विविधा वास्तुशिल्प की अनुकृति ‘भोरमदेव’ August 8, 2010 / December 22, 2011 | 2 Comments on वास्तुशिल्प की अनुकृति ‘भोरमदेव’ -श्रीकान्त उपाध्याय मानव सभ्यता विकास के चरमोत्कर्ष पर पहुँच रहा है। वास्तुकला के अद्भुत नमूने, गगनचुम्बी भवनों, मनोरंजन की आधुनिकतम सुविधाएँ आज मानव ने तैयार कर लिए हैं, फिर भी हमें सुकून नहीं मिल रहा हैं। जीवन में कहीं न कहीं रिक्तता महसूस होती है। हम पूर्वजों की परम्पराओं को, रीति-रिवाजों को पिछड़ापन, दकियानुसी और […] Read more » Vastu shilp भोरमदेव