तर्ज: सजनवा बैरी हो गए हमार
मु: मनवा जप ले राम (हरी) को नाम।
नाम की महिमा वरणी न जाये,
समझ ना पाए राम।।
मनवा जप ले_
अंत १ : कलयुग केवल नाम आधारा, नित दिन कर ले जाप।
सुमिर सुमिर नर उतरें पारा, मिट जाये भव के ताप।।
अपने मुख से तुलसी कह गए, नाम बड़ा अविराम।।
मनवा जप ले_
अंत २ : राम नाम लिखे पत्थर, सागर में बानर तैराये।
एक पत्थर राम उठा कर, पानी में स्वयं गिराए।
डूब गया पत्थर वो राम का, चकित हुए श्री राम।।
मनवा जप ले_
अंत ३ : तब हनुमत राम जी बुलाये, सभी व्यथा कह समझाये ।
प्रभु बात सुन हनुमान जी, अपने मन में हैं मुस्काये।
आपने तो है अहिल्या तारी, जहाँ को तारेगा नाम।।
मनवा जप ले_
अंत ४ : नन्दो बल्लो राम नाम की, महिमा करते हैं गान |
सकल मनोरथ पूर्ण करेंगे, रघुकुल भूषण राम।
बाल मंडला ये समझाए, भजन करो सुबह शाम।।
मनवा जप ले_