महिला-जगत स्त्री-आकर्षण का केन्द्र : अनुभूति, ताकत नहीं – सारदा बनर्जी September 29, 2012 | 2 Comments on स्त्री-आकर्षण का केन्द्र : अनुभूति, ताकत नहीं – सारदा बनर्जी आम तौर पर पुरुषों में यह धारणा प्रचलित रही है कि स्त्रियां पुरुषों के मर्दानगी वाले एटीट्यूड, बलिष्ठ भुजाओं वाले ताकतवर शरीर से ही आकर्षित होती हैं लेकिन यह धारणा सरासर गलत है। यहां हमें अपनी परंपरागत मानसिकता में थोड़ा फेर-बदल करना होगा। स्त्री –हृदय की पड़ताल के लिए यह बेहद ज़रुरी है कि स्त्री-मनोविज्ञान […] Read more »
विविधा नोट्स आधारित पढ़ाई के खतरे / सारदा बनर्जी September 21, 2012 | 3 Comments on नोट्स आधारित पढ़ाई के खतरे / सारदा बनर्जी आज भारत में उच्च-शिक्षा के क्षेत्र में युवा-वर्ग में स्वायत्त पढ़ाई की अपेक्षा ‘नोट्स’ आधारित पढ़ाई बेहद प्रचलन में है। कॉलेज और विश्वविद्यालय से जुड़े विद्यार्थी मूलतः पाठ्यक्रम के अनुसार पढ़ने के अभ्यस्त हैं। पाठ्यक्रम के बाहर के विषयों में उनकी रुचि कम है।वे पाठ्यक्रम को ही पढ़ाई मानकर चलते हैं।साथ ही ये विद्यार्थी यह […] Read more »
मीडिया स्त्री के वस्तुकरण में विज्ञापन की भूमिका September 19, 2012 | 2 Comments on स्त्री के वस्तुकरण में विज्ञापन की भूमिका सारदा बनर्जी स्त्री के वस्तुकरण में जितनी मदद विज्ञापन ने की है उतना किसी और माध्यम ने नहीं। विज्ञापन ने स्त्री के इमेज को वस्तु में तब्दील करके उसे लोकप्रिय बनाने में गहरी भूमिका अदा की है।यही वजह है कि आज स्त्री घर में प्रयोग होने वाली सामान्य वस्तुओं से लेकर खास किस्म के प्रोडक्ट […] Read more » स्त्री विज्ञापन
महिला-जगत स्त्री-सौंदर्य में नाखून की महत्ता September 14, 2012 / September 14, 2012 | Leave a Comment सारदा बनर्जी हज़ारी प्रसाद द्विवेदी ने ‘नाखून क्यों बढ़ते हैं’ नामक अपने निबंध में नाखून से जुड़े तमाम मुद्दों और पहलुओं को उठाया हैं। इस निबंध को पढ़ते हुए पाठक का मन नाखून के प्रति स्वभावतः गहरे विद्वेष भाव से भर जाता है और नाखून की अनेकों त्रुटियां ऊजागर होकर सामने आती हैं।द्विवेदी जी ने […] Read more » नाखून स्त्री-सौंदर्य
महिला-जगत राजनीति नरेन्द्र मोदी के स्त्री-कुपोषण के पुंसवादी तर्क September 11, 2012 / September 14, 2012 | 2 Comments on नरेन्द्र मोदी के स्त्री-कुपोषण के पुंसवादी तर्क सारदा बनर्जी हाल ही में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी दैनिक ‘वाल स्ट्रीट जर्नल’ को दिए साक्षात्कार में स्त्री-कुपोषण पर बयान दिया कि गुजराती मध्यवर्गीय औरतें स्वास्थ्य की तुलना में सुंदरता के प्रति ज़्यादा जागरुक है। उन्होंने कहा कि यदि मां अपनी बेटी से कहती है कि दूध पीओ तो वह लड़ती है […] Read more » कुपोषण गुजरात नरेंद्र मोदी महिला सौंदर्य