्धि होगी। विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था, अमेरिका में सेवा क्षेत्र इसकी सबसे बढ़ी ताकत है। अमेरिका में केवल 2 प्रतिशत आबादी ही कृषि क्षेत्र पर निर्भर है और अमेरिका की अधिकतम आबादी उच्च तकनीकी का उपयोग करती है जिसके कारण अमेरिका में उत्पादकता अपने उच्चत्तम स्तर पर है। पेट्रोलीयम पदार्थों एवं रक्षा उत्पादों के निर्यात के मामले में अमेरिका आज पूरे विश्व में प्रथम स्थान पर है। वर्ष 2024 में अमेरिका ने 2.08 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर मूल्य के बराबर का सामान अन्य देशों को निर्यात किया है, जो चीन के बाद विश्व के दूसरे स्थान पर है। तकनीकी वर्चस्व, बौद्धिक सम्पदा एवं प्रौद्योगिकी नवाचार ने अमेरिका को विकास के मामले में बहुत आगे पहुंचा दिया है। टेक्निकल नवाचार से जुड़ी विश्व की पांच शीर्ष कम्पनियों में से चार, यथा एप्पल, एनवीडिया, माक्रोसोफ्ट एवं अल्फाबेट, अमेरिका की कम्पनियां हैं। इन कम्पनियों का संयुक्त बाजार मूल्य 12 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर से भी अधिक है, जो विश्व के कई देशों के सकल घरेलू उत्पाद से बहुत अधिक है। अतः अमेरिका के नागरिकों ने बहुत तेजी से धन सम्पदा का संग्रहण किया है इसी के चलते प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद अमेरिका में बहुत अधिक है। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद वर्ष 1944 में अमेरिका के ब्रेटन वुड्ज नामक स्थान पर हुई एतिहासिक बैठक में विश्व के 44 देशों ने वैश्विक वित्तीय व्यवस्था के नए ढांचे पर सहमति जताते हुए अपने देश की मुद्रा को अमेरिकी डॉलर से जोड़ दिया था। इसके बाद से वैश्विक अर्थव्यवस्था में अमेरिकी डॉलर का दबदबा बना हुआ है। आज विश्व का लगभग 80 प्रतिशत अंतरराष्ट्रीय बैंकिंग लेन देन अमेरिकी डॉलर में होता है। अमेरिका के बाद विश्व की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन को पूरे विश्व का विनिर्माण केंद्र कहा जाता है क्योंकि आज पूरे विश्व के औद्योगिक उत्पादन का 31 प्रतिशत हिस्सा चीन में निर्मित होता है। चीन में पूरे विश्व की लगभग समस्त कम्पनियों ने अपनी विनिर्माण इकाईयां स्थापित की हुई हैं। चीन के सकल घरेलू उत्पाद में विनिर्माण इकाईयों का योगदान 27 प्रतिशत से अधिक हैं। पूरे विश्व में आज उत्पादों के निर्यात के मामले में प्रथम स्थान पर है। विभिन्न उत्पादों का निर्यात चीन की आर्थिक शक्ति का प्रमुख आधार है। सस्ती श्रम लागत के चलते चीन में उत्पादित वस्तुओं की कुल लागत तुलनात्मक रूप से बहुत कम होती है। वर्ष 2024 में चीन का कुल निर्यात 3.57 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर से अधिक का रहा है। विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अर्थात जर्मनी ने पिछले एक वर्ष में 25,000 पेटेंट अर्जित किए हैं। जर्मनी को, ऑटोमोबाइल उद्योग ने, पूरे विश्व में एक नई पहचान दी है। चार पहिया वाहनों के उत्पादन एवं निर्यात के मामले में जर्मनी पूरे विश्व में