जीएसटी दरों में बदलाव:आत्मनिर्भर, सशक्त और न्यायपूर्ण व्यवस्था की ओर कदम !

सरकार द्वारा स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से जीएसटी में बड़े बदलाव कर आम जनता को राहत देने की घोषणा की गई थी और अब इस क्रम में केंद्र सरकार को जीएसटी में 12 प्रतिशत और 28 प्रतिशत स्लैब को हटाने की राज्यों के मंत्रियों की समिति (जीओएम) से भी मंजूरी मिल गई है। कहना ग़लत नहीं होगा कि जीएसटी दरों में कटौती और जनहित में लिए गए फैसले निश्चित रूप से देश की अर्थव्यवस्था और आम जनता के लिए राहत लेकर आए हैं।सच तो यह है कि जब सरकार जनता की जरूरतों और महँगाई के दबाव को ध्यान में रखकर कर दरों को कम करती है, तो इसका सीधा लाभ उपभोक्ताओं के साथ-साथ व्यापारियों को भी मिलता है। बहरहाल,यह बात बहुत कम लोग ही जानते होंगे कि फ्रांस को विश्व में जीएसटी का जनक कहा जाता है, क्योंकि वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) लागू करने वाला फ्रांस दुनिया का पहला देश था।बहरहाल, पाठकों को बताता चलूं कि 2016 में संसद के दोनों सदनों द्वारा संवैधानिक (122वांँ संशोधन) विधेयक पारित होने के बाद वस्तु और सेवा कर व्यवस्था लागू हुई थी। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) भारत में वस्तुओं और सेवाओं के निर्माण, बिक्री और उपभोग पर अप्रत्यक्ष कर है,जो हमारे देश में 1 जुलाई 2017 से लागू हुआ था। गौरतलब है कि वस्तु एवं सेवा कर(जीएसटी) को 101वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2016 के माध्यम से पेश किया गया था तथा यह देश के सबसे बड़े अप्रत्यक्ष कर सुधारों में से एक है। इसे ‘वन नेशन वन टैक्स’ के नारे के साथ पेश किया गया था।यह भी उल्लेखनीय है कि जीएसटी में उत्पाद शुल्क, मूल्यवर्द्धित कर (वैट), सेवा कर, विलासिता कर आदि जैसे अप्रत्यक्ष करों को सम्मिलित किया गया है। दरअसल, जीएसटी कर के व्यापक प्रभाव या कर के भार को कम करता है , जो अंतिम उपभोक्ता पर भारित होता है। जीएसटी का महत्व या फायदा यह है कि इससे एक साझा राष्ट्रीय बाजार का निर्माण होता है। विदेशी निवेश और ‘मेक इन इंडिया’ अभियान को बढ़ावा मिलता है।केंद्र और राज्यों तथा केंद्रशासित राज्यों के बीच कानूनों, प्रक्रियाओं और कर की दरों में सामंजस्य स्थापित होता है। टैक्स चोरी हतोत्साहित होती है। टैक्स सिस्टम को निश्चितता मिलती है तथा भ्रष्टाचार में भी कभी आती है। इससे निर्यात और विनिर्माण गतिविधि को बढ़ावा मिलता है, अधिक रोज़गार पैदा होते हैं और इस प्रकार लाभकारी रोज़गार के साथ सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि होती है ,जिससे वास्तविक आर्थिक विकास होता है।बहरहाल, पाठकों को जानकारी देना चाहूंगा कि जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) लागू करने वाला भारत का पहला राज्य  असम  था, जिसने 12 अगस्त 2016 को जीएसटी बिल को मंजूरी दी थी. यह विधेयक सर्वसम्मति से असम विधानसभा में पारित किया गया था, जिससे असम जीएसटी को अपनाने वाला पहला राज्य बन गया। हाल फिलहाल, कहना ग़लत नहीं होगा कि जब किसी देश में जीएसटी दरें अधिक होती हैं, तो इसके कई नकारात्मक असर दिखाई देते हैं।