खान-पान मिलावटखोरों के खिलाफ दिवाली पर कार्यवाही क्यों October 17, 2025 / October 17, 2025 | Leave a Comment राजेश कुमार पासी जब भी दीवाली आती है, अखबारों में खाद्य विभाग के छापों की खबर प्रकाशित होने लगती है। दीवाली से कुछ दिन पहले रोज ऐसी खबरें पढ़ने को मिलती हैं जिसमें से ज्यादातर दुग्ध उत्पादों के बारे में होती हैं। खाद्य विभाग जगह-जगह छापे मारकर नकली खोया, पनीर और मिठाइयों को जब्त करता […] Read more » Why action against adulterators on Diwali मिलावटखोरों के खिलाफ दिवाली पर कार्यवाही
राजनीति दलित-पिछड़े वर्ग की सबसे बड़ी समस्या क्या है September 30, 2025 / September 30, 2025 | Leave a Comment पिछड़ों की पार्टी आज यादवों की पार्टी बन गई है जो मुस्लिम वोटों के सहारे सत्ता की लड़ाई में बची हुई है । जब तक ये मुस्लिम वोट बसपा के पास थे, वो भी सत्ता की लड़ाई का हिस्सा थी । अगर कांग्रेस सपा से किसी तरह मुस्लिम वोट बैंक छीन लेती है तो इस पार्टी की हालत भी बसपा जैसी हो जाएगी । Read more »
राजनीति सोनिया गांधी फिलिस्तीन के लिए चिंतित क्यों हैं September 26, 2025 / September 26, 2025 | Leave a Comment राजेश कुमार पासी कांग्रेस संसदीय दल की नेता सोनिया गांधी ने गुरुवार को एक लेख अखबार में लिखा है जो कि अंग्रेजी भाषा में है । उन्होंने अपने लेख के माध्यम से मोदी सरकार की विदेश नीति पर सवाल खड़े किए हैं । उन्होंने सरकार की फिलिस्तीन नीति को मानवता और नैतिकता की घोर उपेक्षा […] Read more » Sonia Gandhi concerned about Palestine? Why is Sonia Gandhi concerned about Palestine?
राजनीति उत्तर प्रदेश भारत का विकास इंजन बन गया है September 25, 2025 / September 29, 2025 | Leave a Comment राजेश कुमार पासी जब भी बीमारू राज्यों की बात की जाती थी तो जिन दो राज्यों का नाम सबसे पहले जहन में आता था, उसमें पहला नाम बिहार और दूसरा यूपी का होता था। इसके अलावा मध्यप्रदेश और उड़ीसा भी बीमारू राज्य थे । Read more » उत्तर प्रदेश
राजनीति विश्ववार्ता यूरोपीय देशों के समर्थन से फिलिस्तीन को क्या मिला September 24, 2025 / September 24, 2025 | Leave a Comment राजेश कुमार पासी ऐसा लग रहा है कि यूरोपीय देशों में फिलिस्तीन को मान्यता देने की होड़ लग गई है. एक-एक करके कई देशों ने फिलिस्तीन को मान्यता दे दी है । कुछ दिनों के अंदर ही कनाडा, ब्रिटेन, फ्रांस, पुर्तगाल, ऑस्ट्रेलिया, मोनाको, माल्टा,लक्जमबर्ग और बेल्जियम ने फिलिस्तीन को एक देश के रूप में मान्यता दे दी है। जहां इसका फिलिस्तीन अधिकारियों […] Read more » फिलिस्तीन
राजनीति विश्ववार्ता सऊदी-पाक सुरक्षा समझौते से भारत चिंतित क्यों September 23, 2025 / September 29, 2025 | Leave a Comment राजेश कुमार पासी सऊदीअरब और पाकिस्तान ने नाटो देशों की तरह सुरक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं जिसके बारे में कहा जा रहा है कि एक देश पर हमला दोनों देशों पर हमला माना जाएगा और दोनों देश मिलकर उसका जवाब देंगे । Read more » Saudi-Pakistan security agreement Why is India worried about the Saudi-Pakistan security agreement?
