ऑस्टियोआर्थराइटिस की संभावना महिलाओं में ज्यादा……

ओस्टियोआथ्र्राइटिस जोड़ों का एक विकार है, जो लाखों भारतीयों को प्रभावित करता है। इससे हड्डियां कमजोर होती हैं और फ्रैक्चर की संभावना बढ़ जाती है। आस्टियोपोरोसिस एक बिना किसी बाहरी लक्षण लगातार बढऩे वाली बीमारी है, जिसके कारण हड्डियां पतली और कमजोर होने लगती हैं और रजोनिवृत हो चुकी महिलाओं में आमतौर पर यह बीमारी पाई जाती है, लेकिन पुरु षों को भी यह बीमारी हो सकती है, जैसे-जैसे हड्डियां और ज्यादा छिद्रयुक्तऔर कमजोर होती जाती है, हड्डी टूटने का जोखिम और बढ़ता जाता है। मुंबई स्थित पी डी हिंदुजा नेशनल हॉस्पीटल के ऑर्थोपेडिक्स विभाग के हेड डा. संजय अग्रवाला के अनुसार इसके कारण अक्सर शुरूआत में कोई लक्षण तब तक नहीं दिखाई देते, जब तक एक बार हड्डी नहीं टूटती। ओस्टियोआथ्र्राइटिस के कारण आम तौर पर रीढ़, कूल्हे और कल्हाई की हड्डी टूट जाती है। दो में एक स्त्री और चार पुरु षों में से एक पुरु ष को 50 वर्ष से अधिक उम्र में आस्टियोपोरोसिस के कारण फ्रैक्चर हो सकता है।
डा. संजय अग्रवाला का कहना है कि आमतौर पर पाए जाने वाले लक्षणों में कूल्हे, हाथ एवं कलाई की हड्डिïयों में दर्द होना, पीठ के निचले हिस्से अथवा कमर में दर्द, कमर का झुक जाना, गर्दन में दर्द, कूल्हे रीढ़, पीठ या कलाई की हड्डिïयों में कभी-कभी बिना गिरे ही फ्रेक्चर होना आदि ओस्टियोपोरोसिस होने का संकेत करते हैं।
डा. संजय अग्रवाला के अनुसार लक्षणों के आधार पर ओस्टियोपोरोसिस होने का पूर्वानुमान लग जाता है। रक्तजांच कर उसमें किडनी कार्य प्रणाली, कैल्शियम, फॉस्फोरस, विटामिन डी आदि नापा जाता है। बोन मिनरल डेंसिटी, डीएक्सए, जैसे टेस्ट किए जाते हैं और समस्या की गंभीरता का पता लगाया जाता है। युवावस्था से ही सही पोषण और कसरत से अपनी हड्डियों का ख्याल रख कर आप बढ़ती उम्र में भी अपनी हड्डियों को मजबूत बनाए रख सकते हैं और सेहतमंद जिंदगी जी सकते हैं। हड्डियों की सेहत व मजबूती बनाए रखने के लिए शारीरिक रूप से सक्रिय रहना बेहद जरूरी है। अस्थि क्षति से जूझ रहे हैं तो हड्डियों को मजबूती दे सकते है। यहां तक कि अस्थि क्षति की रोकथाम भी कर सकते हैं। चलना व दौडऩा, नाचना और वजन उठाना हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए विशेषतौर पर फायदेमंद है। तैरना भी अच्छा है। शारीरिक कसरत से हड्डियों पर हल्का दबाव पड़ता है और इस किस्म की गतिविधियों से हड्डियां मजबूत बनती है।
कुछ ऐसे पोषक तत्व और खाद्य पदार्थ हैं, जो ओस्टियोआथ्राइटिस को गंभीर रूप लेने से रोकते हैं। आहार चिकित्सा इस रोग के दर्द व इंफ्लेमेशन को घटाने में मददगार है। अनुसंधानकर्ताओं ने पाया है कि विटामिन सी, डी, ई, ऐंटीऑक्सीडेट और ओमेगा-3 फैटी एसिड्स में ओस्टियोआथ्र्राइटिस के विरूद्ध रक्षात्मक गुण होते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार वे खाद्यपदार्थ, जिन में उच्चस्तरीय परिष्कृत भोग्य शामिल होते हैं जैसे सफेद चावल, सफेद बै्रड, मीठा, सफेद पास्ता और सैचुरेटेड व ट्रांस फैट से भरी चीजें, ओस्टियोआथ्र्राइटिस के विकास का कारण बनते हैं। घुटनों व कूल्हों के अलावा गरदन, कमर, हाथों के अंगूठों के जोड़, उंगलियों व पैरों के अंगूठों को भी ओस्टियोआथ्र्राइटिस प्रभावित करता है। अभी इस मर्ज की मुफीद कोई दवा मौजूद नहीं है पर उपचार से दर्दनाक स्थिति में जाने से बचा जा सकता है।

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