प्रथम स्थान पर है। जर्मनी में निर्मित चार पहिया वाहनों का 70 प्रतिशत हिस्सा निर्यात होता है। यूरोपीय यूनियन के देशों की सड़कों पर दौड़ने वाली हर तीसरी कार जर्मनी में निर्मित होती है। जर्मनी विश्व का तीसरा सबसे बड़ा निर्यातक देश है, जिसने 2024 में 1.66 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर मूल्य के बराबर राशि के उत्पाद एवं सेवाओं का निर्यात किया था। मुख्य निर्यात वस्तुओं में मोटर वाहनों के अलावा मशीनरी, रसायन और इलेक्ट्रिक उत्पाद शामिल हैं। आज भारत सकल घरेलू उत्पाद के आकार के मामले में विश्व में चौथे पर पहुंच गया है परंतु भारत को प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद के मामले में जबरदस्त सुधार करने की आवश्यकता है। भारत पूरे विश्व में आध्यात्म के मामले में सबसे आगे है अतः भारत को धार्मिक पर्यटन को सबसे तेज गति से आगे बढ़ाते हुए युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर निर्मित करने चाहिए जिससे नागरिकों की आय में वृद्धि करना आसान हो। दूसरे, भारत में 80 करोड़ आबादी का युवा (35 वर्ष से कम आयु) होना भी विकास के इंजिन के रूप में कार्य कर सकता है। भारत की विशाल आबादी ने भारत को विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने में अपना योगदान दिया है। भारत की अर्थव्यवस्था में विविधता झलकती है और यह केवल कुछ क्षेत्रों पर निर्भर नहीं है। भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि क्षेत्र का योगदान 16 प्रतिशत है तथा रोजगार के अधिकतम अवसर भी कृषि क्षेत्र से ही निकलते हैं, जिसके चलते प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद विपरीत रूप से प्रभावित होता है। सेवा क्षेत्र का योगदान 60 प्रतिशत से अधिक है परंतु, विनिर्माण क्षेत्र का योगदान बढ़ाने की आवश्यकता है। वाणिज्य मंत्रालय द्वारा प्रदान की गई जानकारी के अनुसार वित्तीय वर्ष 2024-25 में भारत में 81 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश हुआ है अर्थात विदेशी निवेशक भारत में अपनी विनिर्माण इकाईयों की स्थापना करते हुए दिखाई दे रहे हैं। आज विदेशी निवेशकों का भारतीय अर्थव्यवस्था में विश्वास बढ़ा है। आज भारत का विदेशी मुद्रा भंडार भी 694 अरब अमेरिकी डॉलर की आंकड़े को पार कर गया है। आगे आने वाले समय में अब विश्वास किया जा सकता है कि भारत में भी प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद में तेज गति से वृद्धि होती हुई दिखाई देगी। प्रहलाद सबनानी Read more » India can achieve unprecedented growth in per capita GDP on the strength of spirituality and youth प्रतिव्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद
