कमलेश पांडेय
बिहार के उपमुख्यमंत्री द्वितीय और लक्खीसराय के विधायक विजय कुमार सिन्हा, भारतीय जनता पार्टी के प्रभावशाली भूमिहार ब्राह्मण नेता हैं, जिन्होंने लखीसराय से पांच बार विधायक रहते हुए न केवल उपमुख्यमंत्री पद संभाला है। वे अपनी पार्टी के लिए जातीय संतुलन के प्रतीक बन चुके हैं, खासकर बीजेपी के लिए ऊपरी जातियों (भूमिहार ब्राह्मण) का प्रतिनिधित्व करते हुए जबकि उपमुख्यमंत्री प्रथम और सूबाई गृहमंत्री सम्राट चौधरी ओबीसी समुदाय का। निर्विवाद रूप से इस जातीय समीकरण से पार्टी को आरजेडी के मुस्लिम-यादव समीकरण के मुकाबले प्रत्यक्ष लाभ मिलता है। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का परिणाम इस बात की स्पष्ट तस्दीक करता है।
बिहार के युवा राजनीतिक विश्लेषक प्रणय राज बताते हैं कि विजय कुमार सिन्हा भाजपा में एक तेजतर्रार और आक्रामक शैली के नेता माने जाते हैं जो विधानसभा में प्रभावी विपक्ष के रूप में काम कर चुके हैं और एनडीए की चुनावी रणनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते आए हैं। इसका पुरस्कार भी उन्हें तब मिला, जब दूसरी बार उन्हें भाजपा-आरएसएस के बड़े नेताओं के इशारे पर कंटीन्यू किया गया।
भागलपुर के भाजपा नेता राजहंस राय बताते हैं कि, उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा की प्रशासनिक दक्षता से खनन, कृषि और सड़क जैसे महत्वपूर्ण विभागों में विकास कार्य हुए हैं। साथ ही, उन्होंने विधानसभा में पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देने वाले कदम उठाए हैं। उनकी दृष्टि “जाति, भ्रष्टाचार और अपराध से मुक्त बिहार” की है, जो पार्टी का विकास एजेंडा मजबूत करती है। शायद यही वजह है कि इस बार उन्हे राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्रालय भी प्रमुखता पूर्वक प्रदान किया गया है।
पीरपैंती, कहलगांव की भाजपा नेत्री सुमन राय बताती हैं कि बिहार भाजपा के भीष्मपितामह कैलाशपति मिश्र, पूर्व केंद्रीय मंत्री व प्रदेश अध्यक्ष डॉ सीपी ठाकुर, मौजूदा केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह की तरह ही उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष, ने पार्टी की रणनीतिक जमात में अपनी एक खास जगह बना ली है और खुद को लंबी रेस का घोड़ा बनाने की दिशा में अग्रसर हैं।
वहीं, मुंगेर के भाजपा नेता ध्रुव कुमार सिंह बताते हैं कि विजय कुमार सिन्हा बिहार में बीजेपी के लिए न केवल रणनीतिक जातीय संतुलन प्रदान करते हैं, बल्कि उनकी आक्रामक राजनीतिक शैली और प्रशासनिक कुशलता से पार्टी को राजनीतिक और विकास दोनों मोर्चों पर मजबूती मिलती है। वे बीजेपी के उच्च जाति वोट बैंक के लिए एक प्रमुख चेहरा और पार्टी की युवा, आदर्शवादी और आक्रामक छवि के प्रतीक हैं, जो नीतीश कुमार के सौम्य नेतृत्व का प्रभावी संतुलन बनाते हैं। इससे बीजेपी की राजनीति को बिहार में और मजबूती मिलती है, खासकर विधानसभा चुनावों में।
दिल्ली के वरिष्ठ पत्रकार व टीवी डिबेटर डॉ रमेश ठाकुर बताते हैं कि बिहार भाजपा के भीष्म पितामह समझे जाने वाले स्व. कैलाशपति मिश्र की सनातनी सोच-समझ, पार्टीगत सांस्कृतिक मूल्य और विचारधारा की विरासत को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी, अब बिहार भाजपा की नई पीढ़ी के नेताओं में से महत्वपूर्ण, विधानसभा में पार्टी के उपनेता और उपमुख्यमंत्री द्वितीय विजय कुमार सिन्हा पर आ गई है। पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ सीपी ठाकुर, केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह, जैसे चर्चित चेहरों के उत्तराधिकारी के रूप में उनका चयन भाजपा के आधार मतों को सहेजे रखने की दिशा में एक बड़ा कदम है और इस बार उसमें उन्हें अभूतपूर्व सफलता मिली है, जो पार्टी के इतिहास में रेखांकन योग्य है।
