व्यंग्य नेताओं की मोहब्बत और जनता की नादानी April 25, 2025 / April 25, 2025 | Leave a Comment राजनीति की रंगमंचीय दुश्मनी और जनता की असली बेवकूफी कभी किरण चौधरी और शशि थरूर मंचों पर एक-दूसरे के खिलाफ़ खड़े होते हैं, कभी हिंदू-मुस्लिम के नाम पर पार्टियों की नीतियाँ बँटती हैं, और इसी बीच पिसती है आम जनता। क्या हमने कभी सोचा कि ये नेता तो एक-दूसरे से हाथ मिलाते हैं, कार्यक्रमों में […] Read more » The love of leaders and the ignorance of the public
कविता पहलगाम के आँसू April 23, 2025 / April 23, 2025 | Leave a Comment वो बर्फ से ढकी चट्टानों की गोद में,जहाँ हवा भी गुनगुनाती थी,जहाँ नदियाँ लोरी सुनाती थीं,आज बारूद की गंध बसी है। वो हँसी जो बाइसारन की घाटियों में गूँजी,आज चीखों में तब्दील हो गई।टट्टू की टापों के संग जो चला था सपना,खून में सना हुआ अब पथरीले रास्ते पर गिरा है। एक लेफ्टिनेंट — विनय,जिसने […] Read more » पहलगाम के आँसू"
लेख प्राइवेट सिस्टम का खेल: आम आदमी की जेब पर हमला April 11, 2025 / April 11, 2025 | Leave a Comment भारत में शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे बुनियादी अधिकार आज निजी संस्थानों के लिए मुनाफे का जरिया बन चुके हैं। प्राइवेट स्कूल सुविधाओं की आड़ में अभिभावकों से मनमाने शुल्क वसूलते हैं—ड्रेस, किताबें, यूनिफॉर्म, कोचिंग—सब कुछ महँगा और अनिवार्य बना दिया गया है। वहीं, प्राइवेट हॉस्पिटल डर और भ्रम का माहौल बनाकर मरीजों से मोटी रकम […] Read more » The game of the private system: Attack on the common man's pocket प्राइवेट सिस्टम का खेल
कविता फूले का भारत April 11, 2025 / April 11, 2025 | Leave a Comment शूद्र अछूत कहे जिन्हें, जीवन भर लाचार।फूले ने दी सीख तो, खोला ज्ञान-द्वार॥ यज्ञ-जपों की आड़ में, होता रहा प्रपंच।फूले ने जब कहा ‘नहीं’ , टूटा झूठा मंच॥ शिक्षा जिसकी साधारणी, खोले सौरभ द्वार।भेदभाव के जाल से, होता तभी उद्धार॥ सावित्री को साथ ले, रच दी नयी मिसाल।नारी पढ़े, बढ़े तभी, बदले सारे ख्याल॥ पैसे […] Read more » फूले का भारत
समाज साक्षात्कार सार्थक पहल मीडिया, स्त्री और सनसनी: क्या हम न्याय कर पा रहे हैं? April 9, 2025 / April 9, 2025 | Leave a Comment “धोखे की खबरें बिकती हैं, लेकिन विश्वास की कहानियाँ दबा दी जाती हैं — क्या हम संतुलन भूल गए हैं?” मीडिया में स्त्रियों की छवि और उससे जुड़ी सनसनीखेज रिपोर्टिंग ने आज गंभीर सवाल पैदा कर दिये है। कुछ घटनाओं में स्त्रियों द्वारा किए गए अपराधों को मीडिया बढ़ा-चढ़ाकर दिखाता है, जिससे पूरे स्त्री वर्ग […] Read more » media women and sensationalism women and sensationalism: Are we doing justice? मीडिया स्त्री और सनसनी स्त्री और सनसनी: क्या हम न्याय कर पा रहे हैं
लेख मैं विषपान करता हूं April 7, 2025 / April 7, 2025 | Leave a Comment हर मुस्कान के पीछे,छिपा होता है एक चीखता हुआ सच।हर शब्द जो तुम पढ़ते हो,वो मैंने आँसुओं से लिखा है — स्याही से नहीं। मैं रोज़ अपने ही अंदर उतरता हूं,जहाँ उम्मीदें दम तोड़ चुकी हैं,और फिर वहां से निकालता हूंएक टुकड़ा कविता का —जिसे तुम ‘रचना’ कहते हो। ये कोई कल्पना नहीं,ये कोई सजावटी […] Read more » मैं विषपान करता हूं
