राजनीति हताश-निराश विपक्ष को ममता से आस क्यों December 16, 2024 / December 16, 2024 | Leave a Comment राजेश कुमार पासी कभी-कभी हम ऐसी समस्या से घिर जाते हैं जिससे निकलने का कोई अच्छा रास्ता नहीं सूझता तो हम हताश होकर एक नए रास्ते पर चलने लगते हैं। हालात कैसे भी हों लेकिन बिना सोचे समझे उठाया हुआ कदम नुकसान पहुंचाता है । आज हमारे देश का विपक्ष बहुत हताश और निराश हो चुका है। […] Read more » Why should the dejected opposition be given hope by affection? विपक्ष को ममता से आस क्यों
राजनीति कांग्रेस को अडानी और ईवीएम का मुद्दा छोड़ना होगा December 16, 2024 / December 16, 2024 | Leave a Comment राजेश कुमार पासी अगर हम सही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं तो देर सवेर मंजिल तक पहुँच जाएंगे, अगर हम विपरीत दिशा में जा रहे हैं तो कभी भी मंजिल तक नहीं पहुंच पाएंगे। इसका मतलब है कि अगर हम चलते जा रहे हैं और मंजिल दूर होती जा रही है तो हमें अपनी […] Read more » अडानी और ईवीएम का मुद्दा
लेख विधि-कानून समाज कानून और पत्नी से पीड़ित की आत्महत्या पर उठते सवाल December 13, 2024 / December 13, 2024 | Leave a Comment राजेश कुमार पासी बेंगलुरू में कार्यरत एक एआई इंजीनियर अतुल सुभाष ने अपनी पत्नी निकिता सिंघानिया की कानूनी प्रताड़ना से तंग आकर मौत को गले लगा लिया । उसने अपनी मौत से पहले एक डेढ़ घंटे का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया में जारी कर दिया । इसके अलावा उसने एक 24 पेज का सुसाइड नोट भी लिख कर छोड़ा है । इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह व्यक्ति कितनी यातना और भावनात्मक पीड़ा से गुजरा होगा । आत्महत्या का मनोविज्ञान कहता है कि आत्महत्या करने वाले व्यक्ति की मनोदशा के सिर्फ कुछ मिनट ऐसे होते हैं जब वो मरने का फैसला करता है । अगर उन क्षणों में उसे समझा दिया जाये तो उसका फैसला बदल जाता है लेकिन यह व्यक्ति डेढ़ घंटे का वीडियो बनाता है और 24 पेज का सुसाइड नोट लिखता है । इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि वो न्यायिक व्यवस्था से कितना निराश और हताश हो चुका था । इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि उसकी पत्नी से उसे कितना तंग किया होगा जो उसने मजबूरी ने सोच समझ कर ऐसा कदम उठाया । सोशल मीडिया में उसका वीडियो वायरल होने के बाद लोगों ने वैवाहिक व्यवस्था पर भी सवाल खड़े करने शुरू कर दिये हैं । यह विमर्श चलाने की कोशिश की जाने लगी है कि महिलाओं द्वारा पुरूषों को जबरन फंसाया जा रहा है और उनके पैसे से महिलाएं ऐश कर रही हैं । इसे एक बिजनेस मॉडल का नाम दिया जाने लगा है । यह कहा जा रहा है कि पुरूषों की कोई सुनने वाला नहीं है इसलिए पुरूषों की आत्महत्या दर महिलाओं के मुकाबले ढाई गुना ज्यादा है । मृतक अतुल सुभाष ने वीडियो में कहा है कि अगर मुझे न्याय नहीं मिलता है तो मेरी अस्थियों को गटर में बहा देना । मुझे न्याय मिलता है तो ही मेरी अस्थियों का विसर्जन गंगा में किया जाए । इसके अलावा उसने यह भी कहा है कि भारत में पुरुषों की जिन्दगी गटर बन चुकी है । उसके इस बयान को सोशल मीडिया में जबरदस्त तरीके से प्रचारित किया गया है । बेंगलुरू में कार्यरत इस इंजीनियर की शादी जौनपुर निवासी निकिता सिंघानिया से 2019 में हुई थी । 