वहीं, चुटकी लेते हुए डॉ ठाकुर बताते हैं कि किसी भी बड़ी पार्टी में हाथी के दो दांतों वाली स्थिति होती है- एक खाने के और दूसरा दिखाने के। इसलिए दृष्टि से वह खाने वाले सियासी दांत हैं जबकि उपमुख्यमंत्री प्रथम सम्राट चौधरी दिखाने वाले दांत हैं। चूंकि भाजपा अपनी मौजूदा रणनीति में बेहद सफल रही है, इसलिए दोनों सूझबूझ वाले नेताओं को पुनः कंटीन्यू किया गया है। अब बिहार भाजपा को आगे बढ़ाने का सारा का सारा दारोमदार इन्हीं दो नेता पर है जिनकी आपसी समझदारी भी बेमिसाल बताई जाती हैं।
स्पष्ट है कि बिहार भाजपा के प्रमुख भूमिहार नेताओं में सबसे प्रमुख नाम विजय कुमार सिन्हा का है, जो बिहार के उपमुख्यमंत्री भी हैं और लखीसराय से पांच बार विधायक चुने गए हैं। वे भाजपा के प्रभावशाली भूमिहार नेता माने जाते हैं और पार्टी के जातीय संतुलन और विकास के प्रतीक हैं। इसके अलावा रजनीश कुमार भी भाजपा के प्रमुख भूमिहार नेताओं में से एक हैं। 2025 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने कुल 11 भूमिहार नेताओं को जीत दिलाई है।
आंकड़े बताते हैं कि उनके मार्गदर्शन में भाजपा ने भूमिहार समुदाय को लेकर विशेष रणनीति अपनाई है जहां 32 भूमिहार उम्मीदवारों को टिकट दिया गया था। क्योंकि भूमिहार समुदाय बिहार में लगभग 2.9% जनसंख्या का हिस्सा है, जो राजनीतिक रूप से काफी संगठित और प्रभावशाली माना जाता है। बिहार की कई सीटों जैसे लखीसराय, विक्रम, मोकामा, बेगूसराय, केसरिया आदि में भूमिहार वोटर निर्णायक भूमिका निभाते हैं।
बिहार भाजपा के प्रमुख भूमिहार नेता विजय कुमार सिन्हा (उपमुख्यमंत्री, लखीसराय से विधायक) रजनीश कुमार, व अन्य भूमिहार विधायक हैं, जो 2025 में भाजपा के टिकट पर चुनाव जीते हैं। वे बिहार में भाजपा के सवर्ण और भूमिहार वोट बैंक को एकजुट रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। यही वजह है कि विजय कुमार सिन्हा को भाजपा ने अपने विधानसभा दल के उपनेता के रूप में भी चुना है जो पार्टी की जातीय संतुलन नीति को दर्शाता है।
निःसन्देह, विजय कुमार सिन्हा ने बिहार की राजनीतिक-व्यवस्था में जातीय संतुलन स्थापित करते हुए विकास, पारदर्शिता, और सामाजिक समरसता की नीतियों के माध्यम से भाजपा को मजबूती दी है, साथ ही प्रशासनिक सुधारों और विकास कार्यों को आगे बढ़ाया है।
जहां तक विजय कुमार सिन्हा के ऊपर कैलाशपति मिश्र की पार्टीगत विरासत को आगे बढ़ाने के भार का सवाल है तो यह कोई नई बात नहीं है, क्योंकि कैलाशपति मिश्र भारतीय जनता पार्टी के बिहार में संस्थापक नेता और संगठन निर्माता कहे जाते हैं। उनके जीवन का मुख्य संदेश भाजपा में नैतिकता, संगठनात्मक क्षमता और कार्यकर्ताओं के प्रति अपार स्नेह रहा। उन्होंने भाजपा को संघर्ष के दौर में सींचा, गांव-गांव घूमकर संस्कार और विचारधारा का संचार किया, और सत्ता की राजनीति से परे पार्टी के प्रति समर्पण दिखाया।
चूंकि स्व. मिश्र ने भाजपा के लिए मजबूत कार्यकर्ता वर्ग तैयार किया और पार्टी को एक परिवार जैसा भाव दिया। कैलाशपति मिश्र की सबसे बड़ी पहचान उनकी नैतिकता, अजातशत्रु छवि और संघ एवं जनसंघ के लिए तपस्या रही, जिससे भाजपा को बिहार में जड़ें मजबूत हुई। समझा जाता है कि विजय कुमार सिन्हा में भी ये तमाम गुण भरे पड़े हैं। समय के साथ उन्होंने खुद को साबित किया है और पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी की वजह से भाजपा से रूठ चुके सवर्णों को फिर से पार्टी से जोड़ा है।
