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बिहार आज भी है …………|

जीवन प्रकाश

शांति के दूत गौतम बुद्ध और सम्राट अशोक की पावन धरती बिहार से अपनी रोजी-रोटी चलाने व उच्च शिक्षा ग्रहण करने के लिए अन्य राज्यों में गये लोगों को उपेक्षित होकर रहना पड़ता है |कभी क्षेत्रवाद की राजनीति करने वाले नेतागण नारा लगाते हुए कहते हैं “बिहारी वापस जाओ “तो कभी बिहार के लोगों की काबिलियत पर शक करने वाले कहते है ,”बिहारी बिहार जाओ “|ऐसा क्यों है ?

सबसे ज्यादा आईएएस ऑफिसर (),आर्यभट्ट जैसे गणितज्ञ ,भ्रष्टतन्त्र को लोकतंत्र में बदलने वाले राजनीतज्ञ राजेन्द्र प्रसाद ,राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर ,जैन धेर्म के संस्थापक भगवान महावीर जैसे कई अन्य विद्वान देश को देने के बावजूद बिहार आज गाली बना हुआ है ?

1947 में देश की आजादी के साथ ही बिहार आजाद हुआ लेकिन राजनीतिक अस्थिरता के कारण विकास कम हो पाया |जिससे देश ही नहीं पूरे विश्व पटल पर बिहार का नाम खराब हुआ है |इसमे बिहार के आम लोगों की क्या गलती है ?लेकिन आज भारत में सबसे ज्यादा विकास दर वाला राज्य बिहार है |जिससे जो लोग बिहार राज्य के प्रति गलत सोचते है ,उनके गालों पर तमाचा लगा है |लेकिन यह सत्य है कि पीढ़ी बदल जाती है लेकिन गलत सोचने वालों के मन से गलत भावनाएं नहीं जा सकती |

दिल्ली के एक पत्रकारिता शिक्षन संस्थान में प्रोफेसर द्वारा पूछे गये सवालों का जवाब नहीं दिया जाता है तो उसे “बिहारी” कहा जाता है ,और कहते है बिहार से आये हो क्या ? लेकिन वह छात्र अन्य राज्य का रहने वाला था |वहीं कक्षा में पढ़ रहे बिहार के छात्रों-

गुरु: ब्रम्हा गुरु: विष्णु गुरु: देवो महेश्वर |

गुरु: साक्षात परब्रम्ह तस्मै श्री गुरूवै नम:|

जैसे श्लोकों का स्मरण कर अपने दिल को शांत रख लेता है |कुछ लोगों द्वारा कहा जाता है कि बिहारियों में आदर्शवाद नहीं है क्या उन छात्रों ने आदर्शवाद नहीं दिखाया ?लेकिन इस तरह की गालियों को कबतक बर्दाश्त किया जा सकता है ?क्या माननीय प्रोफेसर साहब को मालूम नहीं है कि लोग नये राज्यों के निर्माण व राज्यों की इज्जत के लिए अपनी जान तक कुर्बान कर देते है ?

महान अहिंसावादी नेता महात्मा गाँधी ने अपनी दूरदर्शी सोच के साथ कहा था कि “जबतक समाज में विषमता रहेगी,हिंसा रहेगी |हिंसा खत्म करने के लिए पहले विषमता को समाप्त करना होगा “|लेकिन आज ना तो विषमता खत्म हुई है और ना ही हिंसा |

असम के कोकराझाड में बोडो और गैर बोडो के बीच की हिंसा भी समाजिक विषमता का परिणाम है |जिसमे लगभग 100 लोग मारे गये |ऐसे कई उदाहरण हैं |असम में हुए हिंसा के बाद अन्य राज्यों में पुर्वोतर के लोगों के साथ हुए अत्याचार का आरोप भारतीय व्यवस्था द्वारा पाकिस्तानियों पर लगाया गया ,लेकिन भारत में राज्यों के लोगों के बीच चल रहे तनाव का आरोप किसपर लगाया जाय ?

आज भारतीय समाज में भाषा ,बोली के कारण भी क्षेत्रवाद उत्पन्न हो रहा है |जो की भारतीय समाज के लिए जहर है |बिहार हिन्दी भाषी प्रदेश है जहाँ अंग्रेजी को शिक्षा व्यवस्था के कारण सही ढंग से नहीं अपनाया गया |जिसका भुगतान राज्य से निकलने के बाद अन्य राज्यों में करना पड़ता है |बिहार से आने वाले लोगों को कभी अपनी अभिव्यक्ति को प्रकट करने के लिये अंग्रेजी लिखने,बोलने का दबाव डाला जाता है ,तो कभी हिन्दी बोले जाने पर हेय दृष्टी से देखा जाता है |क्या हिन्दी बोलना, लिखना,पढ़ना,सुनना पाप है ?यह सही है कि वैश्वीकरण के दौर में अंग्रेजी आना जरुरी है लेकिन किसी भाषा को किसी पर थोपना गलत है |दक्षिण भारत में तमिल के लोगों पर हिन्दी थोपी जा रही थी जिसके कारण एक छात्र ने आत्मदाह कर विरोध जताया था |जिसका परिणाम सकारात्मक निकला था |

असम हिंसा से सीख लेते हुए सरकार ने सोशल मीडिया पर अश्लील व भड़काऊ टिप्पणी से निपटने के लिये निगरानी शुरू कर दी है |लेकिन जो लोग भड़काऊ भाषण देकर भीड़ को गुमराह करते है ,उनसे सरकार कैसे निपटेगी यह अब भी सवाल बना हुआ है ?संविधान में भड़काऊ भाषण देने वालों के लिये कानून तो बने हुए है लेकिन प्रशासन द्वारा समाज के सभी वर्गों पर लागू नहीं किया जाता है ,या फिर उनतक प्रशासन को पहुँचने के लिए लंबी सीढ़ी चढ़नी पड़ती है |अतएव् क्षेत्रवाद जैसी समस्या से निपटने के लिए आमलोगों को सोच में बदलाव के साथ यह कहना होगा की भारत अनेकता में एकता का देश है |