कविता रहा हूँ November 5, 2022 / November 5, 2022 | Leave a Comment मैं किसी का आसानी से कट जाने वाला दिन तो कभी किसी की नींद से जुदा रात रहा हूँ मैं किसी दोपहरी में जलाने वाला आग का गोला तो कभी किसी की धुप सेकने वाला सूरज रहा हूँ मैं किसी की ज़िन्दगी में पूरा उजाला भरने वाला तो कभी हर दिन घटने वाला और कभी […] Read more » रहा हूँ
कविता मूर्खो का समाज August 1, 2022 / August 1, 2022 | Leave a Comment आज उसके गालो पर लाली नहीं है पर आज उसके गाल लाल है दो तमाचे पड़े है अपने पति से और क्या? फिर भी आज खाना बनाया है पति के हिस्से का भी जिसे ठुकराकर वो चला गया है बच्चों को तैयार कर स्कूल भेजा है हाँ माथा भी चूमा है उनका पत्नी नाराज़ है […] Read more » society of fools