यही वजह है कि विजय कुमार सिन्हा की जिम्मेदारी अब और बढ़ गई है। विजय कुमार सिन्हा भाजपा के प्रमुख भूमिहार ब्राह्मण नेता हैं, जो जातीय संतुलन, विकास और प्रशासनिक क्षमता के चलते पार्टी के लिए प्रमुख चेहरा बनकर उभरे हैं। लखीसराय से पांच बार विधायक, उपमुख्यमंत्री, विधानसभा स्पीकर और विपक्ष के नेता जैसे पदों से उन्होंने संगठन के प्रति अपना योगदान दिया है। सिन्हा ने जातीय संतुलन साधकर भाजपा के पारंपरिक उच्च जाति वोट बैंक के साथ-साथ नये वर्ग को भी पार्टी से जोड़ा है।
प्रशासन में पारदर्शिता, विकास, खनन और कृषि में सुधार जैसी पहलें उनके कार्यकाल की खासियत रही हैं। उन्होंने भ्रष्टाचार और अपराध से मुक्त बिहार का नारा दिया है। भाजपा ने उन्हें विधानमंडल दल के उपनेता के रूप में बनाए रखा है, और उपमुख्यमंत्री पद पर भी कंटीन्यू किया है, जिससे उनकी भूमिका संगठनात्मक मार्गदर्शन और कार्यकर्ता निर्माण में मिश्र जी की विरासत को आगे बढ़ाने वाली बन जाती है।
जहां तक उनकी आगे की दिशा का सवाल है तो विजय कुमार सिन्हा के नेतृत्व में संगठन, सनातनी मूल्य, नैतिकता पर बल, जाति संतुलन और प्रशासनिक सुधारों को आगे बढ़ाना ही मिश्र की विरासत को सहेजना और विस्तार देना है। सिन्हा के समर्पण, सक्रियता और विकास की नीति मिश्र जी की तपस्या और संगठन के मूल्यों को आधुनिक राजनीति में लागू करने की दिशा है। कहना न होगा कि बिहार बीजेपी में उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा का महत्व और उपयोगिता कई कारणों से है। उनके शासन में किए गए प्रमुख विकास और नीति कदम निम्नलिखित हैं:
पहला, विकास-केंद्रित नीतियां: विजय कुमार सिन्हा ने बिहार में रोड, खनन, कृषि, और ग्रामीण विकास जैसे क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दिया। वे प्रदेश के विकास के लिए सड़क निर्माण, सिंचाई सुविधाएं बढ़ाने, और कृषि उत्पादन सुधारने जैसे कदम उठाने में सक्रिय रहे हैं।
दूसरा, जातीय संतुलन और सामाजिक समरसता: वे भाजपा के लिए जातीय समीकरण को संतुलित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं, खासकर भूमिहार जाति के प्रतिनिधि के रूप में। इससे पार्टी को बिहार की विविध सामाजिक संरचना में मजबूत पकड़ मिलती है।
तीसरा, शासन में पारदर्शिता और जवाबदेही: सिन्हा ने विधानसभा में भ्रष्टाचार को दूर करने, प्रशासनिक सुधार लाने और सरकारी योजनाओं की पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिए पहल की है।
चतुर्थ, युवा और सामरिक नेतृत्व: उनकी आक्रामक और प्रभावी राजनीतिक शैली ने पार्टी की युवा पीढ़ी को प्रेरित किया है, जिससे बिहार में भाजपा की सशक्त राजनीतिक उपस्थिति बनी है।
पंचम, विकास व समृद्धि के एजेंडे पर काम: उनका सपना “जाति-धर्म से ऊपर उठ कर विकास” है। उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य, और बुनियादी सुविधाओं के विस्तार के लिए भी काम किया है।
छठा, भाजपा की रणनीति में सहायक: विजय कुमार सिन्हा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आक्रामक विकास और राष्ट्रवाद की नीति को आगे बढ़ाने में मदद की है, जिससे बिहार में भाजपा की लोकप्रियता बढ़ी है।
स्पष्ट है कि विजय कुमार सिन्हा की नीतियों ने बिहार की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में बुनियादी संरचना सुधार, कृषि एवं रोजगार वृद्धि, सामाजिक समरसता और प्रशासनिक सुधार के जरिये सकारात्मक प्रभाव डाला है, जिससे ग्रामीण जनता का जीवन स्तर बेहतर हुआ है और क्षेत्रीय विकास को गति मिली है।
कमलेश पांडेय