लेख झूठे दुष्कर्म के मामलों में पिसता पुरुष समाज September 22, 2025 / September 22, 2025 | Leave a Comment राजेश कुमार पासी जब दिल्ली में निर्भया कांड हुआ था तो पूरे देश में महिलाओं से होने वाले दुष्कर्म के प्रति गुस्सा भर गया था और जनता सड़कों पर आ गई थी । इस कांड के बाद ही संसद ने ऐसे मामलों को रोकने के लिए सख्त कानून बनाया था लेकिन ऐसे मामले रुक नहीं […] Read more » Male society suffers in false rape cases झूठे दुष्कर्म के मामलों में पिसता पुरुष समाज झूठे दुष्कर्म में पिसता पुरुष समाज
राजनीति नेपाल-बांग्लादेश जैसी अराजकता की दुआ क्यों September 19, 2025 / September 19, 2025 | Leave a Comment राजेश कुमार पासी पहले श्रीलंका, फिर बांग्लादेश और अब नेपाल में छात्रों ने आंदोलन करके एक ही दिन में सत्ता पलट दी। इससे हमारे देश के कुछ नेताओं और उनके समर्थकों के मन में लड्डू फूटने लगे कि ऐसे ही भारत में आंदोलन करके सत्ता पलट देंगे । ये लोग सोशल मीडिया पर चिल्ला रहे […] Read more » Why pray for anarchy like Nepal Why pray for anarchy like Nepal-Bangladesh नेपाल-बांग्लादेश जैसी अराजकता
लेख समाज जनरेशन गैप और संवादहीनता के कारण टूटते परिवार September 18, 2025 / September 18, 2025 | Leave a Comment राजेश कुमार पासी नानक दुखिया सब संसारा, वर्तमान हालातों पर ये बात पूरी तरह लागू होती है क्योंकि हर व्यक्ति अलग-अलग कारणों से परेशान है । आज का बड़ा सच है कि बुजुर्ग बच्चों से परेशान हैं और बच्चे बुजुर्गों से परेशान हैं । इसके लिए ज्यादातर लोग जनरेशन गैप को दोषी ठहराते हैं जबकि यह […] Read more » Families breaking up due to generation gap and lack of communication जनरेशन गैप और संवादहीनता के कारण टूटते परिवार
राजनीति विधि-कानून वक्फ के सुप्रीम फैसले पर पक्ष-विपक्ष दोनों खुश September 17, 2025 / September 17, 2025 | Leave a Comment राजेश कुमार पासी वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन करने वाले वक्फ बोर्ड कानून में संशोधन कानून केन्द्र सरकार ने बनाया था । लोकसभा और राज्यसभा से पास होने के पश्चात 5 अप्रैल 2025 को राष्ट्रपति के हस्ताक्षरों के बाद यह कानून देश में लागू हो गया था । 5 अप्रैल को ही आम आदमी पार्टी के नेता अमानतुल्लाह खान व अन्य ने इस कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी थी । असदुद्दीन ओवैसी,मोहम्मद जावेद, एआईएमपीएलबी और अन्य भी इस मामले में सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए । 17 अप्रैल को केन्द्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को आश्वासन दिया कि मामले की सुनवाई तक ‘वक्फ वाई यूजर’ या ‘वक्फ वाई डीड’ सम्पत्तियों को गैर-अधिसूचित नहीं किया जाएगा । 22 मई को सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाओं की सुनवाई पूरी कर ली और फैसला सुरक्षित कर लिया था । 