कमलेश पांडेय
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी चार दिवसीय विदेश यात्रा (15-18 दिसंबर 2025) के क्रम में इस बार मध्य-पूर्व एशियाई और अफ्रीकी देशों यथा- जॉर्डन, इथियोपिया और ओमान की यात्रा की और द्विपक्षीय कूटनीतिक रिश्तों को मजबूत बनाया। पीएम मोदी के इस ताजा दौरे पर भी अमेरिका-चीन-रूस व यूरोपीय-एशियाई देशों की नजरें केंद्रित हैं, जो मध्य पूर्व और अफ्रीका में भारत की स्वतंत्र कूटनीतिक मजबूती को रेखांकित करती है। निर्विवाद रूप में पीएम मोदी की यह यात्रा द्विपक्षीय संबंधों को और अधिक गहरा करने, व्यापार बढ़ाने और क्षेत्रीय स्थिरता पर केंद्रित है। सच कहूं तो यह यात्रा भी अमेरिका द्वारा पाकिस्तान-बंगलादेश के मार्फ़त भारत को घेरने की क्षुद्र रणनीति का अपने हिसाब से कूटनीतिक जवाब ही है जिससे चीन का भी चौकन्ना हो जाना स्वाभाविक है।
जहां तक जॉर्डन यात्रा की बात है तो यह दौरा भारत-जॉर्डन राजनयिक संबंधों के 75 वर्ष पूरे होने का प्रतीक है, जहां पीएम मोदी ने राजा अब्दुल्ला द्वितीय से व्यापक चर्चा की। इस दौरान संस्कृति, नवीकरणीय ऊर्जा, जल प्रबंधन, डिजिटल पेमेंट्स (यूपीआई सहयोग) और पेट्रा-एलोरा ट्विनिंग जैसे पांच एमओयू पर हस्ताक्षरित हुए। साथ ही अगले पांच वर्षों में द्विपक्षीय व्यापार को 5 अरब डॉलर तक ले जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया। इससे पश्चिम एशिया में क्षेत्रीय कनेक्टिविटी और व्यापार साझेदारी भी मजबूत हुई।
वहीं, इथियोपिया यात्रा के दौरान पीएम मोदी ने वहां का पहला राज्यिक दौरा किया जो द्विपक्षीय संबंधों को ‘रणनीतिक साझेदारी’ का दर्जा प्रदान करता है जो वैश्विक दक्षिण यानी ग्लोबल साउथ में सहयोग को मजबूत करता है। यहां भी डेटा सेंटर स्थापना, यूएन शांति सेना प्रशिक्षण और जी20 ऋण पुनर्गठन एमओयू जैसे समझौते हुए, जो आर्थिक और तकनीकी सहयोग बढ़ाते हैं। यह ब्रिक्स विस्तार और अफ्रीकी संबंधों को प्रोत्साहन देता है।
वहीं, ओमान दौरा/यात्रा दोनों देशों के 70 वर्षीय राजनयिक संबंधों के साथ सामरिक साझेदारी की समीक्षा करती है, जहां व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौता (CEPA) अंतिम रूप लेने की उम्मीद बंधी है। साथ ही व्यापार, ऊर्जा, रक्षा, सुरक्षा, प्रौद्योगिकी और कृषि क्षेत्रों में सहयोग पर चर्चा हुई, जो मध्य पूर्व में भारत की स्थिति को सुदृढ़ बनाती है। यहां पर पीएम मोदी द्वारा भारतीय प्रवासी समुदाय को संबोधित कर लोगों-से-लोगों का संपर्क बढ़ाया गया।
अंतर्राष्ट्रीय मामलों के कूटनीतिक जानकारों की मानें तो पीएम मोदी की 15-16 दिसंबर की जॉर्डन यात्रा ने भारत-जॉर्डन संबंधों को नई गहराई प्रदान की है जो 75 वर्षीय राजनयिक संबंधों की वर्षगांठ पर केंद्रित रही। इसने द्विपक्षीय व्यापार को 2024 के 2.3 अरब डॉलर से बढ़ाकर अगले पांच वर्षों में 5 अरब डॉलर करने का लक्ष्य निर्धारित किया। इस यात्रा के दौरान नवीकरणीय ऊर्जा, जल संसाधन प्रबंधन, सांस्कृतिक आदान-प्रदान, डिजिटल समाधान (यूपीआई सहयोग) और पेट्रा-एलोरा साइटों के जुड़ाव पर पांच एमओयू हस्ताक्षरित हुए। ये प्रमुख समझौते रक्षा, व्यापार, ऊर्जा, उर्वरक और डिजिटल क्षेत्रों में सहयोग को मजबूत बनाते हैं।
जहां तक इसके आर्थिक प्रभाव की बात है तो अब भारत जॉर्डन का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बन चुका है जहां भारत अनाज, पेट्रोलियम और पशु चारा निर्यात करता है तथा जॉर्डन फॉस्फेट-पोटाश उर्वरक आपूर्ति करता है। लिहाजा इस यात्रा से आर्थिक संबंधों को नई दिशा मिली क्योंकि दोनों देशों ने निवेश और व्यापार सुगमीकरण पर जोर दिया । जहां तक राजनयिक मजबूती की बात है तो राजा अब्दुल्ला द्वितीय के साथ चर्चाओं ने राजनीतिक परामर्शों को संस्थागत बनाया जिसमें आतंकवाद विरोधी सहयोग, गाजा जैसे क्षेत्रीय मुद्दे और संयुक्त कार्यसमूह शामिल हैं। इससे पश्चिम एशिया में भारत की कूटनीतिक उपस्थिति सुदृढ़ हुई जो लोगों-से-लोगों के संपर्क को बढ़ावा देती है।
इस प्रकार पीएम मोदी की जॉर्डन यात्रा (15-16 दिसंबर 2025) ने भारत-जॉर्डन रक्षा और सुरक्षा सहयोग को मजबूत करने के लिए राजनीतिक परामर्शों को संस्थागत बनाने का मार्ग प्रशस्त किया। संयुक्त कार्यसमूहों का गठन आतंकवाद विरोधी सहयोग, खुफिया जानकारी साझा करने और क्षेत्रीय सुरक्षा मुद्दों (जैसे गाजा) पर समन्वय बढ़ाने के लिए किया गया। जहां तक प्रमुख कदम की बात है तो दोनों देशों ने रक्षा प्रशिक्षण, क्षमता निर्माण और संयुक्त अभ्यासों पर सहमति जताई, जो पश्चिम एशिया में स्थिरता सुनिश्चित करेगी। वहीं जॉर्डन के साथ भारत की उर्वरक सुरक्षा आपूर्ति श्रृंखला को रक्षा साझेदारी से जोड़ा गया जो रणनीतिक हितों को सुदृढ़ बनाती है। जहां तक इनके दीर्घकालिक प्रभाव की बात है तो ये कदम द्विपक्षीय संबंधों को व्यापक रणनीतिक साझेदारी की ओर ले जाते हैं, जिसमें साइबर सुरक्षा और उन्नत तकनीकों पर भविष्य में सहयोग संभव है। इससे भारत की मध्य पूर्व नीति में जॉर्डन एक महत्वपूर्ण स्तंभ बन गया।
कमलेश पांडेय