दोहे

काले दिवस के सफेद दोहे


आर के रस्तोगी  

कोई किसे हिटलर कहे,कोई किसे को औरंगजेब
जब जिसको मौका मिले,काटे जनता की ये जेब

काला दिवस मना कर,क्या करना चाहते हो सिद्ध
दोनो आपस में ऐसे लड़ रहे ,जैसे मांस पर गिद्ध

बीती गई बिसार दो,एक दूजे की टांग खीचते क्यों ?
गड़े मुर्दे उखाड़ने में,समय बर्बाद करते हो तुम क्यों ?

दिवस को काला करत है,रात को सफेद करत न कोय
नेताओ के जो दिल काले है,उन्हें सफेद करत न कोय

काला दिवस कुछ नहीं,ये है सन 19 चुनाव की तैयारी
जनता को कैसे मूर्ख बनाये,और जीतने की करे तैयारी

दोनों भाषण बाजी कर रहे,जनता की सुन रहा न कोय
एक बार जनता की सुन ले,तो बेडा पार इन  का होय