15 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर अपना अंतरिम फैसला दे दिया है । वक्फ कानून के खिलाफ अदालत गए याचिकाकर्ताओं की मुख्य मांग को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है । याचिकाकर्ता चाहते थे कि सुप्रीम कोर्ट पूरे कानून पर रोक लगा दे लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि किसी कानून पर अंतरिम रोक लगाने को लेकर सावधानी बरतनी चाहिए और दुर्लभ से दुर्लभतम मामलों में ही पूरे कानून पर रोक लगानी चाहिए । इस फैसले से सरकार और कानून के पक्षधर बहुत खुश हैं लेकिन कानून के खिलाफ गए याचिकाकर्ता भी खुश हैं क्योंकि अदालत ने इस कानून के कुछ प्रावधानों पर रोक लगा दी है । देखा जाए तो सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले से दोनों पक्षों को कुछ खुशी दी है और कुछ गम भी दिए हैं । याचिकार्ताओं का कहना था कि वक्फ संपत्ति देने के लिए 5 साल इस्लाम पालन की शर्त लगाई गई है जो कि भेदभावपूर्ण प्रावधान है । सरकार का कहना था कि जमीनों का अतिक्रमण किया जा रहा है, इसलिए यह प्रावधान किया गया है । अदालत ने फैसला सुनाया है कि जब तक राज्य सरकारें यह तय करने के लिए नियम नहीं बनाती कि कोई व्यक्ति मुस्लिम है या नहीं, तब तक तत्काल प्रभाव से इस प्रावधान पर रोक रहेगी । इससे याचिकाकर्ता खुश हैं लेकिन सरकार को भी परेशानी नहीं है क्योंकि यह अस्थायी रोक है । राज्य सरकारें कानून बनाकर इसे लागू कर सकती हैं । कानून में प्रावधान था कि कलेक्टर वक्फ संपत्ति का फैसला कर सकता है लेकिन याचिकाकर्ताओं का कहना था कि इससे वक्फ संपत्ति की जमीन सरकारी दर्ज हो जाएगी । सरकार का कहना था कि कलेक्टर केवल प्रारंभिक जांच करता है, अंतिम फैसला ट्रिब्यूनल या कोर्ट का होगा । अदालत ने इस प्रावधान पर रोक लगा दी है और कहा है कि कलेक्टर को नागरिकों के संपत्ति अधिकारों पर फैसला लेने की अनुमति नहीं दी जा सकती । जब तक ट्रिब्यूनल या अदालत फैसला नहीं दे देते, तब तक वक्फ की संपत्ति का स्वरूप नहीं बदलेगा । याचिकाकर्ताओं की मुख्य मांग यह थी कि जिन वक्फ संपत्तियों का लंबे समय से धार्मिक कार्यों के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है, उन्हें वक्फ संपत्ति घोषित करने का प्रावधान बना रहे बेशक उस संपत्ति के दस्तावेज न हों । इस कानून को ‘वक्फ वाई यूजर’ कहा जाता है । सरकार ने संशोधित कानून में यह प्रावधान खत्म कर दिया है । अदालत ने भी सरकार की बात मान ली है और ‘वक्फ वाई यूजर’ लागू करने से मना कर दिया है । इस मामले में अदालत ने याचिकाकर्ताओं को राहत देते हुए आदेश दिया है कि बिना दस्तावेज वाली ऐसी संपत्तियों को, जहां लंबे समय से धार्मिक कार्य चल रहे हैं और उन्हें वक्फों द्वारा काबिज कर लिया गया है, उन संपत्तियों को ट्रिब्यूनल या अदालत द्वारा अंतिम फैसला आने तक न तो वक्फों को संपत्ति से बेदखल किया जाएगा और न ही राजस्व रिकॉर्ड में एंट्री प्रभावित होगी । सरकार के लिए परेशानी यह है कि बिना दस्तावेज वाली जिन संपत्तियों को पहले ही ‘वक्फ वाई यूजर’ घोषित करके वक्फों द्वारा कब्जा कर लिया गया है, उन्हें कैसे वापिस लिया जाएगा । सरकार को इस मामले में अदालत