कविता

कैद मिली तो क्या हुआ?

जिसको जितना ज्ञान कम, अधिक बोलते लोग।

ज्ञानीजन बोले नहीं, सुमन दुखद संयोग।।

कैद मिली तो क्या हुआ, होता खूब प्रचार।

मंत्री होते कैद में, सुमन चले सरकार।।

नाकाबिल साबित सुमन, पर देखो अभिमान।

कम से कम मंत्री बने, नालायक सन्तान।।

सूरत पे मुस्कान है, भीतर भरा तनाव।

युग परिवर्तन का सुमन, देखो नित्य प्रभाव।।

जो करते अक्सर सुमन, परम्परा गुणगान।

परम्परा व्यवहार में, तोड़े वो श्रीमान।।

अक्सर दिख जाता सुमन, बड़े पते की बात।

कहते जिससे प्रेम है, भीतर से आघात।।

सूरत पे मोहित हुआ, बात बहुत यह आम।

सुमन यकायक रो पड़ा, देख आचरण काम।।