ब्रज लोक गीत
मु: राजा राम की आई सरकार -२
अब घर घर आनंद छाय रहे -२
झूमे सब नर और नार,
सब प्राणी मंगल गाय रहे -२
राजा राम की आई सरकार__
अंत १: राजा राम जानकी हैं रानी,
आनंद कंद अवध रजधानी।
लक्ष्मण भारत शस्त्रुघन भैया,
चरणों में इनके अंजनी छैया।।
मि: ये ब्रम्ह का लगा दरबार,
हर्षित हैं अवध अपार।
सब प्राणी मंगल गाय रहे,
राजा राम की आई सरकार__
अंत २: राम राज्य बैठे हैं त्रिलोका,
हर्षित हैं सब, नहीं कही शोका।
गयी विषमता है, शमता आई ,
वैर भाव सब मिट गया भाई।।
मि: देवी देव करें मनोहार,
सब प्राणी मंगल गाय रहे,
राजा राम की आई सरकार__
अंत ३: अचरज हैं देखो, शेर और चीता,
भेड़ और बकरी संग पानी है पीता।।
कही नहीं धोखा धड़ी बेईमानी,
ईमानदार हो गए सब प्राणी।।
मि: करते हैं आपस में प्यार,
(नहीं रही है अब तकरार)
सब प्राणी मंगल गाय रहे,
राजा राम की आई सरकार__
अंत ४: न कोई शिकवा न है शिकायत ,
सभी पावैं मनवांछित राहत।
धर्म कर्म फल फूल रहा है
धरती अम्बर झूम रहा है।
मि: वैभव है अपरम्पार,
सब प्राणी मंगल गाय रहे,
राजा राम की आई सरकार__
अंत ५: नन्दो राकेश भी हर्षाय रहे,
राम राज्य की महिमा गाय रहे।
राम जी कृपा दृष्टि बरसाना,
हमको अपनी शरण लगाना।
मि: सब अवगुण देऊ विषार
सब प्राणी मंगल गाय रहे,
राजा राम की आई सरकार_ अब घर घर आनंद छाये रहे -२ झूमे सब नर और नारी, सब प्राणी मंगल गाय रहे -२ राजा राम की आई सरकार_