से दोबारा विचार करने के लिए कहना होगा । यह ठीक है कि ‘वक्फ वाई यूजर’ बोलकर अब किसी की संपत्ति पर वक्फ बोर्ड नाजायज कब्जा नहीं कर सकता लेकिन जिन संपत्तियों पर कब्जा कर लिया गया है, उनके बारे में भी विचार करने की जरूरत है । हमें याद रखना होगा कि वक्फों द्वारा लाखों एकड़ सरकारी और गैर-सरकारी भूमि इस तरीके से कब्जा कर ली गई हैं । नए कानून में प्रावधान किया गया था कि केन्द्रीय वक्फ बोर्ड परिषद और राज्य वक्फ बोर्डो में गैर-मुस्लिम भी सदस्य बन सकते हैं । याचिकाकर्ताओं का कहना था कि गैर-मुस्लिम बहुमत बनाकर हमारे धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप कर सकते हैं । केन्द्र सरकार का कहना था कि ऐसा नहीं होगा क्योंकि गैर-मुस्लिम सदस्यों की संख्या 2-4 तक ही होगी । अदालत ने भी यह बात मान ली है और कहा है कि केन्द्रीय वक्फ परिषद में 22 में से अधिकतम 4 और राज्य वक्फ बोर्डो में 11 में से अधिकतम 3 सदस्य गैर-मुस्लिम हो सकते हैं । नए कानून में वक्फ बोर्ड के सीईओ का मुस्लिम होना अनिवार्य नहीं है। याचिकाकर्ताओं का कहना था कि सीईओ का मुस्लिम होना अनिवार्य होना चाहिए । अदालत ने याचिकाकर्ताओं की मांग को ठुकरा दिया है लेकिन कहा है कि जहां तक संभव हो सीईओ मुस्लिम ही होना चाहिए। नए कानून में प्रावधान किया गया है कि वक्फ संपत्ति की लिखित रजिस्ट्री व पंजीकरण होना चाहिए जबकि पहले मौखिक रूप से भी किसी संपत्ति को वक्फ घोषित किया जा सकता था । याचिकाकर्ता चाहते थे कि पुराना प्रावधान लागू होना चाहिए और मौखिक वक्फ भी मान्य होना चाहिए । केन्द्र सरकार का कहना था कि इस प्रावधान से वक्फ संपत्तियों में पारदर्शिता और जवाबदेही बनेगी और फर्जी वक्फ के मामले रुक जाएंगे । अदालत ने इस मामले में सरकार की बात मान ली है और इस प्रावधान पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है । अदालत का कहना है कि यह प्रावधान 1995 और 2013 के कानून में था और सरकार ने इसे दोबारा लागू किया है । विपक्षी दलों के कुछ नेता अदालत के फैसले से खुश हैं । कांग्रेस नेता पवन खेड़ा का कहना है कि सरकार ने यह कानून जल्दबाजी में बनाया था, इस पर बहस होती तो यह कानून नहीं बनता । अजीब बात यह है कि इस कानून को संयुक्त संसदीय समिति को भेजा गया था, जिसके सामने सबको अपनी बात रखने का मौका दिया गया था। देखा जाए तो इस कानून पर लंबी बहस हुई थी। पवन खेड़ा और कितनी बहस चाहते हैं। वक्फ बोर्ड बहुत से मुस्लिम देशों में हैं लेकिन ऐसा कानून किसी भी देश में नहीं है । वास्तव में वक्फ बोर्ड सिर्फ वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन का काम करता है, उसका यह काम नहीं है कि वो लोगों की जमीनों पर कब्जा करे । मुस्लिम देशों में वक्फ के पास जमीन दान देने से आती है जबकि भारत में वक्फ बोर्ड के पास जमीन कब्जे से आ रही है । 