कविता

अभी ना छोड़ कर जाओ सनम

अभी ना छोड़ कर जाओ सनम
कि दिल अभी भरा नहीं
जुल्फे अभी संभाल तो लू
गजरा उसमे सजा तो लू
मांग में तुमने सिन्दूर भरा नहीं
तुमसे गले अभी मिली भी नहीं
अभी ना छोड़ कर जाओ सनम
कि दिल अभी भरा नहीं

मैंने अभी तक कुछ कहा नहीं
तुमने अभी तक कुछ सुना नहीं
मन के गुब्बार निकाल तो लू
दिल के अरमान निकाल तो लू
कुछ भी अरमान पूरे हुए नहीं
अभी ना छोड़ कर जाओ सनम
कि दिल अभी भरा नहीं

काजल अभी लगा तो लू 
तुमको जरा निहार तो लू
चेहरे को जरा चमका तो लू
होटो पर लाली लगा तो लू
अभी तक चुम्बन लिया नहीं
अभी ना छोड़ कर जाओ सनम
कि दिल अभी भरा नहीं

साजन के लिये जरा सवंर तो लू
हर अंग को जरा निखार तो लू
आइना जरा निहार तो लू
अपनी नजर उतार तो लू
दिन भर की थकन उतार तो लू
अभी तो थकन उतरी नहीं
अभी ना छोड़ कर जाओ सनम
कि दिल अभी भरा नहीं

बिस्तर पर चादर बिछा तो लू
उस पर दो तकिये लगा तो लू
उसको फूलो से सजा तो लू
सजना के लिये संवर तो लू
अभी तक कुछ हुआ नहीं
अभी ना छोड़ कर जाओ सनम
कि दिल अभी भरा नहीं

आर के रस्तोगी