बप्पा और सेल्फी वाले भक्त


                               प्रभुनाथ शुक्ल 

भक्ति की अपनी शक्ति है। भक्ति और उसकी धारा का विच्छेदन और विश्लेषण करना आसान नहीं है। कण-कण में भक्ति का भाव समाया हुआ है। तेरे में मेरे में खड्ग में और खंभ में भी भक्ति विराजमान है। अब भक्ति करने वाले की शक्ति कैसे यह उसकी बात है। वैसे हमारे धर्मशास्त्र में भक्ति के नौ स्वरुपों का वर्णन किया गया है। लेकिन बदलते दौर में यह नब्बे से अधिक रुपों में समाहित है। आजकल सबसे अधिक राष्टभक्ति का बोलबाला है। क्या मजाल कोई इस भक्ति पर सवाल उठा दे। अगर कोई उठाता भी है तो वह सीधे राष्टद्रोही बन सकता है। दूसरे नम्बर पर राजनीति और राजनेताओं की भक्ति है। यह भक्ति का प्रतिफल है कि लोग घंटों और मिनट में दल और दिल बदल रहे हैं। आजकल इस भक्ति का खूब जलवा है। तीसरे नम्बर पर धर्म और संप्रदाय की भक्ति हमारे देश में खूब विकती है। अगर कोई चील-कौवा भी मर जाय तो पहले उसके धर्म और जाति का छिद्रान्वेषण होता है। कई प्रकार के लोग अन्वेषण में जुट जाते हैं। बाद में उसे संप्रदायिक और जातिय भक्ति का रंग देकर उसकी आराधना शुरु कर दी जाती है। प्रेमिका भक्ति का का हाल बुरा है। जैसे लोग कपड़े बदलते हैं उसी तरह आजकल प्रेमिका भक्ति प्रेमिकाएं बदलते हैं। प्रेमी तो कम लेकिन इस भक्ति की सच्ची आराधना प्रेमिकाएं करती हैं। प्रेमिकाएं ऐसे भक्त ढूढ़ती हैं जिसकी पाकेट मनी मोटी हो। एसे भक्त की भक्ति प्रेमिकाएं शीघ्रता से स्वीकार लेती हैं। इस दौर में तो पत्नी भक्ति हाल बुरा है। क्योंकि मोबाइल भक्ति इसके बीच की दीवार बन गई है। यह नियम दोनों पर लागू है। पति-पत्नी साथ होते हुए भी बिछुडे हुए हैं। दोनों अलग मोबाइल की भक्ति रस में डूबे दिखते हैं।

हमारे धर्मशास्त्रों में अभी तक केवल नौधा भक्ति यानी भक्ति के नव स्वरुपों का वर्णन किया गया है। लेकिन वक्त के साथ संशोधन अनिवार्य हो गया है। सरकार को धर्मावलंबियों की मीटिंग बुलाकर धर्म संसद में भक्ति के नौ रुपों में एक रुप को और जोड़ने की अनुमति प्रदान करनी चाहिए। जब से मोबाइल युग का दौर चला है एक नयी भक्ति का प्रागट्य हुआ है। उस दववीं भक्ति का नाम है सेल्फी भक्ति। जी हां! देश में आजकल इस भक्ति का बेहद बोलबाला है। नभ से लेकर जमींन तक जहां भी जाइए सेल्फी भक्ति को पाइएगा। देवालय, सागर, नदियां, झरने, कार्यस्थल, बाढ़, सूखा, रेलयात्रा, पिकनीक हर स्पाट पर यह भक्ति साथ-साथ होती है। पत्नी, बच्चे और परिवार सब पीछे छूट जाते हैं, लेकिन यह भक्ति नहीं छूटती है। यह मौसम भक्ति और सेल्फी का है। देभ भर में गणपति बप्पा की धूम है। जिसकी वजह से सेल्फी वाले भक्तों का जलवा है। मुंबई में तो बप्पा की सेल्फी लेने की होड़ मची है। भक्ति के बदले स्वरुप को देखते हुए पूरा पंडालों ने सेल्फी प्वाइंट बना दिए हैं। भक्तों को कोई दिक्कत न हो और आराम से भक्त बप्पा की सेल्फी लें और फिर उसे सोशलमीडिया पर वायरल कर लिखें की आज हमने अपूतभूर्व भक्ति की है। बप्पा भी ऐसे भक्तों से परेशान हैं। भक्त उनकी आराधना के लिए नहीं सिर्फ सेल्फी के लिए घंटों लाइन लगा रहे हैं। बप्पा को आराम करने का मौका नहीं मिल रहा है। बप्पा मूसकराज पर विराजमान हैं। वह भी कह रहे हैं कि प्रभों हमें भी लड्डू ग्रहण करने दीजिए। आप तो भक्तिों के साथ सेल्फी मोड में हैं हमें भी भूख-प्यास लगती है। हे प्रभों! ऐसी भक्ति से तौबा कीजिए। आप तो ऐसी भक्ति में उलझ कर रह गए हैं। इनकी सेल्फी भक्ति में पूरा देवलोक उलझ गया है। हे भगवान! टापको क्या बताएं आपके सेल्फी भक्त खुद सेल्फी की भक्ति में इतने तल्लीन हैं कि उन्हें दूसरी भक्ति दिखती ही नहीं। प्रभो दूसरे भक्तों पर भी कृपा की कीजिए।

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