1995 में कांग्रेस सरकार ने वक्फ कानून में संशोधन करके वक्फ बोर्डों को लैंड माफिया में बदल दिया था । वक्फ बोर्ड सरकारी और गैर-सरकारी जमीनों पर कब्जा करने लगे थे क्योंकि उन्हें वक्फ वाई यूजर का हथियार मिल गया था । उन्हें किसी की जमीन पर कब्जा करने के लिए किसी कागज की जरूरत नहीं थी । उनका यह मानना ही काफी था कि वो जमीन वक्फ की है । अदालत में भी इस कब्जे को चुनौती नहीं दी जा सकती थी । बेशक नए कानून से ये नाजायज कब्जे बंद हो जाएंगे लेकिन सवाल यह है कि लाखों एकड़ जमीनों पर किए गए कब्जों का क्या होगा । ऐसा लग रहा है कि यह कानून अभी भी अधूरा है क्योंकि वक्फ बोर्ड का काम केवल प्रबंधन का है, जो कि मुस्लिम देशों में भी होता है लेकिन हमारे देश के वक्फ बोर्डों के पास कब्जा की गई जमीनें हैं । यह कानून तभी पूरा माना जाएगा, जब कब्जा की गई जमीनें वापिस मिल जाएँगी । कितनी अजीब बात है कि एक आदमी पूरे जीवन मेहनत करके कमाई गई पूंजी से जमीन खरीदे और अचानक वक्फ बोर्ड आए और उसकी जमीन वक्फ बताकर छीन ले । वो बेचारा रोता रहे और उसकी सुनवाई कहीं न हो । कमाल की बात है कि संविधान होते हुए भी ऐसे पीड़ितों के लिए अदालत का दरवाजा भी बंद कर दिया गया था । मोदी सरकार ने कानून बनाकर यह अन्याय बंद कर दिया है लेकिन जो अन्याय हो चुका है, उसका भी हिसाब होना चाहिए । दूसरी बात यह है कि वक्फ की जमीन का इस्तेमाल कब्रिस्तान, मस्जिद, शैक्षणिक संस्थान और गरीबों के फायदे के लिए किया जा सकता है लेकिन वक्फ बोर्ड के पास लाखों एकड़ भूमि होने के बावजूद गरीब मुस्लिम जमीन के लिए सरकार के सामने खड़े रहते हैं । इसका कारण यह है कि वक्फ की संपत्तियों का गलत इस्तेमाल हो रहा है । अदालत को इस कानून पर फिर विचार करने की जरूरत है । यह देखना जरूरी है कि भविष्य में इस कानून का गलत इस्तेमाल न हो लेकिन यह भी सुनिश्चित करना जरूरी है कि जो गलत इस्तेमाल हो चुका है, उसे भी ठीक किया जाए । राजेश कुमार पासी Read more » वक्फ बोर्ड कानून में संशोधन
लेख शख्सियत नरेंद्र मोदी होना आसान नहीं है September 16, 2025 / September 16, 2025 | Leave a Comment जन्मदिन 17 सितंबर राजेश कुमार पासी नरेन्द्र दामोदरदास मोदी का नाम आज पूरी दुनिया में गूंज रहा है, भारत में बच्चे-बच्चे के मुंह पर मोदी का नाम चढ़ गया है । कितने ही देशों में जनता की मांग होती है कि उन्हें भी मोदी जैसा नेता चाहिए । हमारा पड़ोसी वैसे तो मोदी से बहुत नफरत करता है लेकिन पाकिस्तानी जनता भी चाहती है कि उनके पास भी मोदी जैसा कोई नेता हो । 17 सितंबर, 1950 को मोदी का जन्म एक गरीब परिवार में हुआ । एक गरीब परिवार से निकलकर देश की सर्वोच्च सत्ता पर पहुंचना आसान नहीं रहा होगा । 17 वर्ष की आयु में उनका विवाह जशोदाबेन से किया गया लेकिन विवाह के पश्चात वो अपने परिवार और घर को छोड़ कर देशसेवा के लिए निकल गए । उन्होंने संघ प्रचारक रहते हुए 1983 में गुजरात विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर की उपाधि हासिल की । बचपन में चाय बेचने वाले बच्चे ने संघ प्रचारक के रूप में पूरे देश का भ्रमण किया । यही कारण है कि उन्हें पूरे देश की जनता की नब्ज का पता है । उन्हें देश की समस्याओं को समझने के लिए किसी अधिकारी और विशेषज्ञ की जरूरत नहीं