राजनीति इजराईल – ईरान युद्ध में भारत निभा सकता है अहम भूमिका June 19, 2025 / June 23, 2025 | Leave a Comment रूस – यूक्रेन एवं इजराईल – हम्मास के बीच युद्ध अभी समाप्त भी नहीं हुआ है और तीसरे मोर्चे इजराईल – ईरान के बीच भी युद्ध प्रारम्भ हो गया है। हालांकि इस बीच भारत – पाकिस्तान के बीच भी युद्ध छिड़ गया था परंतु भारत की बड़े भाई की भूमिका के चलते इस युद्ध को शीघ्रता से समाप्त करने में सफलता मिल गई थी। दो देशों के बीच युद्ध में किसी एक देश का फायदा नहीं होकर बल्कि दोनों ही देशों का नुक्सान ही होता है। परंतु, आवेश में आकर कई बार दो बड़े देश भी आपस में टकरा जाते हैं एवं इन दोनों देशों के पक्ष एवं विपक्ष में कुछ देश खड़े हो जाते हैं जिससे कुछ इस प्रकार की परिस्थितियां निर्मित हो जाती हैं कि विश्व युद्ध छिड़ जाते हैं। वर्ष 1914 से वर्ष 1918 के बीच प्रथम विश्व युद्ध एवं वर्ष 1939 से वर्ष 1945 के बीच द्वितीय विश्व युद्ध इसके उदाहरण हैं। इजराईल – ईरान के बीच हाल ही में प्रारम्भ हुए युद्ध में अमेरिका भी कूदने की तैयारी करता हुआ दिखाई दे रहा है। अगर ऐसा होता है तो बहुत सम्भव है कि ईरान की सहायता के लिए रूस एवं चीन भी इस युद्ध में कूद पड़ें एवं यह युद्ध तृतीय विश्व युद्ध का स्वरूप ले ले। ऐसा कहा जा रहा है कि इजराईल एवं अमेरिका ईरान में सत्ता परिवर्तन करवाना चाह रहे हैं ताकि ईरान में उनके हितों को साधने वाली सरकार स्थापित हो सके। वैश्विक स्तर पर आज परिस्थितियां बहुत सहज रूप से नहीं चल रही है। विभिन्न देशों के बीच विश्वास की कमी हो गई है जिसके चलते छोटे छोटे मुद्दों को तूल दी जाकर आपस में खटास पैदा करने के प्रयास हो रहे हैं। कुछ देश, दो देशों के बीच, इन मुद्दों को हवा देते हुए भी दिखाई दे रहे हैं। जैसे आतंकवाद के मुद्दे को ही लें, यदि ये देश आतंकवाद से स्वयं ग्रसित हैं तो इनके लिए आतंकवाद बुराई की जड़ है और यदि कोई अन्य देश आतंकवाद को लम्बे समय से झेल रहा है तो इन देशों के लिए आतंकवाद कोई बहुत बड़ा मुद्दा नहीं है। बल्कि, आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले देशों को प्रोत्साहन दिया जाता हुआ दिखाई दे रहा है। चौधरी बन रहे कुछ देश अपनी विस्तरवादी नीतियों के चलते कई देशों में अपने हित साधने वाली सरकारों की स्थापना करना चाह रहे हैं एवं इन देशों में इस प्रकार की परिस्थितियां निर्मित करने के प्रयास कर रहे हैं ताकि ये देश आपस में लड़ाई प्रारम्भ करें। रूस एवं यूक्रेन के बीच युद्ध इसका जीता जागता उदाहरण है । साथ ही, कुछ देशों की कथनी और करनी में पाए जाने वाले फर्क के चलते भी वैश्विक स्तर पर परिस्थितियां बिगड़ रही हैं। चौधरी बन रहे देशों को तो उदाहरण पेश करते हुए अपनी कथनी एवं करनी में फर्क को समाप्त करना ही होगा। अन्यथा, वैश्विक स्तर पर परिस्थितियां भयावह स्तर तक पहुंच सकती हैं। चूंकि इजराईल भी आतंकवाद से पीड़ित देश है एवं इजराईल की सीमाएं चार मुस्लिम राष्ट्रों से जुड़ी हुई हैं; यथा, उत्तर में लेबनान, दक्षिण पश्चिम में ईजिप्ट (एवं गाजा), पूर्व में जॉर्डन (एवं वेस्ट बैंक) एवं उत्तर पूर्व में सीरिया। अतः इजराईल अत्यधिक आक्रात्मकता के साथ आतंकवादियों (हम्मास एवं हूथी आदि संगठनों) से युद्ध करता रहता है। इस्लाम के अनुयायी यहूदियों के कट्टर दुश्मन हैं, इसके चलते भी इजराईल के नागरिकों को आतंकवाद