2021 में एक बच्चे के साथ उसकी पत्नी ने उसे छोड़ दिया और अलग रहने लगी । अलग रहते हुए पत्नी ने उससे 40 हजार प्रति माह मेंटेनेंस की मांग की थी. इसके अलावा वो अपने बच्चे के लिए भी 2-4 लाख रुपये प्रतिमाह की डिमांड कर रही थी । मृतक ने आरोप लगाया है कि उसकी पत्नी ने जौनपुर से उस पर मुकदमा दायर किया था । उसने पहले उससे मामला खत्म करने के लिए एक करोड़ रुपये की मांग की और फिर बाद में तीन करोड़ रुपये मांगने लगी । इसके अलावा मामले की सुनवाई कर रही जज भी उससे मामला खत्म करने के लिए पांच लाख रुपये की मांग कर रही थी । उसे बार-बार पेशी पर बुलाया जा रहा था जिसके लिए उसे बार-बार बेंगलुरू से जौनपुर आना-जाना पड़ता था । अतुल सुभाष ने अपने पत्र में लिखा है कि एक बार उन्होंने अपनी पत्नी और सास से कहा था कि ऐसे मामलों से तंग आकर पुरूष आत्महत्या कर लेते हैं तो उन्होंने उसे कहा था कि वो कब मरने जा रहा है । सुभाष ने कहा कि वो मर गया था वो क्या करेंगी तो उन्होंने कहा कि उसके मरने के बाद उसका सारा पैसा उनको मिल जायेगा । इसके बाद सुभाष ने पूरी योजना बनाकर आत्महत्या की है । उसने यह सोचकर आत्महत्या की है कि उसके मरने के बाद उसके साथ न्याय होगा । अभी कानून उसकी बिल्कुल नहीं सुन रहा है लेकिन मरने के बाद उसकी बात सुनी जायेगी । देखा जाये तो मृतक कानून से बिल्कुल निराश हो चुका था लेकिन उसे उम्मीद थी कि उसकी मौत से कानून सुनवाई के लिए मजबूर होगा । यही सोचकर उसने अपना वीडियो और पत्र सोशल मीडिया में जारी किया है । सुभाष की आत्महत्या ने आईपीसी की धारा 498ए को हथियार बनाकर पुरूषों को प्रताड़ित करने की बात साबित कर दी है । 10 दिसम्बर को सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐसा ही मामला खारिज कर दिया है और कहा है कि धारा 498ए पत्नी और उसके परिजनों के लिए बदला लेने का हथियार बन गई है । अब सोशल मीडिया में यह धारा खत्म करने की मांग की जा रही है । यह सच है कि भारत में पुरूषों की आत्महत्या दर महिलाओं के मुकाबले लगभग ढाई गुना है । एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार 2022 में 1,22,724 पुरुषों ने आत्महत्या की है जबकि आत्महत्या करने वाली महिलाओं की संख्या 48,172 है । इस तरह पुरूषों की आत्महत्या दर 72 प्रतिशत है जबकि महिलाओं की आत्महत्या दर 28 प्रतिशत है । दूसरी तरफ आत्महत्या करने वाले पुरुषों में विवाहित और अविवाहित पुरूषों की बात करें तो इनका औसत लगभग बराबर है । इसके अलावा पारिवारिक समस्याओं से तंग आकर मरने वाले पुरुषों का औसत 31.7 प्रतिशत है । वैवाहिक समस्याओं से पीड़ित आत्महत्या करने वाले पुरूषों का औसत 4.8 है । इस तरह देखा जाये तो वैवाहिक संबंधों के कारण सिर्फ 4.8 प्रतिशत पुरुषों ने आत्महत्या की है जबकि परिवार से तंग आकर मरने वाले