पड़ती । उनकी योजनाएं लीक से हटकर होती हैं । मोदी को गरीबी समझने के लिए किताबी ज्ञान की जरूरत नहीं है, उन्होंने गरीबी को जीया है । यही कारण है कि उनकी योजनाओं से गरीबों की जिन्दगी में जो बदलाव आया है, वो बदलाव पिछले 70 साल की सरकारें भी नहीं कर पाई । देश का प्रधानमंत्री स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले से राष्ट्र के नाम संबोधन में पूरे देश में शौचालय बनाने की घोषणा करता है । ये देखने में बड़ा अजीब लग सकता है और इसका मजाक भी बनाया गया लेकिन गरीब महिलाओं के लिए शौचालय का क्या मतलब होता है, ये वही जान सकता है, जिसने उनके जीवन को करीब से देखा है । मोदी सरकार की योजनाओं का सबसे ज्यादा फायदा महिलाओं को हुआ है । मोदी सरकार की ज्यादातर योजनाएं महिलाओं को ही ध्यान में रखकर बनाई गई हैं । यही कारण है कि महिलाओं में मोदी का एक बड़ा समर्थक वर्ग खड़ा हो गया है । मोदी ने संघ के प्रचारक से राजनीति में प्रवेश किया लेकिन उन्होंने राजनीति को सत्ता प्राप्ति नहीं बल्कि सेवा का माध्यम माना । यही कारण है कि वो खुद को देश का शासक नहीं बल्कि प्रधान सेवक मानते हैं । स्वयंसेवक से प्रधान सेवक का सफर आसान नहीं रहा होगा, मोदी जैसा व्यक्तित्व ही ऐसा सफर पूरा कर सकता है । संघ से उन्हें निस्वार्थता, सामाजिक दायित्व बोध, समर्पण, सेवा, त्याग और देशभक्ति के विचारों को आत्मसात करने का अवसर मिला । 1974 में भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन में उन्होंने हिस्सा लिया और 1975 में आपातकाल के दौरान भी अपना योगदान दिया । संघ के निर्देश पर 1987 में उन्होंने भाजपा में प्रवेश करके राजनीति की मुख्यधारा में कदम रखा । एक साल बाद पार्टी ने उनकी योग्यता को देखते हुए गुजरात की राज्य इकाई का प्रदेश महामंत्री बना दिया । उनकी मेहनत और रणनीति के कारण 1995 में भाजपा को गुजरात विधानसभा में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने का मौका मिला । 2001 में गुजरात के भूकंप के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल के खिलाफ पार्टी में असंतोष भड़क गया । इस असंतोष को देखते हुए भाजपा हाईकमान ने गुजरात की कमान मोदी जी को सौंपने का निर्णय लिया । 7 अक्तूबर 2001 को मोदी जी ने गुजरात के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली । मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने गुजरात के भूकंप पीड़ितों के लिए बड़े कार्यक्रम चलाए और उनके पुनर्वास की व्यवस्था की । 2002 में गुजरात में गोधरा कांड हो गया, जिसमें 59 कारसेवकों को रेल के डिब्बे में बंद करके जलाकर मार दिया गया । इसकी प्रतिक्रिया में गुजरात में दंगे हो गए, जिसमें 1200 लोग मारे गए । इसके बाद हुए गुजरात विधानसभा चुनाव में मोदी ने पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई । इसके बाद 2007 और 2012 में मोदी के नेतृत्व में गुजरात में भाजपा की सरकार बनी । गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में काम करते हुए उनके गुजरात मॉडल की पूरे