कांग्रेस का घोषणा पत्र और कश्मीर

सुरेश हिन्दुस्थानी
प्राय: कहा जाता है कि आज कश्मीर की जो स्थिति है, उसमें देश की उन सरकारों का गहरा सरोकार है, जिसमें कांग्रेस नीति नियंता रही है। कश्मीर में धारा 370 को ही जम्मू कश्मीर की स्थिति बिगाडऩे का दोषी समझा जाता है। कई बार देश में धारा 370 को समाप्त करने की वकालत भी की जा चुकी है, लेकिन इसके विपरीत अभी हाल ही में प्रसारित किए गए कांग्रेस के घोषणा पत्र में यह स्पष्ट किया गया है कि कश्मीर में धारा 370 को समाप्त नहीं किया जाएगा। कांग्रेस का यह कदम निश्चित रुप से कांग्रेस की उस परम्परा को आगे बढ़ाने का प्रयास ही है, जो देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने कश्मीर के बारे स्थापित किया था।
भारत को स्वतंत्रता मिलने के पश्चात कश्मीर को भारत में मिलाने के लिए लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल ने जो प्रयास किए थे, उसके परिणाम स्वरुप ही आज जम्मू कश्मीर भारत का हिस्सा है। लेकिन यह भी बड़ा सच है कि आजादी के बाद भी कश्मीर में अलग प्रधानमंत्री होता था। यानी कश्मीर को अलग देश मानने की परिपाटी का शुभारंभ आजादी मिलने के बाद ही प्रारंभ हो गया था। बाद में उस समय की केन्द्र सरकार के मुखिया नेहरु ने कश्मीर को अलग राज्य का दर्जा देने के लिए धारा 370 लगाने का खेल भी शुरु हो गया। जिसके बाद वहां शेष भारत के नागरिकों को कई प्रकार के कानून के तहत प्रतिबंधित किया गया।
कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र से स्पष्ट कर दिया है कि वह कश्मीर की स्थिति को वैसा ही रहने देने का मन बना चुकी है, जैसी अभी तक है। यानी शेष भारत से कटा हुआ। कांग्रेस का यह कदम निश्चित ही पाकिस्तान परस्त आतंकियों और पत्थरबाजों के हौसले बढ़ाने जैसा ही है। कांग्रेस केवल धारा 370 के समाप्त करने के अपने दावे पर ही नहीं रुकी। उसने एक नहीं कई कदम आगे बढ़कर देश को यह आश्वासन भी दे दिया कि वह देशद्रोह की धारा 124ए को समाप्त कर देगी। यानी कांग्रेस की सरकार बनने के बाद कोई भी नागरिक अपने ही देश के विरोध में नारे लगा सकते हैं। कानून समाप्त हो जाने के बाद उनका ऐसा कृत्य भी देशद्रोह की श्रेणी में नहीं आएगा।
जम्मू कश्मीर के वर्तमान परिदृश्य के लिए देश के कई विद्वान कांग्रेस को सीधे तौर पर दोषी ठहराते हैं। इसके साथ ही जम्मू कश्मीर में क्षेत्रीय राजनीतिक दल के रुप में अपनी राजनीति करने वाले राजनेता भी कम दोषी नहीं हैं। जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुक अबदुल्ला, उमर अबदुल्ला और महबूबा मुफ्ती के ताजा बयान भी हमें याद ही होंगे। जिसमें वे खुलेआम रुप से यह कहते सुनाई दिए कि जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाई गई तो इसके भयंकर परिणाम होंगे। इस बात को हम कांगे्रस और जम्मू कश्मीर के राजनीतिक दलों की रागात्मक अभिव्यक्ति कहें तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। क्योंकि यह जम्मू कश्मीर की समस्या की जड़ को पहचानने का प्रयास कर रहे हैं और न ही ऐसे प्रयासों का समर्थन ही कर रहे हैं। ऐसे में यही कहा जा सकता है कि जम्मू कश्मीर की सभी समस्याओं को स्थापित और पुनर्जीवित करने में इन राजनीतिक दलों का बहुत बड़ा योगदान है।
