भजन : ब्रजवासियों की पुकार

तर्ज: लोक गीत

दोहा : कृष्णा याद में, ब्रजवासी करते करुण पुकार।
फिरसे आ जाओ श्याम रे, संग राधाजू सरकार।।

मु: साँवरे साँवरे अब तू आना ————२
अपने साथ में राधा भी लाना ————–२
हो दाऊ भैया को -२, मत भूलजाना ————-२

अ १: तुझको गोकुल नन्द गाँव बड़ा प्यारा।
महावन वृन्दावन निधिवन न्यारा।।
मि: फिर से ब्रज में तू माखन चुराना (गैया चराना)।।
साँवरे साँवरे अब तू आना ————२

अ २: मधुर मुरली की तान तू फिर सुना दे।
बंसी वट की महिमा अब बढ़ा दे।।
मि: रास गोपियों के संग में रचाना।।।
साँवरे साँवरे अब तू आना ————२

अ ३: अब तो बढ़ गए हैं अधम अभिमानी।
धर्म कर्म से विमुख हो गए हैं प्राणी।।
मि: सबको गीता तू आकर सुनना।।
साँवरे साँवरे अब तू आना ————२

अ ४: तुम तो कहते थे जन्म भूमि हैं प्यारी।
यह तीनो लोकों में है सबसे न्यारी।।
मि: इस वचन को कभी न भूल जाना।।
साँवरे साँवरे अब तू आना ————२

अ ५: राकेश नन्दो हैं तेरे ही सहारे।
इस दुनिया से हम सब हैं हारे।।
मि: अपने चरणों में प्रेम बढ़ाना।।
(अपने चरणों में लगन लगाना )
साँवरे साँवरे अब तू आना ————

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