देश में चर्चा होने लगी । गुजरात के विकास को देखते हुए उन्हें विकासपुरूष कहा जाने लगा । उनकी योजनाओं की पूरे देश में चर्चा होने लगी । ज्योतिग्राम योजना के जरिये उन्होंने गांव-गांव तक बिजली पहुंचा दी । गुजरात में गांव-गांव तक पानी पहुंचाने की व्यवस्था की । गुजरात की कानून-व्यवस्था की चर्चा भी देश में होने लगी । उनकी लोकप्रियता को देखते हुए ही भाजपा ने उन्हें 2014 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया । 2014 में उनकी लोकप्रियता का ये आलम था कि मनमोहन सिंह के रहते हुए ही उन्हें प्रधानमंत्री मान लिया गया था । मोदी की सबसे बड़ी विशेषता है कि वो हमेशा बड़े लक्ष्य रखते हैं और फिर उन्हें हासिल करने के लिए दिन-रात मेहनत करते हैं । उन्होंने 2014 में भाजपा के लिए 272 सीटें हासिल करके पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने का लक्ष्य रखा था । राजनीतिक विश्लेषक, विपक्षी दल और भाजपा के नेताओं को भी यह विश्वास नहीं था कि भाजपा 272 सीटें जीत सकती है लेकिन मोदी ने 282 सीटें जीतकर सबको अचंभित कर दिया । इसके बाद 2019 में उन्होंने 303 सीटें जीतकर पुराना रिकॉर्ड तोड़ दिया । 2024 में मोदी के नेतृत्व में भाजपा को 240 सीटें मिली लेकिन मोदी तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री बन गए । मोदी के प्रधानमंत्री बनने से पहले ही कुछ राजनीतिक विश्लेषकों और विपक्षी नेताओं का कहना था कि मोदी अगर प्रधानमंत्री बन गए तो उनको इस पद से हटाना बहुत मुश्किल होगा। प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के बाद मोदी देश पर लगातार सबसे ज्यादा शासन करने वाले नेता बन गए हैं। नेहरू जी के सामने विपक्ष नाममात्र का था लेकिन मोदी एक शक्तिशाली विपक्ष के रहते यह कारनामा करने में सफल हुए हैं। कोई नहीं कह सकता कि मोदी कब तक देश के प्रधानमंत्री बने रहेंगे क्योंकि उनकी लोकप्रियता में कोई कमी नहीं आ रही है । 75 साल की उम्र होने पर भी वो पूरी तरह से स्वस्थ हैं और पूरी ताकत से काम कर रहे हैं। मोदी सत्ता को जनता द्वारा दी गई जिम्मेदारी मानते हैं, इसलिए कहते हैं कि वो जनता के कल्याण के लिए परिश्रम की पराकाष्ठा करेंगे और वो कर भी रहे हैं । 13 साल मुख्यमंत्री और 11 साल प्रधानमंत्री के पद पर रहते हुए उन्होंने एक भी छुट्टी नहीं ली है । रोज 20 घंटे तक काम करना उनकी आदत है । जनता को वो अपना भगवान मानते हैं और उसकी सेवा को अपना धर्म मानते हैं । यही कारण है कि वो जनता से हमेशा जुड़े रहते हैं और उन्हें ऐसा करने के लिए मीडिया की जरूरत नहीं है । जनता से जुड़ने के लिए पूरे देश का भ्रमण और सोशल मीडिया को वो इस्तेमाल करते हैं । जहां वो गरीबों की समस्याओं को समझते हैं, वही वो उद्योगपतियों की समस्याओं की भी खबर रखते हैं । गरीबों से प्यार करते हैं लेकिन अमीरों से नफरत नहीं करते । देश के इतिहास, भूगोल, संस्कृति और धर्म की उन्हें गहरी समझ है, इसलिए उन्हें उनके समर्थक हिन्दू हृदय सम्राट कहते हैं । जहां जनता वीआईपी कल्चर से परेशान हैं, वहीं मोदी जी