जम्मू कश्मीर को लेकर अन दलों द्वारा जिस प्रकार की राजनीतिक बयानबाजी की जा रही है, उससे ऐसा लगने लगा है कि ये लोग संभवत: यह नहीं मानते कि जम्मू कश्मीर भारत का हिस्सा है। कांग्रेस ने जहां अपने घोषणा पत्र में जम्मू कश्मीर में पत्थरबाजों और आतंकियों के हौसले बुलंद करने के लिए धारा 370 को समाप्त नहीं करने की बात कही है, वहीं नेशनल कांफें्रस के नेता उमर अबदुल्ला एक कदम आगे बढ़कर बयान दे रहे हैं। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि वे जम्मू कश्मीर में अलग प्रधानमंत्री बनाना चाहते हैं। यह सभी जानते हैं कि जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है, लेकिन राजनीतिक दलों द्वारा जिस प्रकार से कश्मीर को लेकर राजनीति की जात रही है, उससे तो यही लगता है कि ये राजनेता जम्मू कश्मीर को भारत से अलग मानकर ही चलते हैं। वास्तव में देखा जाए तो कांगे्रस का घोषणा पत्र देश विभाजन की एक और बुनियाद का निर्माण कर रहा है। वर्तमान में देश का नागरिक जागरुक हो गया है, वह इस सत्य को भली भांति समझ भी रहा है कि जम्मू कश्मीर में इसी प्रकार की राजनीति ने ऐसा वातावरण तैयार किया है कि वहां के नागरिक भ्रम का शिकार हो रहे हैं। यह किसी से छिपा नहीं है कि धारा 370 के कारण ही कश्मीर से हिन्दुओं का पलायन हुआ है। इस पलायन को रोकने के लिए कांगे्रस के घोषणा पत्र में कोई स्थान नहीं है। इसका मतलब स्पष्ट है कि कांग्रेस आज भी तुष्टिकरण का खेल खेल रही है। इसी प्रकार कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में यह भी स्पष्ट कर दिया है कि वह देशद्रोह के कानून को भी समाप्त कर देगी। यानी कांग्रेस की सरकार आने पर कोई भी व्यक्ति देश के विरोध में आवाज उठा सकता है, उस पर कोई भी कार्यवाही नहीं की जाएगी। कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में जो कदम उठाया है वह प्रथम दृष्टया देश विरोधी ही है। इससे जहां एक और आतंकियों को शह मिलेगी, वहीं जम्मू कश्मीर में किए गए प्रयास भी समाप्त हो जाएंगे। उसके बाद फिर प्रारंभ होगा हिन्दुओं को भगाने का खेल। जो विसंगति आज कश्मीर में है वह पूरे देश में भी दिखाई दे सकती है। कांग्रेस का घोषणा पत्र और कश्मीर में राजनीति करने वाले क्षेत्रीय राजनीतिक दलों के नेताओं के बयानों को आधार बनाया जाए तो उसकी ऐसी ही परिणति होने संदेश दे रही है कि जम्मू कश्मीर में फिर से अस्थिरता का वातावरण पैदा हो जाए। यह सर्वविदित है कि केन्द्र में जबसे नरेन्द्र मोदी की सरकार बनी है, तब से ही जम्मू कश्मीर की स्थिति में व्यापक सुधार हुआ है। जम्मू कश्मीर के लोग भी इस बदली हुई स्थिति से तालमेल बिठाने की ओर अग्रसर हो रहे हैं, लेकिन राजनीति ने कश्मीर को फिर से उसी राह पर लेजाने का प्रयास किया है, जो आज से पांच वर्ष पूर्व थी। हमको इन बयानों का गंभीरता पूर्व अर्थ निकालकर देश हित में कदम उठाना चाहिए।

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