मसलन, महंगाई बढ़ती है।ऊँची दरों से वस्तुएँ और सेवाएँ महँगी हो जाती हैं, जिससे उपभोक्ताओं को ज़्यादा कीमत चुकानी पड़ती है। जब चीज़ें महँगी होती हैं तो लोग उनकी खरीद कम कर देते हैं और इसका असर व्यापार और उद्योग पर पड़ता है।छोटे कारोबारियों पर दबाव बढ़ता है। दरअसल, ऊँचे टैक्स के कारण उत्पादन लागत बढ़ती है। छोटे और मझोले व्यापारी प्रतिस्पर्धा में टिक नहीं पाते। जीएसटी अधिक होने से काला बाज़ारी और टैक्स चोरी की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। अधिक दरें अक्सर लोगों को टैक्स से बचने के लिए अवैध रास्ते अपनाने पर मजबूर करती हैं। हालांकि, जीएसटी में वृद्धि  सरकार के लिए सकारात्मक पहलू है। मसलन, जीएसटी दरों में वृद्धि से राजस्व में वृद्धि होती है। ऊँची दरों से सरकार को ज़्यादा टैक्स मिलता है, जिसका इस्तेमाल विकास और कल्याणकारी योजनाओं में किया जा सकता है। इतना ही नहीं,महँगी वस्तुओं की खपत पर नियंत्रण होता है।विलासिता की वस्तुओं (लग्ज़री गुड्स) पर ऊँचे जीएसटी से उनकी खपत कम होती है, जिससे समाज में संतुलन बना रहता है। संक्षेप में कहा जा सकता है कि जीएसटी दरों के अधिक होने से उपभोक्ता महँगाई का बोझ झेलते हैं, व्यापार पर असर पड़ता है, लेकिन सरकार को अधिक राजस्व प्राप्त होता है। बहरहाल, जीएसटी दरों में कटौती का सरकार का यह फैसला महँगाई नियंत्रण, व्यापार सुगमता और उपभोग वृद्धि की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा सकता है। इससे जहाँ आम नागरिकों को रोजमर्रा की वस्तुएँ सस्ती मिलेंगी, वहीं व्यापारिक जगत में मांग भी बढ़ेगी। कर संरचना सरल होने से छोटे व्यापारियों और मध्यमवर्गीय परिवारों को राहत पहुँचेगी। इससे न केवल लोगों की जेब पर बोझ कम होगा, बल्कि अर्थव्यवस्था में भी नई गति आएगी। सरकार के इस निर्णय से अब लगभग 90 फीसदी वस्तुएं सस्ती हो जायेंगी। हालांकि, विलासिता की वस्तुओं पर 40 फीसदी कर(महंगी कारों जैसे अल्ट्रा लग्जरी (विलासिता) उत्पादों पर 40 फीसदी के अतिरिक्त भी कर) होगा, लेकिन जीएसटी दरों में बदलाव से मध्य वर्ग, किसानों और एमएसएमई(सुक्ष्म ,लघु और मध्यम उद्यम) को निश्चित ही बड़ी राहत मिलेगी। अच्छी बात है कि  राज्यों के मंत्रियों के समूह (जीओएम) ने जीएसटी के सिर्फ दो स्लैब पांच और 18 फीसदी रखने के केंद्र के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है। अब मामले को जीएसटी परिषद की अगली बैठक में रखा जाएगा, जो इस पर अंतिम फैसला करेगी। पाठकों को बताता चलूं कि जीएसटी बदलाव के बाद जिन 99 फीसदी वस्तुओं पर पहले 12 फीसदी कर लगता था, वे सभी अब 5 फीसदी वाले स्लैब में आ जाएंगी। इसी तरह, 28 फीसदी स्लैब वाली 90 फीसदी वस्तुएं 10 फीसदी सस्ती हो जाएंगी। जीएसटी के दो स्लैब 5 व 18 फीसदी होने से न सिर्फ रोजमर्रा एवं अन्य जरूरी वस्तुओं की कीमतें घटेंगी, बल्कि मांग और खपत को बढ़ावा मिलेगा। हालांकि, राजस्व नुकसान व भरपाई को लेकर भी चिंताएं जताई गई हैं।