कविता

सावन तूने निराश किया , धरती को उदास किया .

खेतों की हरियाली को ,

किसानों की खुशहाली को ;

तूने बहुत हताश किया .

सावन तूने निराश किया , धरती को उदास किया .

 

रूठे बादलों को मनाने का ,

हवाओं को फुसलाने का ;

क्यों नहीं प्रयास किया ,

सावन तूने निराश किया , धरती को उदास किया .

 

अब तू जाने वाला है ,

पड़ गया सूखे से पाला है ;

क्यों हमने तुम पर आस किया ?

सावन तूने निराश किया , धरती को उदास किया .