देश के अलग-अलग हिस्सों से आए दिन ऐसी घटनाएँ सामने आ रही हैं, जो समाज को अंदर तक झकझोर देती हैं। भोजनालयों, ढाबों और होटलों में ग्राहकों को परोसे जाने वाले भोजन की स्वच्छता और पवित्रता पर हमेशा से सवाल उठते रहे हैं। लेकिन हाल के वर्षों में जिस तरह से “थूक लगाकर रोटी” परोसने जैसी शर्मनाक घटनाओं का सिलसिला बढ़ा है, वह सिर्फ स्वास्थ्य के लिए खतरनाक नहीं बल्कि सामाजिक दृष्टि से भी अत्यंत चिंताजनक है। यह केवल भोजन से खिलवाड़ नहीं बल्कि एक प्रकार का मानसिक और धार्मिक आघात है, जो जनमानस की भावनाओं को गहराई तक आहत करता है।
गाजियाबाद का ताज़ा मामला
हाल ही में गाजियाबाद के लोनी इलाके के प्रसिद्ध करीम होटल से ऐसा ही मामला सामने आया। सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें रोटी बनाने वाला कारीगर तंदूर में डालने से पहले उस पर थूकता हुआ दिखाई दे रहा था। वीडियो सामने आते ही लोगों में आक्रोश फैल गया। होटल मालिक और संबंधित कारीगर के खिलाफ शिकायत दर्ज की गई तथा प्रशासन ने त्वरित कार्रवाई आरंभ की। पुलिस व खाद्य सुरक्षा विभाग ने मामले का संज्ञान लेते हुए जाँच शुरू की और यह स्पष्ट कर दिया कि ऐसे मामलों में अब ढिलाई नहीं बरती जाएगी।
हिमाचल के बद्दी का चौंकाने वाला वीडियो
इसी प्रकार हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले के औद्योगिक नगर बद्दी में भी एक चौंकाने वाला वीडियो वायरल हुआ। साईं रोड स्थित मशहूर मदीना ढाबा और शमा चिकन कॉर्नर पर रोटियाँ बनाते समय कुक बार-बार उनमें थूकता हुआ कैमरे में कैद हुआ। राहगीरों द्वारा बनाए गए इस वीडियो ने स्थानीय लोगों में भारी नाराजगी पैदा कर दी। प्रशासन ने तुरंत कार्रवाई करते हुए ढाबा संचालक मोहम्मद मुस्ताज और कर्मचारी मोहम्मद निज़ाम को गिरफ्तार किया तथा उन पर बीमारी या संक्रमण फैलाने संबंधी धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया। स्वास्थ्य विभाग ने भी मौके पर पहुँचकर खाद्य सामग्री के सैंपल लिए और जांच शुरू कर दी। यह मामला केवल स्वास्थ्य सुरक्षा का नहीं बल्कि जनविश्वास से भी जुड़ा हुआ है, जो इस तरह की हरकतों से गहरा आहत हुआ है।
बागपत और गाजियाबाद में भी दोहराई गई शर्मनाक हरकत
उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के खेकड़ा कस्बे में भी एक ढाबे पर इसी प्रकार का मामला सामने आया। यहाँ एक ग्राहक ने अपने मोबाइल पर वीडियो बनाकर स्पष्ट किया कि कारीगर रोटियों पर थूक रहा है और वही ग्राहकों को परोसी जा रही हैं। पुलिस ने तत्काल आरोपी अनस को गिरफ्तार किया और उस पर भारतीय दंड संहिता तथा खाद्य सुरक्षा कानून की धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया। इससे पहले भी गाजियाबाद में इसी प्रकार की घटनाएँ सामने आ चुकी हैं, जिससे यह स्पष्ट है कि यह कोई एक-दो स्थानों तक सीमित समस्या नहीं बल्कि एक खतरनाक प्रवृत्ति बनती जा रही है।
कानून और प्रशासन की जिम्मेदारी
यह तथ्य चिंताजनक है कि इन घटनाओं के सामने आने के बाद ही प्रशासन हरकत में आता है। सवाल यह है कि क्या खाद्य सुरक्षा विभाग और स्थानीय प्रशासन को नियमित जांच और निगरानी नहीं करनी चाहिए? जब तक घटनाएँ सामने आकर जनता का गुस्सा नहीं भड़कता, तब तक ऐसे ढाबे और होटल फलते-फूलते रहते हैं। यह लापरवाही आम नागरिकों की जान से खिलवाड़ के बराबर है। ऐसे मामलों में केवल गिरफ्तारी ही पर्याप्त नहीं, बल्कि सख्त दंड और लंबे समय तक लाइसेंस निरस्तीकरण जैसी कार्यवाही आवश्यक है।
समाज पर प्रभाव और जनमानस की प्रतिक्रिया
भोजन भारतीय संस्कृति में न केवल पेट भरने का साधन है, बल्कि इसे प्रसाद और परंपरा का हिस्सा माना जाता है। ऐसे में भोजन के साथ इस तरह की गंदी हरकत न केवल शारीरिक बीमारियाँ फैला सकती है, बल्कि लोगों की धार्मिक और भावनात्मक भावनाओं को भी गहरा आघात पहुँचाती है। यही कारण है कि वीडियो सामने आते ही स्थानीय लोगों में भारी आक्रोश दिखाई देता है और वे प्रशासन से कड़ी कार्यवाही की मांग करते हैं। यह स्वाभाविक भी है, क्योंकि भोजन में इस प्रकार की गंदगी मानवता के सबसे बुनियादी मूल्यों का अपमान है।
यह स्पष्ट है कि “थूक लगाकर रोटी” जैसी घटनाएँ केवल कानून तोड़ने का मामला नहीं बल्कि मानवता और सामाजिक आस्था के साथ खिलवाड़ है। यदि समय रहते इस पर कड़ी रोक नहीं लगाई गई तो यह प्रवृत्ति और अधिक फैल सकती है। प्रशासन, खाद्य सुरक्षा विभाग और समाज सभी को मिलकर ऐसी हरकतों के खिलाफ कठोर रुख अपनाना होगा। केवल दोषियों की गिरफ्तारी ही नहीं बल्कि यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि भविष्य में कोई भी होटल या ढाबा ऐसी घृणित हरकत की जुर्रत न कर सके। भोजन की पवित्रता और स्वच्छता से खिलवाड़ किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।
– सुरेश गोयल धूप वाला