कविता

मिली कुंए में भांग आज फिर होली में

 

मिली कुंए में भांग आ

ज फिर होली में

 

काम हुए सब रॉंग आज फिर होली में

 

सजी-धजी मुर्गी की देख अदाओं को

 

दी मुर्गे ने बांग आज फिर होली में

 

करे भांगड़ा भांग उछल कर भेजे में

 

नहीं जमीं पर टांग आज फिर होली में

 

फटी-फटाई पेंट के आगे ये साड़ी

 

कौन गया है टांग आज फिर होली में

 

करने लगे धमाल नींद के आंगन में

 

सपने ऊटपटांग आज फिर होली में

 

बोलचाल थी बंद हमारी धन्नों से

 

भरी उसीकी मांग आज फिर होली में

 

सजधज उनकी देख गधे भी हंसते हैं

 

रचा है ऐसा स्वांग आज फिर होली में

 

साडेनाल कुड़ी सोनिए आ जाओ

 

सुनो इश्क दा सांग आज फिर होली में