राजनीति

कांग्रेस को अब दिखी महंगाई

सुरेश हिन्दुस्थानी
कांग्रेस के बारे में प्राय: कहा जाता है कि इसके नेता सरकारी सुख सुविधाओं के आदी हो चुके हैं। बिना सुविधाओं के इनकी छटपटाहट देखी जा सकती है। जब ये सरकार में रहते हैं तब इनको महंगाई भारी नहीं लगती। हो सकता है कि कांग्रेसी सत्ता के समय अपनी जेब से पैसा खर्च न करते हों, क्योंकि वे पैसा खर्च करते तो उनको गरीब का दर्द महसूस होता। लेकिन अब कांग्रेस सत्ता से बाहर हो चुकी है, इसलिए सरकारी सुख सुविधाएं तो उनके पास रही नहीं और उनको अपनी जेब से पैसा खर्च करना पड़ रहा है। महंगाई क्या होती है, अब इसका दर्द कांग्रेसियों के बयानों से झलकता दिखाई दे रहा है।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अभी हाल ही में महंगाई को लेकर मोदी सरकार पर निशाना साधकर आम जनता को यह संदेश देने का प्रयास किया कि हम जनता की समस्याओं के प्रति संजीदा हैं। सवाल यह है कि जिन्होंने दस साल से महंगाई के बारे में कुछ सोचा भी नहीं था, आज वे वर्तमान सरकार का महंगाई के मुद्दे पर विरोध कर रहे हैं, कांग्रेस चाहती तो भेदभाव पूर्ण नीति का परित्याग करके जनहितैषी सरकार दे सकती थी, लेकिन कांग्रेस ने महंगाई कम करने का प्रयास तक नहीं किया, आज कांग्रेस को मोदी की सरकार का केवल विरोध करने के लिए महंगाई की याद आ रही है। जो न्यायसंगत कतई नहीं मानी जा सकती। कांगे्रस के बारे में यह सरेआम देखा गया कि उसने अपने निजी कार्यक्रमों को भी सरकारी बनाकर अनाप शनाप खर्च किया। कुछ कार्यक्रम जरूर अपवाद कहे जा सकते हैं। आज सरकार नहीं रहने पर जब वे सभी कार्यक्रम कांग्रेस के हो गए तब उनका आकार एकएम इसलिए सीमित कर दिया, जिससे व्यय अधिक नहीं आए।
वास्तव में कांग्रेस को महंगाई के मुद्दे पर बोलने का कोई हक नहीं है, क्योंकि जिस कांग्रेस ने महंगाई के मुद्दे पर पूरी जनता को रोने के लिए बाध्य का दिया था, वही कांग्रेस आज सरकार बदलते ही आरोपों की झड़ी लगा रही है। कांग्रेस को आज को अपने गिरेबान में झांककर देखना चाहिए कि उन्होंने अपनी सरकार के रहते हुए महंगाई के बारे में क्या किया। संप्रग शासन के समय पैट्रोल भारत की जनता ने महंगाई कम होने का सपना ही छोड़ दिया था, और आज मोदी सरकार ने मात्र तीन महीने में ही सात रुपए पैट्रोल के दाम करके यह साबित कर दिया है कि नीति और नीयत साफ होने पर हर असंभव बात को संभव करके दिखाया जा सकता है। वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नीति और नीयत पर कांग्रेस भले ही सवाल उठाए लेकिन आम जनमानस इस बात से भली भांति परिचित है कि नरेन्द्र मोदी केवल देश और समाज के बारे में सोचते हैं। उन्होंने मात्र तीन माह में जो कार्य किए हैं, उसका परिणाम आगामी कुछ दिनों में अच्छा ही आएगा।
हम कह सकते हैं कि कांग्रेस केवल अपने गुनाहों को छिपाने के लिए इस प्रकार का आरोप लगा रही है। एक तरफ सोनिया गांधी कह रही हैं कि मोदी सरकार ने महंगाई कम नहीं की तो दूसरी तरफ यह भी कह रही है कि मोदी ने सांप्रदायिकता को हवा दी है, जिससे देश में दंगे हो रहे हैं। कांगे्रस का यह सबसे बड़ा झंूठ है क्योंकि गैर भाजपा शासित राज्यों में जो दंगे हुए हैं, वह कांग्रेस को दिखाई नहीं देते और कांग्रेस ने तो तुष्टीकरण की नीति अपनाकर दंगाइयों को हमेशा ही प्रोत्साहन दिया है। उत्तरप्रदेश के दंगे इसका उदाहरण हैं जिसमें कांग्रेस के सारे बड़े नेता सोनिया गांधी, मनमोहन सिंह और राहुल केवल मुसलमानों से मिलकर तुष्टीकरण की नीति अपनाई, और हिन्दू समाज के प्रताडि़त लोगों की तरफ देखा तक नहीं। उत्तरप्रदेश के दंगों में हिन्दू समाज के व्यापारियों का सर्वाधिक नुकसान हुआ था। इसके बाद भी कुछ मुसलमान लोग सरकार के मुखियाओं के समक्ष ऐसे पेश आए कि यही सबसे ज्यादा प्रताडि़त हैं। जबकि वास्तविकता इसके एकदम उलट है।
मोदी सरकार ने वास्तव में वही किया है जो एक सरकार को करना चाहिए, दंगों से प्रताडि़त समाज को सुरक्षा देना भी सरकार का काम है और दंगों से हमेशा बहुसंख्यक वर्ग ही प्रताडि़त हुआ है। कांग्रेस अगर अपनी सरकार के कार्यों में पारदर्शिता रखती तो संभवत: उसकी नीति और नीयत सही होती। और सबको समान रूप से देखती व व्यवहार करती। मोदी ने तो जम्मू काश्मीर में जाकर यह घोषणा भी की कि हम कश्मीर के लोगों के लिए इतने संसाधन पैदा कर देंगे कि उन्हें वह सब कुछ मिलने लगेगा जो वह चाहते हैं। कांग्रेस और मोदी की सरकार में यही मूलभूत अंतर है। कांग्रेस केवल अपने बारे में ही सोचती थी, जबकि मोदी पूरे देश के बारे में सोचते हैं।