को लम्बे समय से झेलना पड़ रहा है। ईरान के बारे में तो कहा जा रहा है कि ईरान स्थित लगभग 60 प्रतिशत मस्जिदों में इबादत के लिए कोई भी व्यक्ति पहुंच ही नहीं रहा है क्योंकि ईरान में एवं ईरान द्वारा पड़ौसी देशों में फैलाए गए आतंकवाद से ईरान के मूल नागरिक अत्यधिक परेशान हैं। महिलाओं पर आतंकवादियों द्वारा किए जा रहे अत्याचारों से स्थानीय नागरिक बहुत दुखी हैं। अतः अब वे अपने पुराने धर्म जोरोस्ट्रीयन को अपनाने के लिए आतुर दिखाई दे रहे हैं अथवा इस्लाम धर्म का परित्याग करना चाह रहे हैं। जोरोस्ट्रीयन, ईरान का मूल धर्म हैं एवं यह अब ईरान के कुछ (बहुत कम) क्षेत्रों में सिमट कर रह गया है। भारत में भी जोरोस्ट्रीयन धर्म को मानने वाले पारसी समुदाय के कुछ नागरिक शांतिपूर्वक रह रहे हैं एवं भारत के आर्थिक विकास में अपना भरपूर योगदान दे रहे हैं। वैश्विक स्तर पर निर्मित हो रही उक्त वर्णित परिस्थितियों के बीच भारत की विशेष भूमिका रह सकती है क्योंकि भारत के इजराईल एवं ईरान दोनों ही देशों के साथ आर्थिक रिश्ते बहुत मजबूत हैं। भारत, ईरान से भारी मात्रा में कच्चा तेल खरीदता रहा है एवं भारत ने ईरान में चाबहार बंदरगाह के निर्माण में भारी आर्थिक एवं तकनीकी सहायता प्रदान की है। चाबहार बंदरगाह का संचालन भी ईरान की सरकार के साथ भारतीय इंजीनियरों द्वारा ही किया जा रहा है। भारत और ईरान के बीच प्रतिवर्ष 200 करोड़ अमेरिकी डॉलर से अधिक की राशि का विदेशी व्यापार होता है। दूसरी ओर, इजराईल भारत का रणनीतिक साझीदार है। भारत इजराईल से भारी मात्रा में सुरक्षा उपकरण भी खरीदता है। भारत और इजराईल के बीच प्रतिवर्ष 650 करोड़ अमेरिकी डॉलर से अधिक की राशि का विदेशी व्यापार होता है, इसमें भारत द्वारा इजराईल से आयात किये जाने वाले सुरक्षा उपकरणों की राशि शामिल नहीं है। कुल मिलाकर, भारत के इजराईल एवं ईरान, दोनों देशों के साथ बहुत पुराने व्यापारिक एवं सांस्कृतिक रिश्ते हैं। भारतीय सनातन हिंदू संस्कृति में “वसुधैव कुटुम्बकम”; “सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय” एवं “सर्वे भवंतु सुखिन:” की भावना पर विश्वास किया जाता है। अतः भारतीय नागरिक सामान्यतः शांत स्वभाव के होते है एवं पूरे विश्व में ही भ्रातत्व के भाव का संचार करते हैं। आज 4 करोड़ से अधिक भारतीय मूल के नागरिक विभिन्न देशों के आर्थिक विकास में अपना भरपूर योगदान दे रहे हैं। इन देशों में होने वाले अपराधों में भारतीय मूल के नागरिकों की संलिप्तता लगभग नहीं के बराबर पाई गई है। इसी कारण के चलते आज वियतनाम, जापान, इजराईल, आस्ट्रेलिया एवं सिंगापुर जैसे कई देश भारतीय मूल के नागरिकों को अपने देश में कार्य करने एवं बसाने में सहायता करते हुए दिखाई दे रहे हैं। खाड़ी के देश यथा ओमान, बहरीन, सऊदी अरब, यूनाइटेड अरब अमीरात आदि में भी लाखों की संख्या में भारतीय मूल के नागरिक निवास कर रहे हैं एवं शांतिप्रिय जीवन व्यतीत कर रहे हैं। कुल मिलाकर, विभिन्न देशों में निवासरत भारतीय मूल के नागरिकों का रिकार्ड बहुत ही संतोषजनक पाया