इस संदर्भ में यह भी कहा गया है कि राज्यों के राजस्व की सुरक्षा तय करते हुए दरें तर्कसंगत बनानी चाहिए, अन्यथा गरीब, मध्य वर्ग और बुनियादी परियोजनाओं के साथ कल्याणकारी योजनाओं को नुकसान होगा। बहरहाल, पाठकों को बताता चलूं कि जीएसटी दरों में कमी के चलते नमकीन, टूथपेस्ट, साबुन, दवाएं आदि सस्ती होंगी। उपलब्ध जानकारी के अनुसार इन पर टैक्स 12 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी होगा। दरअसल, 12 फीसदी जीएसटी वाली 99 फीसदी वस्तुओं के पांच फीसदी के दायरे में आने से सूखे मेवे, ब्रांडेड नमकीन, टूथ पाउडर, टूथपेस्ट, साबुन, हेयर ऑयल, सामान्य एंटीबायोटिक्स, दर्द निवारक दवाएं, प्रोसेस्ड फूड, स्नैक्स, फ्रोजन सब्जियां, कंडेंस्ड दूध, कुछ मोबाइल, कंप्यूटर, सिलाई मशीन, प्रेशर कुकर, गीजर जैसी चीजें सस्ती हो जाएंगी। अच्छी बात है कि इलेक्ट्रिक आयरन, वैक्यूम क्लीनर, 1,000 रुपये से अधिक के रेडीमेड कपड़े, 500 से 1,000 रुपये तक वाले जूते, वैक्सीन, एचआईवी/टीबी डायग्नोस्टिक किट, साइकिल, बर्तन पर भी टैक्स कम लगेगा तथा ज्योमेट्री बॉक्स, नक्शे, ग्लोब, ग्लेज्ड टाइल्स, प्री-फैब्रिकेटेड बिल्डिंग, वेंडिंग मशीन, पब्लिक ट्रांसपोर्ट वाहन, कृषि मशीनरी, सोलर वॉटर हीटर जैसे उत्पादों भी पर भी 5% टैक्स हो जाएगा। सीमेंट, ब्यूटी प्रोडक्ट, चॉकलेट, रेडी-मिक्स कंक्रीट, टीवी, फ्रिज, वॉशिंग मशीन, एसी, डिशवॉशर, निजी विमान, प्रोटीन कन्संट्रेट, चीनी सिरप, कॉफी कन्संट्रेट, प्लास्टिक प्रोडक्ट, रबर टायर, एल्युमिनियम फॉयल, टेम्पर्ड ग्लास, प्रिंटर, रेजर, मैनिक्योर किट आदि पर 28% से घटकर 18% टैक्स लगेगा। हालांकि,भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने रिपोर्ट में यह बात कही है कि, जीएसटी दरों को युक्तिसंगत बनाने से 1.98 लाख करोड़ रुपये की खपत को बढ़ावा मिलेगा। हालांकि, इससे सरकार को हर वित्त वर्ष में 85,000 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान हो सकता है। यहां पाठकों को बताता चलूं कि अभी जीएसटी में चार स्लैब 5 फीसदी, 12 फीसदी, 18 फीसदी और 28 फीसदी हैं। खाद्य पदार्थों पर या तो शून्य या पांच फीसदी जीएसटी लगता है, जबकि विलासिता व अहितकर वस्तुओं पर 28 फीसदी कर लगता है। बहरहाल, यही कहूंगा कि जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) में दर कटौती और सरलता से जुड़ा फैसला देशवासियों के लिए राहत भरा है।सच तो यह है कि यह निर्णय भारत की आर्थिक मजबूती और जन-कल्याणकारी दृष्टिकोण दोनों का प्रतीक है। दूसरे शब्दों में हम यह बात कह सकते हैं कि यह पहल भारत को आर्थिक रूप से और अधिक आत्मनिर्भर, सशक्त और न्यायपूर्ण व्यवस्था की ओर अग्रसर करेगी।

सुनील कुमार महला

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