पर्यावरण लेख हीटवेव: भारत के लिए बढ़ता हुआ सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट April 7, 2025 / April 7, 2025 | Leave a Comment भारत में हीटवेव अब केवल मौसमी असुविधा नहीं, बल्कि एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट बन चुकी है। वर्ष 2024 में हीटवेव की आवृत्ति और तीव्रता रिकॉर्ड स्तर पर पहुँची, विशेषकर उत्तर-पश्चिम भारत में। अत्यधिक तापमान के कारण डिहाईड्रेशन, हीट स्ट्रोक, श्वसन व हृदय संबंधी बीमारियों में वृद्धि हुई है, जिससे बुजुर्गों, बच्चों, निम्न आय वर्ग […] Read more » Heatwaves: A growing public health crisis for India हीटवेव
लेख समाज नैतिक पतन के चलते खतरे में इंसानी रिश्ते March 31, 2025 / March 31, 2025 | Leave a Comment समाज में कितना पतन बाकी है? यह सुनकर दिल दहल जाता है कि कोई बेटा अपने ही माता-पिता की इतनी निर्ममता से हत्या कर सकता है? महिला ने जेठ के साथ मिलकर अपने दो वर्ष के बेटे को मरवा दिया। पत्नी ने प्रेमी सँग मिलकर मर्चेंट नेवी मे अफसर पति के टुकड़े-टुकड़े किये। पिता ने […] Read more » खतरे में इंसानी रिश्ते नैतिक पतन के चलते खतरे में इंसानी रिश्ते
लेख “कुआँ सूखने पर ही पता चलता है पानी की कीमत” March 27, 2025 / March 27, 2025 | Leave a Comment कहावत “जब तक कुआँ सूख नहीं जाता, हमें पानी की कीमत का पता नहीं चलता” हमें इस बात की याद दिलाती है कि हमें अपने जीवन और संसाधनों के प्रति जागरूक और कृतज्ञ रहना चाहिए। चाहे वह जल हो, प्रेम हो, स्वतंत्रता हो या स्वास्थ्य, हमें इनका सम्मान और संरक्षण करना चाहिए ताकि आने वाली […] Read more » “The value of water is known only when the well dries up” पानी की कीमत
पर्यावरण लेख भारत में गर्मी का जल्दी आना और लू का बढ़ना March 26, 2025 / March 26, 2025 | Leave a Comment बढ़ते तापमान से कृषि, जल संकट, सार्वजनिक स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। फरवरी में असामान्य रूप से अधिक गर्मी, रात के तापमान में वृद्धि, समुद्री तापमान का असर और शहरी हीट आइलैंड प्रभाव इस समस्या को और गंभीर बना रहे हैं। इसका असर शिक्षा, श्रम उत्पादकता और खाद्य सुरक्षा पर भी […] Read more » Early arrival of summer in India and increase in heatwaves जल संकट बढ़ते तापमान से कृषि सार्वजनिक स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव
आर्थिकी लेख पेंशन की लड़ाई: कर्मचारियों का हक़ या सरकारी बोझ?” March 25, 2025 / March 25, 2025 | Leave a Comment भारत में 2004 से पहले सरकारी कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना (OPS) के तहत पेंशन दी जाती थी। इसके तहत— सेवानिवृत्ति के बाद आजीवन निश्चित पेंशन मिलती थी। अंतिम वेतन का 50% पेंशन के रूप में दिया जाता था। महंगाई भत्ता (DA) जुड़ा होता था, जिससे समय-समय पर पेंशन बढ़ती रहती थी। सरकार द्वारा पूरी […] Read more » पुरानी पेंशन योजना (OPS) पेंशन
कला-संस्कृति लुप्त होती हरियाणा की अनमोल विरासत रागनी कला March 24, 2025 / March 24, 2025 | Leave a Comment हरियाणवी लोकसंस्कृति का एक महत्त्वपूर्ण अंग रागनी आज विलुप्ति के कगार पर है। मनोरंजन के आधुनिक साधनों के आगमन और बदलते सामाजिक परिवेश के कारण यह कला पिछड़ती जा रही है। यदि समय रहते इसके संरक्षण के प्रयास नहीं किए गए, तो आने वाली पीढ़ियों को यह विरासत केवल किताबों में ही देखने को मिलेगी। […] Read more » Ragini art Ragini is an important part of Haryanvi folk culture The precious heritage of Haryana रागनी कला