पुरुष 31.7 प्रतिशत हैं । इसलिए पुरुषों में बढ़ती आत्महत्या कर दर के लिए न तो विवाह को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है और न ही पत्नियों के उत्पीड़न को दोष दिया जा सकता है । मेरा मानना है कि इस घटना की आड़ में वैवाहिक संस्था को बदनाम करने की कोशिश नहीं की जानी चाहिए । इस सच को हम सभी जानते हैं कि कानूनों को महिलाओं के पक्ष में बनाया गया है क्योंकि सदियों से महिलाओं का उत्पीड़न होता आ रहा है । यह सच है कि धारा 498 ए का दुरुपयोग होता है लेकिन कानून के दुरुपयोग को देखते हुए उसे खत्म करने की मांग करना उचित नहीं है । जहां इस कानून का दुरुपयोग हो रहा है तो दूसरी तरफ इस कानून के होते हुए भी महिलाओं का उत्पीड़न बंद नहीं हुआ है । हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि जब तक यह कानून नहीं था जब तक दहेज के कारण महिलाओं का उत्पीड़न बहुत ज्यादा हो रहा था और कानून बनने के बाद भी यह पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है । इस मामले में महिला जज ने पीड़ित की बात नहीं सुनी लेकिन यह पूरा सच नहीं है । वास्तव में आज पुलिस और अदालत इस कानून के दुरुपयोग से परिचित हैं इसलिए मामला सामने आने पर पुरुष की बात भी सुनते हैं । इस कानून को लेकर अदालतों द्वारा कई बार सवाल खड़े किये गये हैं । मेरा मानना है कि इस कानून में सुधार की बहुत जरूरत है । इस कानून को खत्म नहीं किया जाना चाहिए लेकिन पुरूषों के खिलाफ कार्यवाही सिर्फ महिला की शिकायत के आधार पर नहीं होनी चाहिए । आरोपी को जमानत मिलनी चाहिए और जांच के बाद ही किसी के खिलाफ कार्यवाही होनी चाहिए । कानून के दुरुपयोग को रोकने की कोशिश जरूर होनी चाहिए लेकिन महिलाओं के उत्पीड़न को रोकने की कोशिश किसी भी तरह से कम नहीं होनी चाहिए । सरकार को कानून में संशोधन करके यह सुनिश्चित करना होगा कि इस कानून को पति से बदला लेने का हथियार न बनने दिया जाए जैसा कि माननीय सुप्रीम कोर्ट ने कहा है। राजेश कुमार पासी Read more » Questions arising on law and wife's suicide
राजनीति विश्ववार्ता सीरिया की जंग अभी खत्म नहीं हुई है December 10, 2024 / December 10, 2024 | Leave a Comment राजेश कुमार पासी सीरिया से बशर अल-असद की सत्ता खत्म हो गई है. असद परिवार पिछले 50 सालों से सीरिया की सत्ता पर काबिज था । असद की सत्ता खत्म होने से पूरी दुनिया में सुन्नी मुस्लिम समुदाय में खुशी की लहर दौड़ गई है । इसके अलावा दुनिया भर में वामपंथी और लिबरल समुदाय […] Read more » सीरिया की जंग अभी खत्म नहीं हुई है
राजनीति विश्ववार्ता क्या ट्रंप रूस-यूक्रेन युद्ध रुकवा सकते हैं ? November 19, 2024 / November 19, 2024 | Leave a Comment राजेश कुमार पासी डोनाल्ड ट्रंप ने अपने चुनाव प्रचार के दौरान घोषणा की थी कि वो सत्ता में आते ही 24 घंटे में रूस-यूक्रेन युद्ध रुकवा सकते हैं। चुनाव जीतने के बाद भी उन्होंने अपनी इस घोषणा को दोहराया है। अब सवाल उठता है कि क्या सच में ट्रंप इस युद्ध को 24 घंटे में […] Read more » रूस-यूक्रेन युद्ध