जाता है, क्योंकि, भारतीयों की मूल प्रकृति ही सनातन हिंदू संस्कारों के अनुरूप पाई जाती है एवं वे किसी भी प्रकार के कर्म में धर्म को जोड़कर ही इसे सम्पन्न करने का प्रयास करते हैं। और, धर्म के अनुरूप किये गए किसी भी कार्य से किसी का अहित हो ही नहीं सकता। उक्त वर्णित परिप्रेक्ष्य में वैश्विक स्तर पर जब चौधरी बन रहे देशों द्वारा अन्य देशों के साथ न्याय नहीं किया जाता हुआ दिखाई दे रहा है तो ऐसे में भारत को आगे आकर युद्ध में झौंके जा रहे देशों के नागरिकों की मदद करनी चाहिए। भारत की तो वैसे भी नीति ही “वसुधैव कुटुम्बकम” की है। यदि पूरे विश्व में भाईचारा फैलाना है तो सनातन हिंदू संस्कृति के अनुपालन से ही यह सब सम्भव हो सकता है। उक्त परिस्थितियों के बीच सनातन हिंदू संस्कृति की स्वीकार्यता विभिन्न देशों के नागरिकों की बीच तेजी से बढ़ भी रही है क्योंकि कई देश अब आतंकवाद से बहुत अधिक परेशान हो चुके हैं। अतः अब वे किसी तीसरे रास्ते की तलाश में हैं। इन विपरीत परिस्थितियों के बीच उनके पास अब विकल्प केवल सनातन हिंदू संस्कृति के संस्कारों को अपनाने का ही बचता है, जिसके प्रति वे लालायित भी हैं। और फिर, आतंकवाद से यदि छुटकारा पाना है तो इससे लड़ते हुए छुटकारा पाने में तो कुछ देशों को कई प्रकार के बलिदान देने पड़ सकते हैं और यदि सनातन हिंदू संस्कृति के संस्कारों को स्वीकार कर लिया जाता है तो कई देशों के नागरिकों को इस बलिदान से बचाया जा सकता है। अतः विश्व के देशों में सनातन हिंदू संस्कृति के संस्कारों को तेजी से वहां के स्थानीय नागरिकों के बीच किस प्रकार फैलाया जा सकता है, इस विषय पर विश्व में शांति स्थापित करने के उद्देश्य से अब गहन चिंतन एवं मनन करने की आवश्यकता है। प्रहलाद सबनानी Read more » India can play an important role in the Israel-Iran war इजराईल - ईरान युद्ध में भारत निभा सकता है अहम भूमिका
आर्थिकी राजनीति भारत में लगातार घटती गरीबी एवं बढ़ती धनाडयों की संख्या June 11, 2025 / June 11, 2025 | Leave a Comment वैश्विक स्तर पर वित्तीय संस्थान अब यह स्पष्ट रूप से मानने लगे हैं कि विश्व में भारत की आर्थिक ताकत बहुत तेजी से बढ़ रही है। हाल ही में जारी किए गए एक सर्वे रिपोर्ट में यह बताया गया है कि भारत में पिछले बीते वर्ष में उच्च नेटवर्थ व्यक्तियों की संख्या एवं उनकी संपतियों […] Read more » Continuously decreasing poverty and increasing number of rich people in India भारत में लगातार घटती गरीबी
आर्थिकी राजनीति भारतीय अर्थव्यवस्था को भारतीय रिजर्व बैंक के दो महत्वपूर्ण तोहफे June 8, 2025 / June 9, 2025 | Leave a Comment वैश्विक स्तर पर विश्व के कई देशों में आर्थिक गतिविधियों पर संकट के बादल मंडराते हुए दिखाई दे रहे हैं। अमेरिका में तो श्री डॉनल्ड ट्रम्प के राष्ट्रपति बनने के बाद से नित नई घोषणाएं की जा रही है। कभी टैरिफ को बढ़ाया जा रहा है तो कभी टैरिफ को लागू करने की तारीखों में […] Read more » भारतीय रिजर्व बैंक के दो महत्वपूर्ण तोहफे