ने मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री बनने के बाद परिवार से दूरी बनाए रखी है । उनके भाई-बहन और अन्य परिजन निम्न मध्यवर्गीय जीवन बिता रहे हैं । उन्होंने अपने पद का इस्तेमाल अपने परिजनों के लिए कभी नहीं किया है । जनता पर मोदी इतना ज्यादा विश्वास करते हैं कि नोटबंदी और जीएसटी लागू करने जैसा मुश्किल फैसला किया । जनता ने उनके विश्वास को कायम रखा है क्योंकि वो मानती है कि मोदी की नीतियां गलत हो सकती हैं लेकिन उनकी नीयत कभी गलत नहीं हो सकती । 2014 से पहले पाकिस्तान के आतंकवादी हमलों के बावजूद उसके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की गई लेकिन मोदी ने सर्जिकल स्ट्राइक, एयर स्ट्राइक और फिर ऑपरेशन सिंदूर करके पाकिस्तान को संदेश दे दिया कि आतंकवादी हमले की उसे बड़ी कीमत चुकानी होगी । जिस चीन से डर कर हम सीमा पर सड़क भी नहीं बना रहे थे, मोदी ने उस सीमा पर सेना के लिए पूरा बुनियादी ढांचा तैयार कर दिया है । जो देश हथियारों का सबसे बड़ा आयातक था, आज उनके नेतृत्व में भारत हजारों करोड़ के हथियार निर्यात कर रहा है । आईटी सुपरपॉवर बना देश अब मैन्युफैक्चरिंग हब बनने की तैयारी कर रहा है । अपनी कल्याणकारी योजनाओं के कारण ही मोदी ने पूरे देश में भाजपा के लिए एक बड़ा वोट बैंक तैयार कर लिया है । आज हम अशांत पड़ोसियों से घिरे हुए देश हैं. जहां श्रीलंका, म्यांमार और पाकिस्तान राजनीतिक अस्थिरता से गुजर रहे हैं, वहीं बांग्लादेश और नेपाल में हिंसक क्रांति के बाद सत्ता परिवर्तन हो चुका है । प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बना हुआ है । मोदी ने भारत को 2047 तक विकसित देश बनाने का लक्ष्य तय किया है और उसी ओर देश को ले जा रहे हैं। ये भारत की जनता और ग्लोबल मीडिया के लिए आश्चर्य का विषय था कि जो व्यक्ति 13 साल से गुजरात का सीएम था, वो प्रधानमंत्री बनने के बाद जब अपनी मां से मिलने जाता है तो एक छोटे से सरकारी मकान के छोटे कमरे में उसकी मां रहती है । जिस देश में कोई विधायक बन जाए तो पूरा परिवार पैसों में खेलने लगता है । मोदी जैसा नेता कभी-कभी आता है क्योंकि सत्ता के शीर्ष पर पहुंच कर जनता का सेवक बने रहना आसान नहीं है। मोदी होना इसलिए भी आसान नहीं है क्योंकि शासक बन जाने के बाद सत्ता सिर पर चढ़ कर बोलती है। लगातार 24 साल तक सत्ता में रहने के बाद भी बेदाग बने रहना आसान नहीं है। राजेश कुमार पासी Read more » 75th birthday of narendra modi नरेंद्र मोदी
राजनीति भारत की विदेश नीति से दुनिया हतप्रभ है September 15, 2025 / September 15, 2025 | Leave a Comment राजेश कुमार पासी अंतरराष्ट्रीय संबंधों और कूटनीति के मामले में भारत ने जो किया है और कर रहा है वो अद्भुत है, इसलिए पूरी दुनिया इससे हतप्रभ है। विशेष तौर पर अमेरिका और यूरोपीय देश इससे अचंभित है कि भारत इतना ताकतवर कैसे हो सकता है जो एक साथ उन्हें चुनौती दे रहा है। ये […] Read more » The world is stunned by India's foreign policy भारत की विदेश नीति से दुनिया हतप्रभ